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चुनावी “मुद्दा “

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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देश के ४ राज्यों में विधान सभा चुनाव कुछ ही महीनों में होनेवाले हैं ऐसे अवसर पर आज अख़बार में कांग्रेस के युवा केन्द्रीय मंत्री श्री सचिन पायलट ने ,पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनावों को एक दिन और एक ही समय कराये जाने की पैरवी की है यह एक महत्वपूर्ण सुझाव है क्यूंकि ऐसा करने से देश का ढेर सारा पैसा और समय को बचाया जा सकता है अब ऐसा कैसे संभव हो सकेगा? यह तो चुनाव आयोग एवं केंद्र सर्कार के मंत्री गन हीं आपसी चर्चा द्वारा देश को बता सकेंगे निस्संदेह यह सुझाव सराहनीय है . मेरी राय में एक दिन में तो ऐसा संभव नहीं है पर एक समय पर सभी चुनाव करवाए जा सकते हैं हाँ ऐसी ब्यवस्था को पहली बार लागू करने में थोड़ी दिक्कतें आयंगी , पर ऐसे कदम का देश की आर्थिक स्थिति पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और आज जो आर्थिक बदहाली है उसको कुछ हद तक ठीक करने का अवसर भी देश को मिलेगा. आज अपने देश की जैसी आर्थीक हालत है वह जग जाहिर है रिजर्व बैंक के युवा गवर्नर रूपये की स्थिति सुधारने के लिए कितने ही उपाय कर रहें हैं? फिर भी वे हालात को सुधार पाने में अब तक कुछ नहीं कर पाए हैं बड़े अफ़सोस की बात है की आज देश का प्रधानमंत्री विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ,वित्त मंत्री एक बुद्धिमान एवं अनुभवी वित्त मंत्री और योजना आयोग के सलाहकार मोंटेक सिंह अहलुवालिया जो की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री हैं ऐसे दिग्गज अर्थशात्री के होते हुए भी अपने देश की आर्थीक हालत इस तरह ख़राब होती गयी कांग्रेस के ९ साल के राज में जितना आर्थिक और नैतिक पतन इस देश का हुवा है शायद यह इतिहास बन जायेगा और उस पर बाना यह है की कांग्रेस कहती है वह आनेवाला चुनाव विकास को मुद्दा बनाकर लडेगी जरा कांग्रेस देश की जनता को बताये तो सही , क्या? केवल खाद्य सुरक्षा का कानून बना देने से लोगों की भूख मिट जायेगी पहले भी इस देश में खाद्य सुरक्षा कई राज्यों में केंद्र सरकार की योजना से बेहतर चलायी जा रहीं फिर भी ऐसी योजनायें नाकाफी साबीत हुयीं हैं और पिछले दिनों आंकड़े आये थे, सरकार की नयी योजना सेदेश के गरीब लोगों को पहले मुकाबले और कम अनाज सस्ते दामों पर मिलेगा यह कैसी खाद्य सुरक्षा है ? इसको सरकार ही जानती है सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान चलाया है उसका हाल क्या है? यह किससे छुपा है कई विद्यालयों के भवन भी नहीं हैं पेड़ के नीचे पढ़ाई होती है देश के कई विद्यालयों में शिक्षक एवं क्षात्रों का अनुपात देखने पर मालूम पड़ेगा कई हजार बच्चों पर एक शिक्षक है शिक्षकों की बहाली होती ही नहीं है जिनकी हो जाती है उनको वेतन भत्ता नहीं मिलता अब कोई इनसे पूछे जब शिक्षक का पेट ही नहीं भरेगा वह क्या? पढ़ायेगा- लिखायेगा आज ख़बरों में सुनने को मिला विद्यालय भवन की कमी के चलते बच्चों को बाथ रूम में पढाया जा रहा है और शौचालय की कमी तो देश के कई विद्यालयों में है हाँ! इस सरकार ने शिक्षा को एक बहुत बड़ा ब्यापार जरूर बना दिया है और आज जगह जगह शिक्षा माफिया घूम रहें प्राईवेट स्कुल मनमाना फीस लेते हैं उनमें अमीरों के आलावा गरीबों के बच्चे पढाये नहीं जाते किसके पास इतना पैसा है जो इन महंगे स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा सके स्वास्थ्य सेवाओं का हाल और बेहाल है अभी तो कितने ही गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं उनको इलाज के लिए मीलों सफ़र करके शहर पहुचना होता है साधनों की कमी भी है और मरीज शहर पहुचते पहुचते दम तोड़ देता है आज सरकारी कार्यालयों के तकरीबन हर विभाग में नियुक्ति के लिए स्थान रिक्त हैं पर वे रिक्त पड़े स्थान भरे नहीं जाते अगर किसी विभाग में नियुक्ती का इश्तेहार निकलता भी है तो इतने आवेदन आ जाते हैं जिसका ठिकाना नहीं और नियुक्ती में भाई – भतीजावाद तो होता ही है पैसों का लें दें और खेल चलता है अभी अख़बार में पढने को मिला की दक्षिणी दिल्ली के नगर निगम में मलेरिया बेलदारों की ६०० पद के लिए १६०० सिफारिशें निगम से जुड़े खास लोगों की ओर से आयीं हैं इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कांग्रेस के विकास का अजेंडा क्या है, और कैसा हैं? क्या ऐसे विकास से देश की जनता कांग्रेस पार्टी को दुबारा चुन लेगी जिस दिल्ली की सी एम् साहिबा शीला दीक्षित बरसात में जब जल बाहरव से लोगों को परेशानी होती है तब कहती हैं भगवन से कहो बारीश ना करे इस बयान को भी तो जनता याद करेगी इस तःटी को भी मद्दे नजर कांग्रेस पार्टी ने रखना है देश की जनता उनके द्वारा किये गए घोटालों और काले धन के मामले को भूल नहीं गयी है अगर कांग्रेस ऐसा सोंचे बैठी है तो कांग्रेस भुलावे में है इस बार कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होने वाला है जनता त्रस्त है तंग है कमरतोड़ महंगाई से दिखावे के लिए २-४ रोज प्याज आलू बेचने से जनता की कठिनाईयां कम नहीं हो जाने वालीं अतः कांग्रेस एवं दिगर पार्टी के नेताओं को इस महत्वपूर्ण सुझाव पर ध्यान देना होगा की चुनाव में मुद्दा क्या हो? ऐसा आधा अधूरा विकास या भ्रष्टाचार ,महंगाई ,काला धन लोगों का स्वास्थ्य , मुफ्त शिक्षा, पीने का साफ़ पानी, बढ़ता जल प्रदूषण जैसे ज्वलंत मुद्दे आज देश के सामने हैं उनकी ओर कांग्रेस एवं अन्य राष्ट्रिय पार्टियों का जो चुनाव लड़ने जा रही हैं, ध्यान होना चाहिए उसके लिए ये नेता एवं पार्टियाँ क्या करेंगी इसको भी जनता को बताना चाहिए केवल चुनाव के वख्त बिभिन्न योजनाओं का उद्घाटन करने, अपने नाम का पत्थर लगाने से जनता का पेट नहीं भरेगा इसका ख्याल नेताओं को ही करना होगा क्यूंकि इसको करने कोई विदेश से नहीं आएगा .
ऐसे में सचिन पायलट का यह सुझाव बहुत तर्कसंगत और देशहित में लगता है आज जब देश में आर्थीक तंगी है आर्थिक बदहाली है उसमें चुनावों पर देश का इतना सारा धन बर्बाद करना कहाँ? की बुधिमानी कही जायेगी आशा है सरकार इस महत्वपूर्ण विषय पर एक जरूरी सभा बुलाये जिसमें देश की सभी पार्टियों के प्रमुख नेता हों और एक प्रस्ताव लाया जाए और कम से कम प्रयोग के तौर पर राज्य में होनेवाले सभी चुनावों को एक समय करके इसका जायजा लिया जा सकता है और टेलीविजन पर भी ऐसे गंभीर एवं महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा कराई जा सकती है ऐसा करने से देश का ढेर सारा धन बचाया जा सकेगा जो गैर योजना वाले खर्च हैं उनको कम करने की दिशा में एक सार्थक कदम कहलायेगा और चुनावों में जो ढेर सारा कला धन इस्तेमाल होता है उसपर भी रोक लगाई जा सकेगी और यह फैसला भविष्य में मील का पत्थर साबीत होगा . नव निर्मित संघर्षों से उपजी ” आम आदमी पार्टी” “आप “को भी अपने चुनावी मुद्दे में इसको तरजीह देना चाहिए जिसको दिल्ली विधान सभा चुनाव में ४० से ज्यादा सीटें मिलने की सम्भावना आज देखी जा रही है यह पार्टी भी जनता को बताएगी और समझाएगी
अशोक कुमार दुबे ,द्वारका

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