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अभी पिछले दिनों देश की आर्थीक राजधानी मुम्बई जो महिलाओं के लिए सुरक्षित शहर के रूप में जाना जाता रहा है वहां कामकाजी महिलाओं के प्रति बड़ी तेजी से रफ़्तार बढे हैं एक के बाद एक बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य के खबर पढने सुनने को मिल रहें हैं आखिर एका एक ऐसे अपराधों में बढ़ोतरी क्यों होने लगी है? कोई कह रहा है मुम्बई के डांस बार बंद कर दिए गए इसके लिए ऐसे अपराधों में बढ़ोतरी हो रही हैं एक बार तो इस कथन में थोड़ी बहुत सच्चाई नजर आती है क्यूंकि मनचले लोगों का मनोरन्जन वहां हो जाया करता था और हो सकता है कई कारणों में से यह भी एक कारन हो ? पर अपराधी को पुलिस द्वारा पकड़ लेने के बाद उन अपराधियों को सजा सुनाने में देरी इतनी ज्यादा हो रही है या यूँ कहें कई अपराधी छूट जा रहें हैं तेज तर्रार वकीलों के दलील द्वारा निश्चीत रूप से महिलाओं के प्रति इन बढ़ते बलात्कार का मुख्य कारन ही यही है क्या? अपने देश के कानूनविद अपने देश के समाजसेवी संस्थाएं अदालतों से गुहार नहीं लगा सकते की ऐसे असामाजिक अपराधियों की मदद कानून ना करे मैं तो कहता हूँ ऐसे अपराधी को बचाने के लिए कोई वकील ही ना मिले बेशक ऐसा करने के लिए कानून में संसोधन ही न करना पड़े दिल्ली के १६ दिसंबर वाली घटना के बाद पूरा देश इसके विरोध में खड़ा हुवा था और देश की संसद में एक सख्त कानून भी पारित किया गया था ऐसे अपराधियों को सख्त से सख्त और जल्दी से जल्दी सजा दी जाये अब सोचने की बात यहाँ यह है की आज उस घटना को हुए ८ महीने हो चुके अब तक उन अपराधियों को हमारे देश की अदालत सजा नहीं दे पायी उनको कौन बचा रहा है ? ऐसे सख्त कानून और फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट का फिर क्या फायदा ? आज जरुरत है टेलीविजन चैनल पर वकीलों और जजों को बुलाकर एक चर्चा करी जाये और उनसे पूछा जाये ऐसी देरी करके वे समाज में क्या सन्देश देना चाहते हैं क्या वे सभी भूल गए “जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनायिद” तो अब जनता यह समझे की इस देश में न्याय मिलेगा ही नहीं खासकर महिला संगठनों को अपनी आवाज जोर से उठाने की जरुरत अब है बहुत सी महिलाएं भी आज वकालत के पेशे में हैं कम से कम उनको तो महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए . हमारा सामाजिक परिवेश बहुत बिगड़ता जा रहा है अतः महिलाओं को भी घर से बाहर निकलने में सावधानी बरतनी होगी जब समाज ही उनका दुश्मन बनता जा रहा है फिर वे किसके भरोसे काम काज पर जाने के लिए निकलेंगी उनको तो अपनी सुरक्षा आज खुद करनी होगी क्यूंकि अपने देश की पुलिस अपने देश की अदालत दोनों ही इन मामलों में महिलाओं का साथ देती नजर नहीं आ रहीं हैं ऐसे में कानून कितने हीं सख्त क्यूँ न बना दिए जाएँ दुष्कर्मी और बलात्कारी लोगों को किसीका डर नहीं है उनको पता है अपने देश की न्यायिक प्रक्रिया में बहुत कमी है अपने देश में इतने काबिल वकील हैं जो अपराधियों को भरोसा दिलाते हैं कुछ भी अपराध करके आ जाओ बचाना मेरा काम है बस हमारी फीस थोड़ी ज्यादा होगी और कई सालों तक तुम जमानत पर आजाद घूमोगे और अगर बरी हो गए तब तो तुम्हारी किस्मत ही बदल जाएगी तुम इस देश में मंत्री बना दिया जाओगे आज अपराधियों का संसद में बने रहना और ५४३ सांसदों द्वारा उनको बचाए रखने की वकालत करना यहाँ तक की कानून में संसोधन करके सुप्रीम कोर्ट के फैसले को धत्ता बताना क्या? इतना सब कम है अपराधों को बढ़ावा देने के लिए और अपराधी को अपराधी बने रहने देने के लिए. इन सब के मूल में मुकदमों का जल्द फैसला नहीं हो पाना ही एकमात्र कारन है इन अपराधों को बढ़ावा देना देश के सांसदों को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की जरुरत है क्यूंकि इस देश के नेताओं ने जनता के बीच अपने लिए एक गलत सन्देश इन नेताओं ने भेजा है आशा है इस गंभीर विषय पर टेलीविजन चैनल चर्चा रखेंगे
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