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जब से भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज हुयी है ,कांग्रेस की मुखिया श्रीमती सोनिया गांधी और उनके राजकुमार पुत्र राहुल गांधी अपनी पार्टी की हार का कारन खोजने में लगें हैं और इस मंथन के दौरान उन्होंने अपनी पार्टी संगठन को नया रूप देने की कवायद में लगीं हैं, और कांग्रेस के हीं श्री ए के अंटोनी कह रहें हैं की उनकी पार्टी ने अल्पसंख्यको को ज्यादा लाभ पहुचाने के चक्कर में देश के बहुसंख्यकों को उनकी पार्टी भूलती चली गयी तथा पूरे चुनाव में कांग्रेस के प्रवक्ता बी जे पी पर आरोप लगते रहे की सत्ता पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी मतों का ध्रुवीकरण की राजनीती कर रही है .कभी कंग्रेस ने यह नहीं सोंचा की श्री नरेंद्र मोदी के चुनावी रैली में लाखों की भीड़ क्यों इकठी हो रही है और उनको सुन रही है शायद कांग्रेस को पता नहीं था चुनाव के दिन यही भीड़ बी जे पी के पक्ष में ही मतदान करेगी , वहीँ दुसरी तरफ राहुल जी के भाषण शुरू होने के पहले लोग पंडाल छोड़कर जाने लगते थे यहाँ तक की एक चुनावी भाषण में दिल्ली की पूर्व मुख्य मंत्री शीला दीक्षित जनता से यह कहते सुनी गयीं की थोड़ी देर! रूक जाइए राहुल जी का भाषण सुन लीजिये लेकिन उनके आग्रह के वावजूद लोग वहां रुके नहीं पंडाल छोड़कर जाने लगे .इससे बड़ा सन्देश जनता क्या? देती कांग्रेस पार्टी को! और चुनाव नतीजे भी ऐसे आये की ,बी जे पी को भी इतनी उम्मीद नहीं थी की उनकी पार्टी ऐसी अप्रत्याशित जीत को प्राप्त होगी .
अब जब बात शीला दीक्षित की चली है तो एक सच और उजागर हुवा है शीला दीक्षित के बारे में अख़बारों के खबर के माध्यम से यह खुलासा हुवा है की शीला दीक्षित के ३ , मोती लाल मार्ग के घर में
सात कमरे , उनका कार्यालय ,गैराज तथा सुरक्षा गार्ड के लिए कई केबिन. यह तो हुयी उनके मकान की बात अब जानिए उनके माकन के साजो सामान के बारे में :-
३१ एयर कंडीशनर , २५ हीटर ,१६ एयर प्यूरीफायर ,१५ डेजर्ट कूलर ,१२ गीजर
और इस सब के इतर उनके मकान के बिजली उपकरणों की रख रखाव पर जनता की गाढ़ी कमाई का सोलह लाख अस्सी हजार रूपये का खर्च आया .इतना सारा पैसा किसका था ? जाहिर है देश की गरीब जनता का था और इतना ही नहीं श्रीमती शीला दीक्षित जब दिल्ली में आम जनता बिजली के बढ़ते बिल से परेशान थी तब फरवरी २०१३ में इन्हीं शीला दीक्षित का बयान था “अगर आप बढे हुए बिजली बिल से परेशान हैं तो अपनी बिजली खपत को कमतर कीजिए कभी शीला दीक्षित ने यह नहीं सोंचा की उनके मकान में बिजली के इतने उपकरण के इस्तेमाल में कितनी बिजली खर्च होती होगी और उसका बिल कितने का होता होगा चुकी मुख्य मंत्री के बिजली का खर्च तो देश ने वहन करना है इसमें उनका क्या जाता है और इस सब के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने क्या किया? इन्हीं शीला दीक्षित को इनाम के तौर पर केरल का राज्यपाल बनाकर उनकी प्रतिष्ठा में चार चाँद लगाने का काम किया . क्या कांग्रेस पार्टी का यह कदम जायज था कभी इस सचाई के ऊपर कांग्रेस पार्टी मंथन क्यों नहीं करती . अपने नेताओं को यह क्यों नहीं समझाने की कोशिस करतीं की नेता जनता का सेवक है जैसा नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में कहते आये हैं और राज मिलने पर गौरव न करते हुए पहले दिन से जनता की सेवा में जुट गए हैं
अतः मेरी राय में कांग्रेस को अपने नेताओं को यही समझाने की जरूरत है की विपक्ष में रहते हुए भी बजाय सरकार के काम काज में गलतियां ढूंढने के जनता के बीच जाकर उनकी जायज मांगों को सरकार के सामने लाएं और जो विभाग या अधिकारी जनता के काम में रोड़े अटकाता है उसको सरकार से फटकार दिलाएं क्यूंकि मोदी सरकार में अधिकारीयों को ही सरकार चलाने की ज्यादा जिम्मेवारी सौंपी गयी है मोदी जी ने अपना काम काज सम्हालने के बाद पहला काम यही किया की प्रशासनिक अधिकारीयों को बुकर उनके साथ मीटिंग की और अपने काम काज करने के तरीके को समझाया उनको और ज्यादा जिम्मेवारी से काम करने का निर्देश दिया और यह सब कुछ जनता ने टेलीविजन के माध्यम से देखा नरेंद्र मोदी हमेशा जनता से जुड़ते रहें हैं प्रधानमंत्री की कुर्सी मिलने के बाद भी और वास्तव में देखा जाये तो प्रशासनिक अधिकारी ही पहले भी सरकार को चलाते आये हैं पिछले कुछ सालों से कांग्रेस ने ही उनको उनका काम नहीं करने दिया, कांग्रेस एवं उनकी सरकार में शामिल नेता केवल अपने घर के खजाने को भरने के चक्कर में लगे रहे और घोटाले पर घोटाले करते गए और ताजुब की बात यह की सरकार मूक दर्शक बनकर इन घोटालों से मुह चुराती रही और तो और घोटालों की जांच करने को भी मन करती रही उल्टा कैग जैसे संवैधानिक स्नस्थानों के मुखिया को ही बदनाम करती रही इससे संस्थाओं का मनोबल गिरता चला गया अधिकारीयों ने काम करना छोड़ दिया अभी से भी कांग्रेस पार्टी के मुखिया अगर इस सच्चई को समझे तो आनेवाले विधान सभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर सकती है .केवल चेहरे बदल देने से पार्टी को कोई लाभ नहीं होने वाला अपनी गलतियों का ना दुहराने की शपथ लेनी होगी और यह मान कर चलना पड़ेगा की चुनावों में हार का कारन उनकी गलत नीतियां और उनके नेताओं का जनता से ब्यवहार ही कांग्रेस की हार मुख्य कारन रहा है . .
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