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“Contest ” ‘हिन्दी बाजार की भाषा है , गर्व की नहीं ‘ या ‘हिंदी गरीबों, अनपढ़ों की भाषा बनकर रह गई है ‘ – क्या कहना है आपका ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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मेरा कहना है! – हिन्दी हमारे देश वासियों के लिए गर्व की भाषा है ,क्यूंकि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है . हाँ अगर इसे राजभाषा का दर्जा भी अगर मिल जाता तो हिन्दी का तो भला होता ही लोगों का भला भी होता अंतर राष्ट्रिय जगत में भी हिन्दी को ख्याती मिलती. रही, बात हिन्दी को बाजार की भाषा बनाने की तो इसमें संदेह नहीं की अगर हिन्दी को बाजार की भाषा भी अगर , बनाया गया तो इसमें हिन्दी का ही भला है और इससे हिन्दी को ज्यादा से ज्यादा लोग पढना- लिखना और सीखना चाहेंगें
हिन्दी आज गरीबों और अनपढ़ों की भाषा ना रहकर पढ़े लिखे विद्वानों की भाषा आज बन गई है और खासकर जबसे देश में कम्पूटर क्रांती आई है तब से हिन्दी भाषा का उत्तरोतर विकास ही हुवा है और हिन्दी और ज्यादा लोकप्रिय हुई है .हिन्दी में ब्लाग लिखने वाले ब्लागरों की संख्या भी उत्तरोतर बढ़ती जा रही है इससे भी हिन्दी के प्रचार प्रसार एवं ब्यवहार में बढ़ोतरी हुयी है और निश्चीत तौर पे आज हिन्दी बोलने समझने वालों की संख्या में वृद्धि हुयी है आज हिन्दी भषा का ब्यवहार बोल- चाल में बढ़ा है अब दक्षिण भारत के लोग भी हिन्दी बोलने में कोई संकोच नहीं करते ना ही हिन्दी का विरोध करते हैं एक समय था जब दक्षिण भारत के लोग हिन्दी का विरोध करते थे पर आज ऐसा नहीं है आज तो टेलीविजन पर भी दक्षिण भारत के लोग हिन्दी में समाचार पढ़ते दीख जायंगें हिंदी को बढ़ावा देने में केन्द्रीय विद्यालयों में हिन्दी का अनिवार्य विषय बनाकर पढाया जाना भी हिंदी को बढ़ावा देने में ज्यादा सहायक सिध्ध हुवा है और वो दिन दूर नहीं जब देश के सभी राज्यों में लोग हिन्दी में संवाद करने में गर्व महसूस करेंगे बस आज जरुरत है हिंदी को सरकारी मान्यता मिले और हिन्दी पढने लिखने वालों को बढ़ावा मिले, प्रोत्साहित किया जाये हिन्दी में जयादा से ज्यादा रोचक जानकारी किताबों द्वारा उपलब्ध कराई जाये हिंदी भाषा में पुस्तकों को बाजार और विद्यालयों में उपलब्ध कराया जाए और सरकारी काम काज में हिन्दी में कार्य करने की अनिवार्यता बनाई जाये जरुरत पड़े तो इसके लिए कोई सख्त कानून लाया जाये . क्यूंकि नेहरु जी ने भी कहा था जिस देश के लोग अपनी राष्ट्रभाषा पर गौरव नहीं करेंगे उसका ब्यवहार नहीं करेंगे उस देश की सर्वांगीन विकास एवं उन्नति नहीं हो सकती . अतः हमें, मेरा मतलब है , देशवासियों को हिंदी भाषा पर गर्व होनी चाहिए .

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