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क्या महागठबंधन बिहार के विधानसभा चुनाव में बी जे पी को रोक पायेगा

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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अक्टूबर नवम्बर में बिहार में विधान सभा चुनाव होनेवाले हैं और ऐसे समय में पार्टी नेताओं को पिछड़े एवं दलितों की गोलबंदी करने की चाहत होने लगती है
सभी पार्टियां अपने को दलितों वंचितों का हितैषी कहता हुवा नहीं थकता हालाँकि उनकी यह चाहत केवल और केवल चुनाव में वोट पाने के लिए होती है और चुनाव दर चुनाव ये दलितों पिछड़ों को सपने दिखाते हैं की चुनाव जीतने के बाद वे उनके लिए आरक्षण कर देंगें और उनके बच्चों को सरकारी नौकरी मिल जाएगी . लेकिन दुर्भाग्य यह है की ६५ सालों के आरक्षण से कितने दलितों की तर्रकी हुयी इसके आंकड़े कोई भी सरकार कोई भी पार्टी नहीं बताते अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री अमित साह जी ने कहा की उनकी पार्टी ने देश को पहला दलित प्रधानमंत्री दिया , इसके विरुद्ध पलटवार करते हुए लालू यादव ने कहा उनकी पार्टी ने श्री देवगौड़ा जी के रूप में पहला दलित प्रधानमंत्री देश को दिया . लेकिन किसी पार्टी के नेता ने यह नहीं कहा की दलित के प्रधानमंत्री बन जाने से ही कितने दलितों का फायदा हुवा कितनों के जीवन में बदलाव हुवा कितने दलित परिवार समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए . मेरी राय में सच्चाई ये है की अपने देश में केवल २ जाति है अमीर और गरीब और इन दो जातियों के बीच असमानता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है चाहे इस देश में किसी पार्टी की सरकार बने कितने ही योजनाएं गरीबों की भलाई के बनतीं रहें ,कितना भी पैसा केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाता रहे एक सच्चाई बनी हुयी है की मदद गरीबों तक पहुचती नहीं अतः सबसे पहले इस बीमारी का इलाज जरुरी है और चुनावों में अगर कोई मुद्दा उठे तो यही सही मुद्दा है .एक प्रस्ताव अच्छा हुवा है गरीबों के बैंक खातों में सीधे पैसा ट्रांसफर करना पर यह भी पूरी तरह कारगर नहीं हो पाया है क्यूंकि जीतने आंकड़े बैंक अकाउंट के लिए जारी किये हैं उस अनुपात में खाते नहीं खुल पाये हैं बिहार राज्य में तो किसी गरीब का खाता खुलना बहुत मुश्किल ही लगता है जो गावं के लिए योजनाएं पारित होतीं हैं उनका प्रकालित मूल्य ही इतना बढाकर रखा जाता है की भ्रष्टाचार की गुंजाइश उसमें पहले से बना दी जाती है और इतना ही नहीं उन योजनाओं को निर्धारित समय में कभी पूरा नहीं किया जाता है जिसके कारन उनका खर्च और बढ़ जाता है और फिर फंड का रोना शुरू हो जाता है और योजनाएं लटकी पड़ी रहती हैं और सबसे दुखद यह है की एब सब गलतियों के लिए जवाबदेह कोई भी ठहराया जाता और इसी तरह विकास योजनाएं
अतः इस चुनाव में अगर अगड़ों पिछड़ों की राजनीती ही की जाती रहेगी चाहे वह कोई पार्टी क्यों ना हो आनेवाले विधान सभा चुनाव में उस पार्टी की जीत होना मुमकिन नहीं अतः पार्टियों को चाहिए की चुनाव आचार संहिता लागू होने के पहले जो भी विकास कार्य लटके पड़े हैं उनको पूरा कराएं मुख्य मंत्री नितीश कुमार अगर बी जे पी का रथ रोकना चाहते हैं तो बजाय आरोप प्रत्यारोप के विकास कार्यों को पूरा कराएं जो पैसा चुनाव में खरच करना चाहते हैं उसको विकास कार्यों में लगाकर उनको समय रहते पूरा कराएं फिर जनता के बीच जाकर वोट मांगे .केवल यह कहकर केंद्र पैसा नहीं दे रहा है इसके लिए विकास कार्य रुके पड़े हैं यह बिहार की जनता नहीं समझने वाली और परिणाम स्वरूप यहाँ की जनता बी जे पी को ही जिताएगी क्यूंकि जब सारा काम केंद्र ने ही करना है तो जिस पार्टी की सरकार केंद्र में काबिज है उसी पार्टी को बिहार की जनता वोट देगी क्यूंकि बिहार की जनता भी देख रही है जब तक नितीश कुमार का बी जे पी से गठबंधन था बिहार में तेजी से विकास हुवा और जैसे गठबंधन टूटा विकास कार्य रुक गया .मांझी जी को मुख्यमंत्री बना दिया गया और रिमोट से नितीश बिहार की सरकार को चलाते रहे जब उनको लगा मांझी मनमानी करने लगे और चुनाव नजदीक आने लगा उनको भी हटा दिया .बिहार की जनता में सन्देश गया नितीश दलित विरोधी नेता हैं और इतना ही नहीं जीतन राम मांझी ने अपनी नयी पार्टी बना ली “हम ” और अब जीतन राम मांझी बी जे पी के साथ गठबंधन कर लिए इससे दलितों के बीच यही सन्देश गया की बी जे पी ही दलितों की मदद करेगी .नितीश जी लालू जी से मिल गए जिनके बारे में वे जंगल राज कहा करते थे उनके साथ हो लिए जनता क्या यह नहीं समझेगी की नितीश फिर से बिहार में जंगल राज आ जाये यही चाहते हैं और ,बी जे पी ना आ पाये . लेकिन अब तो वक्त ही बताएगा की आनेवाले चुनाव में क्या होगा? .भारतीय जनता पार्टी का रथ निकल चूका है जो एक लाख गावं तक जायेगा और गावं – गावं में नितीश का भाषण सुनाया जायेगा जिसमें नितीश कुमार लालू जी के राज को जंगल राज कह रहे थे अब क्या लालू कोई दूसरा राज बिहार को देंगे अतः मुझे नहीं लगता लालू -नितीश गठबंधन जिसको ये लोग महागठबंधन भी कह रहे हैं (क्यूंकि इसमें कांग्रेस पार्टी भी शामिल है ) यह गठबंधन बी जे पी को रोक पायेगा . क्यूंकि बिहार की जनता को विकास चाहिए ,रोजगार चाहिए ,स्वास्थ्य सुविधा चाहिए और भ्रष्टाचार से nijat चाहिए अपराध मुक्त समाज चाहिए
अशोक कुमार दुबे
पटना

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