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इस देश में धर्म निरपेक्ष की परिभाषा इस देश की राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपनी सुविधा अनुसार बनाई गयी चुनावी हथियार है और सेकुलर शब्द चुनाव के दिनों में ज्यादा भुनाया जाता है यह विशुद्ध रूप से वोट बैंक बढ़ाने का हथियार है. वास्तव में भारतवर्ष में धर्म निरपेक्ष वही दल है जो मुस्लीम समुदाय का हिमायती है और उनकी हिमायातगीरी केवल उनका वोट प्राप्त करने मात्र से है. दुःख तो इस बात का है कि खुद मुस्लीम नेता जो देश कि बिभिन्न पार्टियों में काबीज हैं वे भी बीते ६५ सालों में सत्ता में हिस्सेदारी रहते हुए भी मुस्लिमों का कोई भला नहीं कर पाये और उनको जाहिल बनाये रखने में ही अपनी पार्टी और अपना भला समझा और वह समुदाय केवल और केवल चुनाव के वख्त ही इन तथा कथित पार्टियों और नेताओं को याद आते हैं.अतः आने वाले आम चुनाव में धर्म निरपेक्षता कोई मुद्दा नहीं बनने वाला है. ऐसी बातों का एवं ऐसे प्रचार का लाभ किसी पार्टी को नहीं मिलने वाला इस किस्म के नारे बी जे पी को जीत हासिल करने से रोक नहीं पाएंगे . आज पूरे देश में कांग्रेस पार्टी से नाराजगी है इस देश कि आम जनता कांग्रेस के जुलम ढाने वाले रवईये से दुखी और परेशान है और सबसे ज्यादा इस देश का गरीब, जान लेवा महंगाई से परेशान है अब जनता केवल क़ानून बना देने से खुश नहीं हो जाने वाली है . मसलन खाद्यान सुरक्षा कानून , शिक्षा का अधिकार इत्यादी .अब जनता खुद की हालत कैसे सुधरेगी इसके लिए परेशान है क्यूंकी सभी योजनाएं भ्रष्टाचार कि भेंट चढ़ गयीं . परिणाम ढाक के तीन पांत कि तरह है
श्री नरेंद्र मोदी जो वाराणसी से बी जे पी के उम्मीदवार हैं और वे भाजपा के भावी पी एम् उम्मीदवार भी हैं उनके बढ़ते कदम को चुनौती देने कि सोंचना भूल कही जायेगी .
आप के अरविन्द केजरीवाल निस्संदेह दिल्ली के चुनाव में जनता का समर्थन पाकर मुख्य मंत्री कि कुर्सी पा गए पर आने वाले लोकसभा चुनाव में उनको निराशा हाथ लगने वाली है . वे चाहे कुछ भी जनता को बताते रहें उन्होंने जनता का विश्वास खोया है अतः वाराणसी में उनको दिल्ली जैसा जन समर्थन नहीं मिलने वाला उनको जनता राजनीती में अनुभवहीन समझ रही है और वैसे भी अरविन्द केजरीवाल बहुत जल्दी में दिखलाई दे रहें हैं जिस मुद्दे को लेकर वे जनता के बीच आये थे आज उनके लिए वह मुद्दा ही बदल गया वे चले थे ब्यवस्था परिवर्तन के लिए और अब उन्होंने साम्प्रदायिकता को अपना मुद्दा बना लिया .शायद उनको मालूम नहीं , इस देश में साम्प्रदायिकता जनता का नहीं नेताओं का मुद्दा है अतः अच्छा यही होगा वे वाराणसी को छोड़ कहीं और से चुनाव लड़ें .क्यूंकी जहाँ जहाँ मोदी रैली किये वहाँ उमड़ता हुवा जन सैलाब इस बात कि गवाही देता है की आज देश कि जनता को मोदी में अपनी उम्मीदें दिखाई दे रहीं हैं साथ ही गुजरात कि जनता ने ऐसे ही नहीं तीसरी बार अपना मुख्य मंत्री चुना है जरूर उन्होंने जनता का काम किया होगा उनकी समस्यायों को सुलझाया होगा तभी वे लगातार तीसरी बार मुख्य मंत्री बने . इन तथ्यों के आधार पर मेरे विचार से आम आदमी पार्टी को मोदी के खिलाफ अरविन्द केजरीवाल को लड़ने से मना करना चाहिए इसी में उनकी थोड़ी बहुत बची खुची इज्जत बरक़रार रहेगी और ;आप ; का भला होगा
आम आदमी पार्टी द्वारा दी जाने वाली इन गीदड़ भभकियों से भला भाजपा को क्यूँ? डर लगेगा बी जे पी एक पुरानी और राष्ट्रिय पार्टी है आज कई प्रदेशों में बी जे पी कि सरकार है और उन प्रदेशों में बी जे पी ने अपने जीत कि हेट्रिक लगाई है अतः आज नरेंद्र मोदी चाहे जिस किसी क्षेत्र से चुनाव लड़ें उनकी जीत सुनिश्चित है उनको हराने कि सोचना उस पार्टी एवं उस नेता कि भूल कही जायेगी मोदी को आज देश का गरीब वर्ग और उद्योग जगत दोनों पसंद करता है
देश कांग्रेस द्वारा किये गए घोटालों को भूल नहीं सकता आज देश कि आर्थिक बदहाली का मुख्य कारन कांग्रेस द्वारा किये गए भ्रष्टाचार और घोटाले हैं
देश कि जनता आने वाले चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सबक सिखाएगी और कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होकर रहेगा . और सबसे अहम् बात यह है कि बनारस बी जे पी का गढ़ रहा है वहाँ से भाजपा के उम्मीदवार यानि श्री नरेंद्र मोदी के आलावा और कौन जीत सकता है ?
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