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जनमत को प्रभावित करता है चुनाव पूर्व सर्वेक्षण ? ” Jagran junction forum ”

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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देश में कई तरह के सर्वेक्षण होते रहते हैं उनमें चुनाव सर्वेक्षण भी एक है और यह कवायद टेली मीडिया वाले करते रहते हैं और कभी कभी ये सर्वेक्षण काफी भ्रामक स्थिति पैदा करते हैं और ऐसी सूरत में लोगों का विश्वास मीडिया वालों से उठता चला जाता है और ऐसे सर्वेक्षण करवाने से राजिनितक दलों के क्रिया कलापों पर भी एक गंभीर प्रश्न उठने लगता है आखिर ये राजनितिक दल और नेता जनता को कैसे सपने दिखा रहें हैं जिनकी सच्चाई पर हमेशा संदेह ही दीखता है राजनितिक दल देश को किस हाल में ले आये हैं? यह अपना देश तो क्या पूरे विश्व के देश के लोग भी यह सब देख कर चकित हो रहे हैं अब तो इस देश में साधू सन्त भी सर्वे कर रहे हैं और बता रहें हैं, फलां? जगह पर एक हजार टन सोना दबा हुवा है और अपने देश की सरकार किसी ऐसे ही साधू के सपने को सही मानकर और ऐसे सपनों का यकीन करके खुदाई करवाने लगी है यह भी एक सर्वे ही है .अतः ऐसे बेतुके हरकतों से अपने देश के राजनितिक दल अपनी विश्वसनीयता अवश्य खो रहें हैं और उस पर खतरा भी पैदा हो रहा है . आज केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार है और हमेशा बी जे पी को कोसती रहती है यह कह कर की उनकी राजनीती भगवा राजनीती है क्या जो आज कांग्रेस करवा रही है उसको भगवा राजनीती नहीं कहेंगे . संत लोग तो भगवा कपडे धारण करने वाले लोग ही होते हैं अतः इसका एक ही मतलब है देश की जनता का ध्यान किसी प्रकार से समस्यायों से हटा रहे . और यह कांग्रेस भ्रष्टाचार और जांच करते हुए बाकी के ६ -७ महीने पूरा कर ले
जहाँ तक जनता का प्रश्न है वो तो साफ़ है इस देश की जनता सब कुछ भुला देती है जब चुनाव आता है और जो उनको कुछ पैसे या शराब दे देता है उसके पक्ष में वोट करती है अतः ऐसे चुनाव पूर्व सर्वेक्षण का उस वर्ग की जनता पर कोई असर नहीं होता और इस देश का बुद्धिजीवी वर्ग अभी तक वोट देने में इतना रूचि नहीं रखता ज्यादा तर बुद्धिजीवी लोग चुनाव के दिन छुटियाँ मनाने किसी नजदीकी पहाड़ी क्षेत्र की ओर निकल जाते हैं . लेकिन इस बार के चुनाव में खासकर दिल्ली विधान सभा के चुनाव में एक नयी पार्टी जिसका नाम “आम आदमी पार्टी” है ,और जो ” आप ” के नाम से भी जानी जाती है उसने अपने चुनाव प्रचार अभियान में एक नयी शुरुआत की है वह है हर घर पर जाकर उनसे मिलकर अपने चुनावी वायदों को बताना और हर किसी से वोट देने के लिए आग्रह करना और ऐसी उम्मीद की जाती है की उनके प्रचार के इस तरीके से लोग वोट देने के प्रति ज्यादा जागृत होंगे और उस(चुनाव ) रोज छुट्टी करने के बजाय मतदान केंद्र पर जायेंगे और अपना मत देंगे अतः और चुनावों की अपेक्षा आने वाला विधान सभा चुनाव जो की ५ राज्यों में होने जा रहा है यह चुनाव कुछ हटके होगा और चुनाव परिणाम भी चौंकाने वाले होंगे मेरा मानना है की अगर इस देश की जनता खासकर अगर दिल्ली की जनता भ्रष्टाचार ,महंगाई और घोटालों से निजात पाना चाहती है तो आम आदमी पार्टी को चुनाव में विजयी बनायेगी और अपनी तकदीर को बदलता हुवा देखेगी
जब से अपने देश में सर्व शिक्षा अभियान की योजना चलायी गयी है तब से शिक्षा के क्षेत्र में थोडा बहुत सुधार भी जरुर हुवा है और अब ज्यादातर लोग शिक्षित हुए हैं शिक्षा की पहुँच ज्यादा तर आबादी तक पहुची है अतः जनता भी पहले की अपेक्षा कुछ समझदार हुयी है और जरूर जनता जो थोडा बहुत भी पढ़ी लिखी है वह चुनाव के समय अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए मतदान में हिस्सा लेगी अपना मत देगी और एक सच्चे और इमानदार छवि वाले उम्मीदवार को जितायेगी वह उमीदवार किसी पार्टी का भी हो सकता है जिसने अपने क्षेत्र में काम किया होगा और उस क्षेत्र की जनता की समस्यायों का समाधान किया होगा तो जरूर उसीको जिताने के लिए अपना मत देगी हाँ! लेकिन ऐसा केवल शिक्षित मतदाता ही करेंगे अशिक्षित लोग तो अभी भी वही करेंगे जो करते आये हैं हाँ अगर चुनाव आयोग शख्ती करे और चुनाव में धन और शराब का उपयोग न होने दे तब तो जरूर जनता इस बार समझदारी का परिचय देगी ..और देश की राजनीती में एक परिवर्तन दिखेगा .
मेरी राय में चुनाव पूर्व सर्वेक्षण पर थोडा लगाम तो जरूर लगना चाहिए यह रोज रोज का सर्वेक्षण जनमत को दिग्भ्रमित करेगा और इसमें मैं देश की राजनीती को नुक्सान होता देख रहा हूँ आज नेताओं के ब्यवहार और उनके काम करने के तरीके से जनता पहले ही तंग है क्यूंकि पिछले १० सालों में घोटालों की भरमार रही है और देश का धन दोनों हाथों से नेता और अधिकारीगन लूटते रहे हैं और आज तक न ही किसी को सजा मिली न हीं उनकी संपत्ति को कुर्क किया गया जो धन जनता की गाढ़ी कमाई से उपार्जित किया गया था उसको हमारे नेता विदेश के स्विस बैंक में रख दिए हैं जो वहीं पड़ा सड़ रहा है. देश में इतनी आर्थिक तंगी आयी फिर भी इन नेताओं को उस धन को वापस लाने की नहीं सूझी अतः कोई सर्वेक्षण करना भी है तो विदेश में पड़ा धन कैसे आयेगा इसके लिए कराया जाए बाकि चुनाव पूर्व सर्वेक्षण बेमानी है और उसकी सत्यता और वैधता पर भी यकीन करना मुश्किल है
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