Menu
blogid : 8115 postid : 593573

देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध और अपराधियों को सजा देने में अक्षम न्याय ब्यवस्था

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
  • 166 Posts
  • 493 Comments

१६ दिसंबर की घटना को बीते अब करीब ९ महीने होने को हैं अभी भी देश की जनता और पिडीत महिलाएं फैसले के इन्तेजार में हैं न्यायलय द्वारा १० सितम्बर की तारिख तय हुयी है अपराधियों को सजा सुनाने की. जिस घटना ने पूरे देश के युवाओं एवं महिलाओं को आंदोलित कर दिया था और जिस मुक़दमे की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में करने की बात की गयी थी , अगर फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट इतनी धीमी रफ़्तार से काम करेगा फिर इसे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट कौन कहेगा ? और समय के इतने अन्तराल में न जाने पूरे देश में कितनी बलात्कार एवं यौन शोसन की घटनाएँ घट चुकीं जिसको गिनना मुश्किल है अभी पिछले दिनों मुम्बई की घटना को ही ले लीजिये इस घटना की पीडिता कल टेलीविजन के परदे पर दुःख भरी जुबान में कह रही थी इन अपराधियों को नपुंसक बना दिया जाना चाहिए, इनको मौत की सजा दी जानी चाहिए इनको उम्र कैद होनी चाहिए ताकि ये दरिन्दे दुबारा ऐसी घृणित हरकत को अंजाम न देने पायें उम्मीद है पुलिस प्रशासन ,अधिवक्ता गन एवं जज लोगों ने भी इसको सुना होगा जरुर उनके मन भी यह विचार कौंधना चाहिए की कैसे हमारे देश की अदालतें कम से कम ऐसे बलात्कार के मामले में फैसला देने में देरी न करें हो सके तो अदालतों में कार्यरत वकीलों , जजों साथ में पुलिस के आला अधिकारीगन भी एक साथ बैठें और टेलीविजन चैनल पर चर्चा हो जिसको पूरा देश देखे और इन फैसलों को जल्द सुनाने के लिए क्या करना है कहाँ कमियां रह जातीं हैं इसको बात चित के माध्यम से दूर करने का प्रयास हो वर्ना इस तरह के बलात्कार की घटनाओं को रोक पाना असंभव हो जायेगा. आज २ साल की बच्ची ५ साल की बच्ची ११ साल की बच्ची भी सुरक्षित नहीं बची है भला इतनी छोटी बच्च्ची के साथ ये दरिन्दे कैसे ऐसे घृणित कृत्य करते होंगे? इतनी बीमार मानसिकता क्यूँ होती जा रही है यह भी एक चर्चा का विषय है थोड़े दिनों पहले मैंने एक ब्लाग में चरित्र निर्माण विषय पर लिखा था आज स्कूलों में, समाज में परिवार में बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने से ज्यादा जरुरी चरित्र निर्माण कैसे हो इसकी शिक्षा जरुर दी जानी चाहिए और एक ऐसा विषय स्कूलों एवं कालेजों में अनिवार्य रूप से पढाये जाने की जरुरत आज है, क्यूंकि यह सारा सामाजिक बदलाव सारा सामाजिक सोंच चरित्र से जुडी समस्या है आज जरुरत है लोकसभा में बैठे सांसद इस देश के कानून मंत्री ,इस देश के प्रधानमंत्री सभी उच्च पदों पर बैठे अधिकारीगन इस गंभीर विषय को प्राथमिकता दें वर्ना अपना समाज रसातल में चला जायेगा और ये विकास का ढिंढोरा जो आज पीटा जा रहा है यह हमें विनाश की ओर ले जायेगा इस गंभीर विषय पर महज एक औपचारिकता मात्र के लिए चर्चा करने से कुछ नहीं होगा बार बार सख्त कानून बनाने की बात इस देश में हो रही है पर वर्तमान कानून को कैसे सख्ती से पालन किया जाए इस ओर किसी का ध्यान है ही नहीं. हमारे सांसद एवं नेता अपराधियों को संसद में ही बिठाये रखने को एकजुट हो रहें हैं उनको यह सोचने की फुर्सत नहीं की ऐसा करना ही अपराध को बढ़ावा देना कहलायेगा और इसके गंभीर परिणाम भविष्य में होंगे हमारा सामाजिक ताना बाना हीं बिखर जायेगा अतः न्याय ब्यवस्था को ज्यादा जवाबदेह और इमानदार बनाना होगा ऐसे अपराधों के केश में पैसे के बल पर और रसूख के बल पर किसी अपराधी को छोड़ देना सामाजिक अपराध ही कहा जायेगा अतः आज जो भी मुकदमें खासकर बलात्कार के केश के हैं उनको प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि न्याय ब्यवस्था में जनता का विश्वास कायम रहे यही न्यायालयों का कर्तब्य है और अदालतों में ऐसे अपराधों के मुकदमों में फैसला कैसे जल्दी किया जाये इसका प्रयास होना चाहिए जिससे इन अपराधों में कमी आये महिलाओं पर जुल्म रुके और मेरा विश्वास है फैसलों को जल्द करने से ऐसे अपराधों में रूकावट जरुर लाया जा सकता है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply