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केवल आरोप के आधार पर राजनैतिक प्रतिबन्ध – कितना जायज

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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वास्तव में आज राजनीती में मात्र आरोप- प्रत्यारोप कि भाषा ही ज्यादा हिट हो रही है और ऐसे में जनता मूर्ख बनी इन नेताओं के आरोप प्रत्यारोप को ही मुख्य खबर समझकर पढ़ने को बाध्य है आज टेलीविजन और अखबार केवल और केवल नेताओं के आरोप प्रत्यारोप से भरे रहते हैं ऐसे में राजनितिक सुधार कि उम्मीद आज के नेताओं और राजनीतिबाजों से रखना बेमानी है और कपिल सिब्बल द्वारा यह प्रस्ताव कि जिन पर गम्भीर आरोप लगे हैं और जिनको सजा सुनाया गया है उनकी सदस्यता ख़तम होनी चाहिए यह सही कदम है और मेरी राय में इससे भी सही कदम वह होगा कि आने वाले चुनावों में कोई भी राजनीतीक पार्टी किसी ऐसे नेता को टिकट ना दे जिन पर कोई आरोप लगा हुवा है क्यूंकि जहाँ तक आरोप के झूठ होने कि बात है वह आम तौर पर होता नहीं है जिस देश में सरेआम घटना होती है और उसका ऍफ़. आई. आर दर्ज करवाना टेढ़ी खीर होता है ऐसी कानून ब्यवस्था में कोई झूठा आरोप क्यूँ कर लगा सकता है? हाँ! अपराधी जरुर कह सकता है उस पर झूठा आरोप लगाया गया है अगर वह ऐसा कहता है तो उससे यही कहा जाना चाहिए कि वह कोर्ट से साबित करा लाये कि उस पर झूठा इल्जाम लगा है . अतः जिन पर आरोप लगे है उनको(आरोपितों ) राजनीती में आने से रोका जाना चाहिये तभी अपने देश में राजनैतिक सुधार कि उम्मीद की जा सकती है और इस प्रस्ताव का विरोध कतई नहीं किया जाना चाहिए
यह बात तो सही है कि आरोप झूठा हो सकता है पर आरोप झूठा है या सच्चा इसको पता लगाना तो पुलिस और सी बी आई के हाथों में है जब पुलिस अपना काम ईमानदारी से करेगी फिर तो सच झूठ का पता लगाया ही जा सकता है लेकिन अपने देश में पुलिस को काम कहाँ करने दिया जाता है पुलिस तो हर वक्त दबाव में रहती है नेताओं कि सुरक्षा में लगी रहती है जिनमें वे अपराधी नेता भी शामिल हैं जब एक अपराधी कि ही सुरक्षा अपने देश कि पुलिस करेगी फिर सच झूठ का पता कौन लगाएगा अतः सबसे पहले पुलिस के काम काज में सुधार कि जरुरत है और पुलिस सुधार तो आज तक हुवा ही नहीं है क्या यह बात कपिल सिब्बल नहीं जानते ?सुप्रीम कोर्ट ने वर्षों पहले उन सुधारों को लागु करने कि बात कह चुकी है लेकिन नेताओं कि राजनितिक इक्षा शक्ति ही नहीं है कि कोई सुधार हो और आज देश कि दोनों राष्ट्रिय पार्टियों में आपराधिक छवि वाले नेता शामिल हैं क्या आने वाले लोकसभा चुनाव में ये पार्टियां उन अपराधियों को टिकट नहीं देगी अगर ये पार्टियां आने वाले लोकसभा चुनाव में निश्चय कर लें कि किसी आरोपित अपराधी को टिकट नहीं देंगे. बस इतना कर दें, किसी नए कानून कि जरुरत ही नहीं होगी और राजनीती में सुधार आ जायेगा .
राजनीती में सुधार का मात्र एक ही तरीका है अपराधियों को चुनाव में हिस्सा न लेने देना और उनके खिलाफ लगे आरोपों कि त्वरित जांच कराकर उनको जेल भेजना सुधार का यही तरीका जायज है जिस ब्यक्ति में सेवा भाव है ही नहीं वह राजनीती किस बात कि करता है नेता चुने जाते ही अपनी सुरक्षा कि चिंता ज्यादा करता है जनता जाये भांड में किसी नेता को क्यूँ सुरक्षा चाहिए अगर वह जनता का नेता है एक लोकप्रिय आदमी है उसको अपने देश में ही खतरा क्यूँ है उसको वि आई पी क्यूँ? कहा जा रहा है पहले इस पर विचार होना चाहिए नेता मतलब सेवक होना चाहिए नेता मतलब राजा नहीं होना चाहिए जबकि अपने देश में लोकतंत्र है और लोकतंत्र में नेता लोक सेवक हैं नाकि राजा जब हजारों लाखों लोगों कि सुरक्षा भगवन भरोसे इस देश में है फिर एक नेता कि सुरक्षा के इतने इंतेजाम क्यूँ है ? आज राजनीती में सबसे बड़ा सुधार यही होना चाहिये. अदालतों को भी एक समय सीमा दी जानी चाहिए मुकदमों के निपटारे के लिए बेकसूर कितने ही आज जेल में बंद हैं और कसूरवार आजाद घूमरहें हैं यह क़ानूनी भ्रष्टाचार का नमूना है .अतः जनता के हक़ में यही होगा कि अगले चुनाव में ये पार्टियां किसी भी अपराधी को टिकट ना दे वर्त्तमान में १६२ सांसद तो अपराधी घोषित किये जा चुके हैं अब पार्टियों ने देखना है वे इन अपराधियों को चुनाव ना लड़ने दें और कोई दूसरा तरीका राजनीती में सुधार का नहीं ला सकते हैं अगर पार्टियां चाहें तो जरुर सुधार हो
सकते हैं .

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