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छोटे राज्य – तेज विकास या फिर विशुद्ध सियासत “Jagran junction forum ”

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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तेलंगाना जैसे छोटे राज्यों के गठन से निश्चित रूप से राजनैतिक अस्थिरता पूरे देश में फैलेगी क्यूंकि वर्तमान हर राज्य छोटे राज्यों की मांग करने लगेगा और जैसा की कहा गया है इसी तरह छोटे राज्यों के गठन की मंजूरी मिलती गयी तब वह दिन दूर नहीं जब देश का हर जिला कहेगा हमें अलग राज्य का दर्जा दिया जाए और इस तरह अपने देश में ६०० छोटे छोटे राज्यों का गठन करना पड़ेगा यह केंद्र सरकार और कांग्रेस की अदूरदर्शिता ही कहलायेगी और ऐसे राज्यों के गठन की मंजूरी देने के पहले स्थानीय मुद्दों, जरूरतों को पहले पहचानना जरूरी है क्यूंकि जब तक विभाजित होने वाले प्रदेश जिसमें दोनों हिस्सों की रजामंदी होना जरुरी है अगर विभाजन से पहले इसका ख्याल रखा जाता तो आज जो आंध्र प्रदेश सुलग रहा है ऐसा नहीं होता जब इतना विरोध दोनों क्षेत्रों के नेताओं में था तो पहले विरोध को समाप्त करने की जरूरत थी .तब राज्य के गठन को मंजूरी देनी थी इसके पहले उत्तराखंड ,छत्तीसगढ़ और झारखण्ड का गठन हो चूका है उसके कोई खास अच्छे परिणाम नहीं हुए हैं हाँ ! नेताओं की संख्या और अधिकारीयों के पदों में बढ़ोतरी जरुर हुयी है बाकी तो प्राकृतिक संसाधनों का मनमाना दोहन हुवा है अवैध खनन को बढ़ावा मिला है विकास के नाम पर प्रयावरण के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ हुवा है जिसका एक भयकर परिणाम पिछले दिनों उत्तराखंड में आयी तबाही के रूप में लोगों को देखने को मिला यह अंधाधुंध विकास, पहाड़ों का कटना हमारे प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ता है और देश का पर्यावरण विभाग किसी योजना को मंजूरी देने के लिए क्या मानक होने चाहिए इस पर ध्यान न देते हुए प्रशासनिक अधिकारीयों एवं नेताओं की जेब में कितना माल भरा गया है उसको ध्यान में रखा जाता है कोयला घोटाला उसका एक नमूना है जब तक झारखण्ड नहीं बना था कोयला घोटाला भी नहीं हुवा था अतः आज अगर ये नेता सोचते हैं की जनता मूरख है छोटे राज्य का गठन करने से वहां की जनता को कोई सुविधा सहूलियत होगी , तो वे भुलावे में हैं आज जनता जान गई है किसी राज्य के टुकड़े क्यूँ किये जा रहें हैं और इसके पीछे क्या है ? केवल राजनितिक लाभ ये नेता लेना चाहते हैं यह सबको दिखलाई पड़ रहा है जितने राज्य उतने मुख्यमंत्री उतने मंत्री उतने अधिकारी और लूट की छूट बस यही सपना मन में संजोये ये नेता ऐसा कर रहें हैं कोई अगर भूख हड़ताल पर बैठा है तो क्या जनता के लिए बैठा है वह तो अपने राजनितिक भविष्य और राजनितिक लाभ के लिए बैठा है आज अपने नेता जन सेवक या लोकसेवक नहीं हैं ये नेता रजा की तरह रहते हैं और गरीब जनता की घडी कमाई को घोटालों और भ्रष्टाचार के रस्ते लूटते हैं .
अलग राज्यों की मांग अगर इसी तरह पूरी होती रही तो यह अनवरत श्रंखला का रूप जरुर ले लेगी और देश का ज्यादा समय विकास कार्यों में न लगकर केवल राज्यों के विभाजन और गठन में लगता रहेगा अतः ऐसी मांगों को फ़ौरन ख़ारिज करने की जरूरत नेता तो आन्दोलन करते रहते हैं उनको करते रहने देना चाहिए पर अनुचित मांगों को मानने का परिणाम क्या होगा यह सरकार को मालूम हो गया होगा इस पूरे कवायद में कांग्रेस को क्या लाभ मिला इसका गुना भाग भी अब कांग्रेस को कर लेना चाहिए .
मेरी राय में छोटे राज्यों के गठन से ना राजनितिक ना ही प्रशासनिक दृष्टि से बेहतर तरीके से काम करने में कोई सफलता मिलती है हाँ इसके दुष्परिणाम जरुर होते हैं प्रदेश में राजनितिक अस्थिरता आती है एक नयी पार्टी उठकर कहदी होती है मतों का विभाजन होता है और देश पर चुनाव का बोझ बढ़ता है वैसे ही अपने देश में चुनाव हर साल होता ही रहता है कभी किसी राज्य में तो कभी किसी में इससे देश का प्रशासनिक खर्च भी बहुत बढ़ जायेगा जिसपर सरकार आज कटौती करने की सोच रही है क्यूंकि आज प्रशासनिक खर्च का बहुत बड़ा बोझ देश पर है अतः विभाजन के किसी प्रस्ताव का विरोध होना ही चाहिए. आज जरुरी है सरकारी काम- काज में और ज्यादा पारदर्शिता लाने की जनता को सुचना के अधिकार को और मजबूत बनाने की नेताओं एवं अधिकारीयों को और ज्यादा जवाबदेह बनाने की अगर कोई सुधार ही करने हैं तो इन सुधारों कीओर सरकार का ध्यान जाना चाहिए आज न्याय लोगों को नहीं मिल रहा है करोडो मुकदमें अदालतों में लंबित है लोग जेलों में अनावश्यक भी बंद हैं अगर कुछ करना है तो न्यायालयों की संख्या बढ़ायी जाये ,जजों की संख्या बढ़ायी जाये वकीलों की संख्या बढ़ायी जाये ताकि लोगों को जल्दी न्याय मिले .
उत्तराखंड छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड राज्यों का उदहारण सामने रखते हुए आज फैसला यह लेना चाहिए की और अब विभाजन ना किया जाये .
बड़े राज्यों के होने का फायदा यह है की उनकी उत्पादन क्षमता तथा भौगोलिक विभिन्नताओं का बेहतर इस्तेमाल करके उच्चतम निष्पादन किया जा सकता है इससे मैं सहमत हूँ आज जरुरत है संसाधनों का जन जन तक पहुच हो सबको उसका हिस्सा मिले सबको स्वास्थ्य ब्यवस्था का लाभ मिले गाँव एवं छोटे शहरों में जहाँ शौचालय नहीं है वहां शौचालय बनाये जाएँ ताकि हमारा पर्यावरण दूषित होने से बचे .

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