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“Contest ” “नव परिवर्तनों के दौर में हिंदी ब्लागिंग ”

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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लेखन के क्षेत्र में आज जरूर हिंदी भाषा अपनी पहचान बनाने में सफलता की ओर तीव्र गति से बढ़ती हुयी दिखाई दे रही है इसमें मुझे कोई संदेह नहीं, आज प्रिंट मीडिया में भी हिंदी को वांक्षित सफलता मिल रही है तभी हिंदी का अखबार “दैनिक जागरण ” विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अख़बार कहलाता है अतः मेरे विचार से नव परिवर्तनों के दौर में हिंदी ब्लागिंग भी हिंदी लेखन के क्षेत्र में अपनी पैंठ बनाने में सफल होती नजर आ रही है आज जागरण जंक्शन पर ही बहुत सारे ब्लागर अपने ब्लाग लिख रहें हैं और चुनिन्दा ब्लॉगों को हिंदी के अखबार दैनिक जागरण में उचित जगह भी मिल रही है जिसके चलते हिंदी ब्लागर प्रोत्साहित भी हो रहें हैं यह हिंदी अख़बार दैनिक जागरण द्वारा किया जा रहा एक अच्छा प्रयास है इससे नए नए विचारकों एवं सामाजिक सोंच वाले ब्यक्तियों को अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर भी मिल रहा है और इसी तरह आज कई दुसरे भी हिंदी अख़बार हैं जो हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए हिंदी में लिखने वालों को उचित स्थान दिला रहे हैं इससे जन जागरण का कार्य भी हो रहा है लोकतन्त्र को मजबूती प्रदान करने में सफलता मिल रही है क्यूंकि अभी भी अपने देश भारतवर्ष में हिंदी पढने समझने वालों की ही संख्या ज्यादा है एक दक्षिण भारत में जरुर हिंदी के प्रति उतना रुझान नहीं है इसके आलावा देश के और प्रान्तों में हिंदी पढने लिखने वालों की संख्या कामो बेश जरुर है. हिंदी के पठन- पाठन और लेखन में और बढ़ोतरी हो सकती है अगर देश में होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी हिंदी को उचित स्थान दी जाये और हिंदी पढने वालों को उन प्रतियोगिताएं में हिस्सा लेने में कोई बाधा न हो अगर सरकार शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे परिवर्तन लाने को वचन बध्ध्द हो तो हिंदी को और बढ़ावा मिल सकता है ब्लागिंग तो एक छोटा सा क्षेत्र है अभी इससे भी जुड़ने वालों की संख्या उतनी नहीं जितनी होनी चाहिए थी क्यूंकि पत्रिकाओं के क्षेत्र में हिंदी को उतनी सफलता नहीं मिली है आज अंगरेजी में छपी पत्रिकाओं को पढना शान का प्रतीक है और इस ओर ध्यान देने की जरुरत है अतः हिंदी अखबार निकालने वालों को हिंदी पत्रिकाओं को प्रकाशित करने के विषय में और ज्यादा ध्यान देने की जरुरत ,मैं समझता हूँ क्यूंकि पत्रिकाओं को पढने के बाद भी ब्लागर लोग उनमें छपे टापिकों पर भी अपने विचार ब्लाग द्वारा लिखते हैं अतः हिंदी को और लोकप्रिय बनाने के लिए स्कूली शिक्षा के स्तर से हीं हिंदी को बढ़ावा देना जरुरी है और इसमें सरकारी दखल निहायत जरुरी है आज हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ही हिंदी नहीं जानते यह कोई गर्व करने वाली बात नहीं है आज ज्यादा तर अभिभावक अपने बच्चे को कान्वेंट या पब्लिक स्कूलों में ही दाखिला दिलाना ज्यादा उचित मानते हैं और उसमें पढ़ने से ही बच्चे को आगे चलकर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होंगे ऐसा समझते हैं हिंदी पढने लिखने को आज पिछड़ा बने रहना कहलाता है इस सोंच में भी परिवर्तन लाने की जरुरत है तभी हिंदी ब्लाग लिखने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होगी

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