Menu
blogid : 8115 postid : 707687

क्या अपने देश का सर्वोच्च न्यायलय भी राजनीती का शिकार है ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
  • 166 Posts
  • 493 Comments

देश के सबसे युवा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी के हत्यारों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ११ साल पहले फांसी कि सजा सुनायी गयी थी और हाल ही में उस फांसी कि सजा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही आजीवन कारावास में बदल दिया गया सुप्रीम कोर्ट के इस एलान के बाद तमिलनाडु कि मुख्य मंत्री जयललिता ने एक बयां जारी किया कि वे तमिलनाडु कि जेल में बंद उन चारों हत्यारों को आजाद करने वाली हैं ,उनके इस एलान के फ़ौरन बाद आज के युवा कांग्रेसी उपाधयक्ष श्री राहुल गांधी जनता को अपने चुनावी भाषण में कहते सुनायी दिए की “इस देश में प्रधानमंत्री को भी न्याय नहीं मिलता” इन सब बयानों के बाद चारो तरफ प्रतिक्रिया होने लगी .जयललिता के कथन पर सभी हैरान थे लेकिन यह सब हुवा कैसे? दस सालों से तो कांग्रेस ही सत्ता में रही है और आज के राष्ट्रपती भी कांग्रेस के ही नेता रहें हैं मंत्री भी रहें हैं और इन हत्यारों कि दया याचिका उनके पास ही सुनवाई के लिए भेजी गयी थी . कानून में इन सब के लिए क्या प्रावधान है इसकी जानकारी तो आम जनता को इतनी नहीं है पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जनता में हताशा तो जरूर है कि जब प्रधानमंत्री के हत्यारे किसी राजनीतिक कारणों से बरी किये जा सकते हैं फिर गरीबों को न्याय कहाँ से मिलेगा? जिनका मुकदमा वर्षों तक जिला न्यायालयों में ही सुना नहीं जाता . वोट बैंक कि राजनीती इतनी घिनौनी हो जायेगी इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी पर आज यही सच्चाई है अपने देश के इन्साफ के मंदिर द्वारा सुनाये गए ऐसे फैसलों से जनता के बीच न्याय के प्रति क्या सन्देश जाता है? यह एक अनुत्तरित प्रश्न है और इस पर बहस कि जरूरत है न्याय मिलने में होने वाली देरी ही इसका प्रमुख कारन है ऐसा न्यायविदों का भी मानना है
देश में दो महीने के भीतर लोकसभा चुनाव होने जा रहा है सभी पार्टी के नेतागण तरह तरह के वायदे जनता से कर रहें हैं उन वायदों में इसका खुलसा भी उनको करना चाहिए कि वे अगर सत्ता में आये तो अपने देश कि दोषपूर्ण न्याय प्रणाली में कैसे सुधार करेंगे और न्याय मिलने में होनेवाली अप्रत्याशित देरी के लिए कौन से कदम उठाएंगे न्यायालयों को भी जनता के प्रति ईमानदार और निष्पक्ष कैसे बनाएंगे? आज न्यायलय निष्पक्ष फैसले देने में सक्षम नहीं दीखता है शत प्रतिशत राजनीती से प्रेरित दीखता है अपराधी आज छूट जा रहें हैं और निर्दोष जेलों में बंद हैं अपने मुक़दमे कि सुनवाई का ही इन्तेजार कर रहें और आज लाखों मुकदमें यु ही लंबित हैं, सुनवाई के लिए फैसला तो दूर कि कौड़ी है .और जब तक इस देश कि गरीब जनता को न्यायालयों से न्याय नहीं मिलेगा सही मायनो में अपन देश एक लोकतान्त्रिक देश भी नहीं कहलायेगा .अगर लोकतंत्र को ज़िंदा रखना है, तो न्याय प्रणाली में सुधार हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए तथा चुनाव के दौरान यह आवश्यक है कि पार्टियों को, नेताओं को अपने चुनावी मेनिफेस्टो में इसके लिए भी कुछ कहना चाहिए .और न्यायालयों को राजनीती से मुक्त रखने के लिए कौन से कदम उठाये जायेंगें यह भी जनता को बताना चाहिए . .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply