- 166 Posts
- 493 Comments
देश में कम्प्यूटर क्रांति की शुरुआत दिवंगत प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने की और उस समय के जाने माने शिक्षाविद और तकनिकी जानकार श्री श्याम पित्रोदा ने इस कार्यकर्म को पूरे देश में बड़े जोर शोर से चलाया, काफी काम भी हुवा देश के ग्रामीण क्षेत्र में कम से कम पंचायत को एक टेलीफोन मिला और लोगों को सुदूर बैठे अपने सगे सम्बन्धियों का हाल समाचार जानने का अवसर मिला . और उसके बाद से तो अपने देश में आई टी इंजियर की तादाद तेजी से बढ़ने लगा युवाओं का सबसे पसंदीदा पाठ्यकर्म सुचना प्रद्योगिकी ही बन गया आई टी प्रोफेसनल विदेशों में नौकरियां पाने लगे और देश की भी आर्थिक प्रगति तेजी से हुयी भारत वर्ष में विदेशी पैसा भरपूर आने लगा और आज भी लगातार विदेशों से पैसा आ रहा है . अच्छी बात है . लेकिन आज तक किसी प्रधानमंत्री ने देश में बिजली प्रयाप्त मिले गावं -गावं तक बिजली का प्रकाश पहुंचे और गाओं के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अपनी पढ़ाई कर सकें ऐसा आज तक नहीं हो सका . अतः डिजिटल इण्डिया बनाने की योजना तो बहुत फायदेमंद है पर क्या बिना बिजली के यह सब संभव है ? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है . मोदी जी की लहर देश में चली और इस लहर ने उनको देश का प्रधानमंत्री बना दिया भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत वाली सरकार भी बनाने का मौका मिला , इस सब के बावजूद क्या ? देश की जनता से किये गए वायदे पूरे होते दिखाई दे रहा है . बी जे पी ,राज्यों के चुनाओं में भी जीत कर आयी क्या राज्यों की हालत सुधरी. अतः आज जो सबसे जरूरी है वह वही पुराना गांधी जी का कहा गया सन्देश है की सरकार कोई आये जब तक देश के सबसे निचले तबके के लोगों तक विकास का, सुविधाओं का लाभ पहुंचे तभी किसी पार्टी की सरकार को एक सफल सरकार देश को देने का वायदा पूरा होगा और आज उस दिशा में ही काम करने की जरुरत है . जरूर मोदी जी के कार्यकाल में भ्र्ष्टाचार पर कुछ अंकुश लगा है पर उसका असर केंद्र में नजर आ रहा है .क्या राज्यों में ब्याप्त भ्र्ष्टाचार कम हुवा है .अगर राज्यों में भ्र्ष्टाचार कम नहीं होगा तो विकास को गति कैसे मिलेगा .आज कितनी ही कल्याणकारी योजनाएं किसी न किसी नेता ,मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी की ब्यक्तिगत लाभ के चलते न तो समय पर पूरे हो पा रहें हैं नाहीं वे योजनाएं प्रक्लित राशि में पूरे हो पा रहें हैं क्या इस आर्थिक नुकसान के विषय में कुछ किया जा रहा है अतः और योजनाओं और कार्यकर्म की तरह डिजटल इण्डिया कार्यकर्म भी नेताओं अधिकारीयों की लालच की भेंट चढ़ जायेगा .मुझे याद है प्रधानमंत्री ने शपथ ग्रहण के वक्त देश की जनता को एक सन्देश दिया था ” हूँ खातों नथी अने खावा देतो नथी ” जिसका मतलब है ना मैं खुद खाता हूँ ना किसी और को खाने देता हूँ . बहुत सही कहा था और ऐसा वायदा पिछले किसी प्रधानमंत्री या मंत्री ने नहीं किया था . पर क्या आज जमीनी हकीकत यह है . हाँ घोटाले बड़े बड़े आज अभी तक प्रकाश में नहीं आ रहें हैं क्या पता कुछ समय बाद वे भी उजागर हों .क्यूंकि जिन नेताओं , मंत्रियों एवं अधिकारीयों को खाने की लत पडी हुयी है वे क्या खाना छोड़ देंगे क्यूंकि प्रधानमंत्री कह रहें हैं हरगिज नहीं अतः ऐसी उम्मीद करना की देश से भ्र्ष्टाचार खत्म हो जायेगा ऐसा सोचना या ऐसा कहना सच्चाई से पर है . हाँ भ्र्ष्टाचार को कुछ कम जरूर हो रहा है . अतः आज देश को किसी नयी योजना के पहले उसके लिए जरूरी इंफ्रास्टर्क्चर तैयार करना महत्वपूर्ण है और उनमें से सबसे जरुरी गावं गावं तक बिजली की उपलभ्दता , सबको शिक्षा (वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बहुत सुधार की जरुरत है ) शिक्षक क्षात्र का अनुपात सही हो , गावं में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूर हो ताकि कम्प्यूटर सुविधा से गाओं लैश होकर इलाज की सुविधा गावं में ही पा सकें , पीने के पानी की समुचित व्यवस्था हो खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था हो इसके लिए सिंचाई परियोजनाएं जिनमें करोड़ों रूपये खर्च हो चुके हैं पर आज तक अधूरे पड़े हैं अगर प्रधानमंत्री जी को देश के किसानों की जरा भी चिंता है तो इन अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने की दिशा में काम करें नाकि राज्य और केंद्र की जिम्मेवारी बताकर ऐसे जस का तस छोड़ दें जरुरी सुविधाओं को गाओं गाओं तक उपलब्ध कराये काम बहुत हुवा भी है पर जनसँख्या वृद्धि से सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हो पा रहीं हैं उसका ख्याल रखते हुए ही भविष्य की योजनाएं बनायीं जाएँ .
Read Comments