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कितनी अराजक है ‘आप’ की नीति ? ‘Jagran Junction Forum ‘

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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सबसे पहले ‘आप’ कि नीतियों को अराजक कहना ‘आप ‘ को समझने में एक भूल कही जायेगी और दुःख तो तब होता है जब इस देश के महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्र के नाम सम्बोधन में गणतंत्र दिवस कि पूर्व संध्या पर यह कहना कि अराजकता को शासन का विकल्प नहीं माना जा सकता यानि साफ़ तौर पर इस देश के राष्ट्रपति महोदय जो कांग्रेस पार्टी के बहुत अनुभवी नेता रहे हैं एक तरह से निस्पक्षता से कोसों दूर नजर आते हैं उनको ऐसा बयान शोभा नहीं देता क्षमा करेंगे देश के प्रथम नागरिक कि किसी टिप्प्णी पर मुझे ऐसा लिखना पड़ रहा है जो मुझे भी दुखदायी लग रहा है लेकिन जब देश कि राजनीती में बदलाव लाने के लिए एक समाजसेवी आगे निकला है तब , उसका हौसला बढ़ाने के बजाये उसको कैसे बदनाम किया जाए? उसको कैसे फेल किया जाए, इसका भरपूर प्रयास आज देश कि तक़रीबन सभी पार्टियां कर रहीं हैं .यह सही है कि अरविन्द केजरीवाल जब गणतंत्र दिवस परेड के पहले धरने पर बैठे तो उन्होंने भी ऐसा बयान दिया था , कि अगर जनता कि मांग के लिए धरने पर बैठना अराजकता फैलाना है तो मैं सबसे बड़ा अराजक हूँ ,लेकिन उन्होंने ऐसा क्यूँ कहा? इस पर भी तो किसी को गौर करना चाहिए उनकी यह मांग कैसे गलत है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाये और दिल्ली कि पुलिस दिल्ली सरकार के अधीन काम करे जब दिल्ली कि पुलिस दिल्ली के मुख्य मंत्री या उसके कानून मंत्री कि कुछ सुनती ही नहीं फिर कानून ब्यवस्था को सम्हालने का जिम्मा किस बिना पर उनको दिया जा रहा है ? और आश्चर्य तो तब होता है जब यह मालूम है कि ऐसी मांग दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जो कि कांग्रेस पार्टी कि नेता हैं वह भी करती रहीं हैं और इसके पहले जब भी कानून ब्यवस्था के बिगड़ने का प्रश्न आया उनका एक ही जवाब होता था जब पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है तब मैं कैसे जवाबदेह हूँ कानून ब्यवस्था के लिए और सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र में भी काग्रेस पार्टी कि सरकार तब भी थी और अब भी है कम से कम केंद्र सरकार जनता को बताये तो सही कि बिना पुलिस के कानून ब्यवस्था कोई कैसे सम्हाल सकता है और उसके लिए ‘आप ‘ कैसे जवाबदेह है और यही सही कारन है कि दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल को अपने ही राज्य कि पुलिस ब्यवस्था के साथ संघर्ष करने को मजबूर होना पड़ा और जब कानून ब्यवस्था कि जिम्मेवारी उनकी है तब पुलिस भी उनकी होनी चाहिए और इसक जायज मांग को मनवाने के लिए अगर आगे भी संघर्ष करना पड़े तो उनको करना ही चाहिए . ये तो वही बात हुयी कि एक निहत्थे को सीमा पर भेज दिया जाए और कहा जाये कि जाओ तुम दुश्मन से लड़ाई करो और उसको पीछे खदेड़ दो .जो लोग आज अरविन्द केजरीवाल को अराजक कह रहें हैं उनको इसका जवाब भी देश को देना चाहिए .
संघर्ष करने को अराजकता नहीं कहा जा सकता और अरविन्द केजरीवाल इस देश कि राजनीती में बदलाव अपने संघर्ष के बल बूते लाने का प्रयास कर रहें हैं , जिसको कांग्रेस और दीगर पार्टियां अराजकता कह रहीं हैं . इस देश में बदलाव अब आकर रहेगा, अगर इस देश कि जनता आनेवाले लोकसभा चुनाव में ‘आप ‘ को वोट देकर बहुमत दिलाती है तो मेरा ऐसा विश्वास है कि देश का राजनितिक सवरूप बदलेगा देश को घोटालों और भ्रष्टाचार से भी निजात मिलेगा कामगारों को काम मिलेगा, बेरोजगारों मो रोजगार मिलेगा और फिर से यही नारा बुलंद होगा परिश्रम के आलावा कोई विकल्प नहीं ,लेकिन तब परिश्रम करने वालों को उचित मानदेय भी मिलेगा
संघर्ष करने को अराजक नीति का नाम देना वर्त्तमान नेताओं द्वारा अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ मुहीम है जिसको देश कि जनता ख़ारिज करती है, अपनी मांगों को मनवाने के लिए संघर्ष करने से ही हमेशा जनता का भला ही हुवा है क्यूंकि आज अपने देश कि आजादी भी उसी संघर्ष का हीं परिणाम है उस संघर्ष के दौरान इस देश के देशभक्तों ने अपनी जान देश के नाम कुर्बान कर दी आज हमें जो आजादी मिली है यह उनके संघर्ष एवं क़ुरबानी का ही फल है और जिसको याद दिलाने के लिए देश कि संगीत साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने अपने ६१ वर्ष पुराने गाने को आज मुम्बई में फिर से गाकर उन शहीदों कि याद देश को दिलाई जिनकी कुर्बानी आज के नेता भूल गए हैं अतः संघर्ष के द्वारा, सत्याग्रह द्वारा समाज एवं देश में बदलाव लाया जा सकता है .और अरविन्द केजरीवाल के संघर्ष से देश कि जनता का भला होगा कोई खामियाजा नहीं भुगतना पडेगा हाँ ! विरोधी दलों को जनता से कटे रहने का दंश भी झेलना पड़ेगा और खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा तहत उनकी लोकप्रियता भी कम होगी. चुनाव में सीटें भी कम होंगी और किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलनेवाला चाहे वह कांग्रेस हो या बी जे पी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दोनों पार्टियों कि नीतियां एक सी रहीं हैं . आज देश कि बदहाली का कारन यही दोनों राष्ट्रिय पार्टियां हैं
मौजूदा ब्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए पूरे देश में एक राजनितिक और वैचारिक क्रांति कि जरूरत है और ‘आप’ ऐसी ही क्रांती पूरे देश में करना चाहती है जन जन से मिलकर उनकी समस्यायों को जिला से लेकर ग्रामीण स्तर तक आप अपनी क्रांति कि लहर को ले जाना चाहती है और इसमें उनका साथ जनता भी दे रही है ‘आप ‘ कि नीतियों को अब तक सही माना है तभी तो १५ दिनों के सदस्यता अभियान में आप कि सदस्यता लेने वाले एक करोड़ के आकड़े को छू लिया और नित नए लोग सदसय बन रहें हैं आप से जुड़ रहे हैं और उनके साथ मिलकर संघर्ष करने को आगे आ रहें हैं राज्यों में धरना प्रदर्शन होना शुरू हो गया है जिसको आप टेलीवजन पर देख सकते हैं इसमें संदेह नहीं देश कि टेली मिडिया ने भी ‘आप’ का सतह दिया है और अरविन्द केजरीवाल कि टीम का सन्देश लोगों को तक पहुचाया है और दिल्ली में ‘आप ‘ सरकार बन चुकी है १६ महीने के छोटे काल में एक पार्टी बंटी है चुनाव लड़ती है और उस पार्टी का नेता दिल्ली का मुख्य मंत्री चुना जाता है यह देश कि राजनीती के इतिहास में एक नया प्रयोग है और यह सफल प्रयोग अतः ‘आप कि नीतियों को गलत कहने वाले गलत हैं ‘आप ‘ नहीं .

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