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दंगा पीड़ितों पर सियासी राग – jagran junction forum

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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यु पी के मुजफरनगर में कुछ महीने पहले दंगे हुए कई लोगों कि जानें गयीं लोगों ने अपनों को खोया कितने अनाथ हो गए कितनी महिलाएं विधवा हो गयीं और प्रशासन पूरी तरह से इसे रोक पाने में असफल रहा और हालत ऐसे हो गए कि लोग अपने गाव में ही जाने से डरने लगे और गाव से पलायन कर सरकार द्वारा बनाये गए राहत शिविरों में रहने को मजबूर हुए वर्ना कोई ब्यक्ति सर्दी कि आफत भरी रात में बच्चों सहित राहत शिविरों में रहने क्यूँ जाता? चुकी सरकार बिलकुल बिफल रही लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में और अराजक तत्वों को सलाखों के पीछे ले जाने में. क्यूंकि ये लोग तो समाजवादी पार्टी के ही समर्थक हैं फिर सरकार भी क्यूँ कर उनको रोकती अतः इन परिस्थितियों में सपा सरकार कि कार्यप्रणाली पर संदेह होना बिलकुल सही कहा जायेगा. यु पी में काबिज समजवादी पार्टी कि सरकार एक संवेदनहीन सरकार बनकर रह गयी है .जहाँ जनता राहत शिविरों में दिन/रात गुजारने को मजबूर है और वहाँ के मंत्री विदेश कि सैर करने निकल गए हैं जिस पर सर्कार का करोड़ों का खर्च होना है . राहत शिविरों में रह रहे लोगों को मुवावजा देने को सरकार के पास पैसा नहीं है पर मंत्रियों को विदेश घूमने जेन का पैसा जरुर है .
आज राजनीती के हालात ऐसे हैं कि नेता एवं पार्टियां दंगा पीड़ितों कि तकलीफों को दूर करने के बजाये उनकी दयनीय हालत पर सियासत ही कर रहें हैं , एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहें हैं और राहत शिविरों में बच्चे ठंढ से मर रहें हैं इस दुखद घटना पर एस पी के मंत्री कहते हैं मरना तो प्राकृतिक खेल है लोग महलों में भी मरते हैं उनकी नजर में महलों में मरने वाले और ठंढ से राहत शिविरों में मरने वालों में कोई फर्क नहीं है अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज यु पी कि सरकार कितनी संवेदनशील है. अरे , कुछ कर नहीं पाते तो सताए हुए लोगों के घाव पर कम से कम नमक मिर्च तो न डालें. हद तो तब हो गयी जब प्रदेश के मुख्य मंत्री अपने गाव सैफई में फ़िल्मी सितारों के कार्यकर्म (नाच गाने ) में मौज मस्ती करते दिखे जब मिडिया ने सवाल किया कि एक तरफ राहत शिविरों में लोग ठंढ से मर रहें हैं और आप मौज मस्ती कर रहें हैं तो उनका जवाब था यह देश का सालाना जलसा है इसको तो करना ही था और राहत शिविर कि बात गलत है वहाँ पूरे इंतेजाम हैं . अब किसकी बात को सही माना जाये मुलायम सिंह जी तो मिडिया पर ही आरोप लगाते हैं और किसी आलोचना को विपक्षियों कि चाल कहते हैं .
जब जब उत्तरप्रदेश में सपा कि सरकार रही है प्रदेश में गुंडा राज रहा है मुझे तो यु पी कि जनता पर तरस आता है कि कैसे वहाँ कि जनता ने मुलायम सिंह कि पार्टी को पूर्ण बहुमत से जिताया है यह यु पी का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा क्यूंकि एस पी कि सरकार शांती ब्यवस्था को स्थापित करने में हमेशा नाकाम रही है और यह सारा खेल किसी एक समुदाय के वोटों को हासिल करने का हथकंडा है अतः जब भी कभी कानून ब्यवस्था में खामी नजर आती है सत्ता में काबिज सरकार उसको विपक्षियों कि साजिश कह कर अपन पल्ला झाड़ लेती है कभी मिडिया का नाम ले लिया जाता है अतः मेरी राय में सपा सरकार पर लगाये जा रहे आरोपों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता .
सपा के मुलायम सिंह कहते हैं अब थोड़े लोग ही राहत शिविरों में रह रहे हैं और वे भी ऐसे लोग हैं जो केवल मुवावजे के लालच में वहाँ टिके हैं .मैं सरकार के इस कथन से कतई इत्तेफाक नहीं रखता और जैसा कि टेलीविजन पर दिखाया जा रहा है वहाँ लोग कितनी बदहाली में रह रहें हैं यह किसी से छिपा नहीं है हाँ सरकार एकदम अंधी बनी हुयी है उसको तो यु पी के लोगों ने ५ साल के लिए चुन लिया है अब वहाँ कि जनता को ही यह सितम झेलना पड़ेगा .अफ़सोस तो इस पर होता है कि कांग्रेस पार्टी जो केंद्र में सत्ता पर काबिज है और एस पी के समर्थन से चलायी जा रही है उनके युवा नेता राहुल गांधी भी किसी तरह का राहत वहाँ के लोगों को नहीं पहुचाते क्या ऐसा करके वे आने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को जीता पाएंगे ? यह भी एक अनुत्तरित प्रश्न है ?

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