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सपा उठाएगी राहुल गांधी बनाम कुमार विश्वास की जंग का लाभ ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की स्थिति आज वैसी नहीं जो वहाँ के पिछले विधान सभा चुनाव के समय थी उस समय वहाँ की जनता मायावती के शासन से त्रस्त थी और यही कारन है की समाजवादी पार्टी भरी बहुमत से चुनाव जीत गयी और आज वहाँ एस. पी का राज है परन्तु आज स्थिति दुसरी है आज उत्तर प्रदेश की जनता मुलायम सिंह के गुंडों के जुल्म से आये दिन रुबरु हो रही है यहाँ तक की वहाँ की पुलिस भी बर्बरता पर उतर आयी है और गुंडों का ही साथ देती हुयी नजर आती है ऐसे में जनता अपने आपको बेचारा और ठगा हुवा महसूस कर रही है
अभी ताजा उदहारण मुजफ्फर नगर दंगों का है सैकड़ों लोग इस दंगे में मारे गए और हजारों आज भी राहत शिविरों में भयकर सर्दी में ठंढ से तड़प तड़प के जान गवां रहें हैं और आलम यह है की उनका मंत्री कहता है ठंढ से अगर कोई मरता होता तो साइबेरिया में कोई भी नहीं बचता जरा सोचिये उन सज्जन को यह पता नहीं की साइबेरिया में रहने वाले राहत शिविरों में नहीं रहते .और राहत शिविरों में रहना और घर की चहारदीवारी में सुख सुविधा से लैस होकर रहने में कितना अंतर है जैसे मंत्री साहब अपने सरकारी बंगले में रहते हैं एक पुरानी कहावत है “वो क्या जाने पीड परायी जिसके पैर ना फटे बिवाई ” एक रात के लिए उस नेता को राहत शिविर में रहने को मजबूर यदि मुलायम सिंह करते तब जरूर वहाँ की जनता समझती की मुलायम सिंह गरीबों अल्पसंख्यकों के हिमायती हैं जो नेताओं के गलत बयानी पर उनपर उचित कारर्वाई करते हैं पर मुलायम सिंह ने कहा अब जो लोग शिविरों में रह रहें हैं वे सरकार को बदनाम करने और सरकार से मुवावजा लेने
के लिए शिविरों को खाली नहीं कर रहें हैं और यह विरोधियों के लोग है और वर्त्तमान सरकार को बदनाम करने के लिए यह उनकी चाल है यह विचार करने लायक सवाल है . अरे भाई , राजनीति नेता लोग करें और पिसे जनता यह कहाँ का न्याय है ? अतः कांग्रेस पार्टी को अगर भय है भी तो ‘आप ‘ से लेकिन कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के इशारों पर नाचने की नौबत ही नहीं आने वाली उत्तर प्रदेश में क्यूंकी समाजवादी पार्टी को आने वाले लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है उनके जन विरोधी नीतियों और कानून ब्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने में उनकी नाकामी इसका मुख्य कारन रहेगा ऐसा मेरा राजनीतिक विश्लेषण एवं विचार है.
आम आदमी पार्टी को २८ सीटों पर जीत हासिल हुयी पहले उन्होंने किसी पार्टी का समर्थन लेकर सरकार बनाने से मना किया लेकिन ‘आप ‘ ने जनता से अपनी राय माँगी जनता ने कहा’आप ‘ को सरकार बनानी चाहिए फिर बहुत मजबूर होकर ‘आप ‘ ने जनता के हित में अपने वसूलों के खिलाफ ऐसा फैसला लिया क्यूंकि किसी की सरकार नहीं बनने की सूरत में दिल्ली में फिर से चुनाव कराना पड़ता और दिल्ली एवं देश की जनता पर खर्च के अनावश्यक बोझ पड़ता जिससे न जनता को फायदा होता ना ही देश का अतः जो पार्टी महज १५ महीने पहले बनाई गयी उसने देश की राजधानी दिल्ली में सत्ता पलट कर दिया अतः ‘आप ‘ की शक्ती को चुनौती देना अब आसान नहीं लेकिन मैं यह भी बताना यहाँ जरूरी समझता हूँ की जिस तरह आम आदमी पार्टी के नेताओं में मतभेद उठने शुरू हो गए हैं उसको अगर समय रहते सुलझाया नहीं जाता और ‘आप ‘ के क्षुब्ध नेता मिडिया में जाकर उलटे सुल्टे बयान से परहेज करते अपने मतभेदों क़ो पार्टी के भीतर सुलझाने का प्रयास करते ,तो ‘आप ‘ के विधायकों क़ो मंत्री पद का लालच देकर बी जे पी अपने साथ मिलाने का प्रयास नहीं करती लेकिन बी जे पी ऐसा कर रही है ‘आप ‘ के दो बागी नेता उनके संपर्क में हैं अपने क़ो त्याग बलिदान की मूरत कहने वाले वाले ‘आप ‘ के नेता इस तरह मंत्री पद पाने के लालची बनकर यूँ विरोधियों के खेमे में जुड़ने क़ो ना तैयार होते ऐसे में आप क़ो दिल्ली सम्हालना ही मुश्किल होगा और उनकी सरकार ही नहीं बचेगी और गिर जायेगी जिसकी सम्भावना आज बंटी दीख रही है और जब आप से दिल्ली नहीं सम्हल रही है ,फिर देश क्या खाक वे सम्हालेंगे? अतः इस बदलते माहौल में ‘आप ‘ का कोई कमाल उत्तर प्रदेश की सियासत में होगा यह कहना अभी मुश्किल है अगर ‘आप ‘ ने ३ महीने दिल्ली की सरकार क़ो चला लिया तो यु पी में सपा क़ो नुकसान होगा कांग्रेस क़ो फिर भी फायदा होगा और .’आप’ तभी कोई कमाल उत्तर प्रदेश में दिखा पायेगी जब वह दिल्ली में सरकार में टिकी रहेगी यु पी ही नहीं पूरे देश की जनता का विश्वास बनेगा और ‘आप ‘ पर भरोसा जनता का बनेगा और ऐसे में ‘आप ‘ यु पी ही क्यूँ पूरे देश में कमाल दिखाने में कामयाब होगी.
राहुल और कांग्रेस पार्टी दोनों क़ो मालूम है की आज देश की जनता उनसे बहुत खफा है और कांग्रेस द्वारा सताई गयी है ९ साल तक घोटाले करती रही अब चुनाव का समय आया तब अपनी कामयाबियां गिना रही है क्या जनता इतनी मूर्ख है जो चुनाव आते ही अपने दुःख दर्द क़ो भूल जायेगी जो कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचारियों क़ो बचती रही अपराधियों क़ो सी बी आयी से बचती रही और उनके समर्थन से सरकार चलाती रही उस दुखी जनता क़ो क्या फिर से कांग्रेस पर भरोसा होगा ? यह असम्भव है अतः कांग्रेस कुछ भी करती रहे आने वाले लोकसभा चुनाव में उनका सफाया तय है और रही बात राहुल गांधी की वे अपनी अमेठी सीट क़ो बचा पाएं तो बहुत कहा जायेगा ९ साल से सक्रीय राजनीती में वे भी रहें हैं जब जब उन्होंने कांग्रेस की चुनावी कमान सम्हाली है एक कर्णाटक क़ो छोड़ हर जगह हार ही देखने क़ो उनको मिला है वह भी कर्णाटक की जनता यदुरप्पा के भ्रष्टाचार और कुशासन से तंग थी इसलिए भाजपा वहाँ हार गई.. अभी युवराज राहुल जी क़ो अगले लोकसभाः चुनाव का इन्तेजार करना होगा .
अमेठी एवं रायबरेली कांग्रेस का गढ़ रहा है पर पिछले विधान सभा चुनाव में वे केवल कुछ सीटें ही जीत पाये थे उसका कारन भी केंद्र में कांग्रेस के कुशासन का प्रभाव ही था अतः कांग्रेस का अपना ग़ढ बचाना इस बार असम्भव नहीं तो मुश्किल जरूर दीखता है.

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