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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक प्रश्न आम आदमी के मन में उठता है और वह है हम कितने स्वतंत्र हैं ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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आज अपना देश ६७ वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है लाल किले के प्राचीर से हर स्वतंत्रता दिवस की तरह इस बार भी देश के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने देश की जनता को संबोधित किया जो की एक लिखा हुवा भासन था क्यूंकि सब को पता है मनमोहन सिंह को बिना लिखा भाषण देना नहीं आती है अतः जाहिर है वे लिखे हुए भाषण को ही पढेंगे जिसको एक बुध्धिमान प्रशासनिक अधिकारी ने उनके लिए तैयार किया होगा जिसमें जनहित में किये जा रहे अनेकों कार्यों को गिनाया गया सारा देश सुनता रहा और सोचता रहा जब इतने सारे काम किये गए तो उनका फायदा उन तक क्यूँ नहीं पंहुचा क्यूँ उनको आज फ़ूड सेकुरिटी जैसे बिल की जरुरत पड़ रही है क्यूँ उनके बैंक खाते में सीधे पैसे जमा हो जाएँ इसकी जरुरत पड़ती है क्यूँ अपने देश की प्रशासनीक ब्यवस्था इतनी भ्रष्ट हो चुकी है की कोई भी कल्याणकारी योजना का लाभ उस सुदूर ग्रामीण को नहीं मिल पा रहा है और इस बाबत उनका बयान यही था की बहुत कुछ इस सरकार ने किया है अभी बहुत कुछ करना बाकी है कोई उनसे पूछे क्या? बहुत कुछ किया जब जनता को उसका हिस्सा नहीं मिला क्यूँ विकास चन्द शहरों में सिमट कर रह गया क्यूँ इस देश का मिहनत कश किसान कर्ज के बोझ के चलते आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गया? इन समस्यायों को दूर करने के लिए यह सरकार क्या करने जा रही है अगर इसके विषय में भी अपने देश के प्रधानमंत्री कुछ बोलते तो देश के गरीब किसानो के मन में भी एक आशा जागृत होती की देर सबेर उनकी कोई सुनने वाला प्रधानमंत्री आया जो एक बहुत बड़ा विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी है और देश की आर्थीक हालत फिर भी कितनी ख़राब हुयी है हद तो तब हो जाती है जब इन सब बातों के लिए अपने पी एम् साहेब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को दोष देने लगते हैं कितनी ही योजनायें लंबित पड़ी हैं इस देश में जो केवल अधिकारीयों को घुस नहीं मिला इसके लिए रुकी पड़ी हैं और इसकी जानकारी इस देश के राज्यों के सी एम् से लेकर पी एम् तक को हैं लेकिन उस बाबत कोई बयान अपने प्रधानमंत्री नहीं देते और जनता को कुछ बताते भी नहीं , जबकि उन कार्यों को पूरा करने के लिए नाही किसी फंड की कमी है ना ही काम करने वाले ठेकेदारों की कमी है अगर कोई कमी है तो अधिकारीयों की नेक नियति की कमी है. दो- चार इमानदार अधिकारी अगर कुछ अच्छा करने की सोचते हैं तो इस देश के माफिया जिनका नेताओं के साथ सांठ- गाँठ है वे उस अधिकारी का तबादला करवा देते हैं और हमारे मंत्री गन,सच्चाई क्या है ? इसकी जानकारी लिए बगेर उस इमानदार अधिकारी को ही हटा देते हैं उसका ताजा उदाहरण है दुर्गा शक्ती नागपाल उसने इमानदारी दिखानी चाही देश का पैसा जो राजस्व के रूप में मिलना था उसको बचाने का प्रयास किया तो उसको साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाकर हटाया गया वह रेत माफिया के खिलाफ काम कर रही थी और मजे की बात यह है की अभी तक उन रेत माफियों का नाम उजागर भी नहीं हो सका यह भी तो इसी सरकार की उपलब्धि है इस बारे में उन्होंने क्यूँ कुछ नहीं कहा? आखिर वे भी एक अधिकारी रहे हैं रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे हैं जो बात, जो समस्या सारी बुराईयों एवं असफलताओं का कारन है उसको कैसे ख़तम करेंगे? इसके बारे में भी अगर जनता को
बताया जाता तो अच्छा था लेकिन प्रधानमंत्री जी तो अपनी उपलब्धियों को गिनने में लगे थे जिनमे क्या सच्चाई है यह इस देश की जनता कमरतोड़ महंगाई के रूप में भुगत रही है निश्चीत तौर पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री को उपलब्धियों को गिनवाना चाहिए लेकिन जिस समस्या के चलते इस देश की जनता की दुर्दशा हो रही है जो की भ्रष्टाचार और कला धन है उसके लिए वे क्या करने जा रहें हैं ऐसा कुछ कहते तो जनता का मनोबल भी मजबूत होता पर उन्होंने ऐसा नहीं कहा आज देश की सीमा पर पाकिस्तानियों द्वारा अपनी सेना के जवानों की निर्मम हत्याएं हो रही है और उसका विरोध करने के बजाये वैसे मुल्क से शांति वार्ता की सोंची जा रही है जनवरी महीने में हमरे सैनिक की हत्या करके उसका सर काट ले गए आज तक अपना देश इसके लिए कुछ करता नहीं दिखाई देता और सरकार में बैठे लोग यही सोंचे बैठे हैं यहाँ की जनता यहाँ के लोग सब कुछ भूल जाते हैं यह भी भूल जायेंगे हमें सोचना पड़ता है आखिर कैसे ये नेता जनता के बीच चुनाव दौरान वोट मागने जायेंगे चुनाव तो अब नजदीक आ रहा है शायद ये नेता जनता के सब कुछ भूल जाने का ही इन्तेजार कर रहें हैं
क्या इन परिस्थितियों में इस देश की जनता अपने को स्वतन्त्र महसूस करती है जहाँ पड़ोस का एक छोटा मुल्क हमें रोज धमका रहा है हर मौके पर किसी बड़े आतंकी वारदात की धमकी देता है और हम देखते रह जाते हैं जब हमारी पूरी ताकत केवल देश को बचने में ही लगी रहेगी फिर यह देश विकास कैसे करेगा , इस देश की आर्थीक बदहाली कैसे दूर होगी इसका जवाब भी अपने प्रधानमंत्री जी से इस देश की जनता पूछती है . और बता रही है पूछ रही है हम कितने स्वतन्त्र आज हैं ?

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