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अब तक अपने देश में घपलों घोटालों को लेकर देश में चर्चा होती थी लेकिन आज की सरकार में बैठे मंत्री एवं सांसद चाहे वे किसी पार्टी या दल के हों देश की सुरक्षा के मसले पर भी तरह तरह से बयानबाजी कर रहें हैं अब अपने देश की सुरक्षा भी दाव पर लगी हुयी है कहाँ तो ऐसे मौकों पर पूरा देश सभी पार्टियाँ एकजुट होतीं तो बजाये इसके नेतागण इस पर भी राजनीती कर रहें हैं बीते जनवरी माह में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिक को मारकर उसका सर काट लिया और धड भारतीय सीमा में फेंक दिया उस शहीद की चिता का दृश्य कल टेलीविजन पर दिखाया गया उस अमर शहीद की स्मारक बनाने के बजाये उसको चन्द ईटों से ढंककर रखा हुवा देखने को मिला जिस देश के नेता अपनी जिंदगी में अपने पुतले लगवाकर अपने जीवनकाल में ही अपने को अमर घोषित करना चाहते हैं अपने नाम का धिन्डोरा पिटवाना जानते हैं वे शायद यह नहीं जानते एक शहीद के बलिदान का कितना महत्त्व होता है क्या सुश्री मायावती को यह नहीं याद आया की उत्तरप्रदेश सरकार से यह भी गुहार लगातीं प्रदेश के युवा नादान नेता अखिलेश से कहतीं की चुनाव के वख्त मायावती के पुतले तो ढकवा सकते हो क्या इस अमर बलिदानी की याद में एक शहीद स्मारक नहीं बनवा सकते मैं अमर शहीद हेमराज की बात कर रहा हूँ जिसका सर आज तक इस देश की सरकार पाकिस्तान से वापस नहीं ले सकी और अभी कल परसों फिर पाकिस्तानी सेना ने हमारे ५ जाबांज जवानो को मार गिराया और उस पर देश के रक्षा मंत्री पाकिस्तान को चुनौती देने के बजाये हमारे देश की कांग्रेसी सरकार में रक्षा मंत्री श्री ए के अंटोनी बयान देते हैं की पाकिस्तानी सेना के वर्दी में कुछ लोग सीमा का उलंघन करके जम्मू के पूंछ में हमारे ५ सैनिकों को मार गिराए अब तक तो हम घपलों घोटालों का रोना रो रहे थे आज तो अपने देश की सुरक्षा ही खतरे में हैं इन नेताओं के नेत्रित्व में
आज के नेता सुचना के अधिकार के दायरे में अपने को लाने के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के कानून के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं पर देश की सुरक्षा के मामले में ये बीते सालों के आंकड़े गिनाकर अपने सरकार के कार्यकाल को ज्यादा बेहतर बताने में लगे हुए हैं ये नेता ये पार्टियाँ यह नहीं बताती की २ चुनाव बीत गए २००४ के चुनाव में ही इस देश की दोनों राष्ट्रिय पार्टियाँ बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने जनता से चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था की हम शासन में आये तो सबसे पहले विदेशी बैंकों में जमा काले धन को देश में वापस लायेंगे इस बाबत एकजुटता क्यूँ नहीं इन पार्टियों में क्या इसलिए की वह धन अगर देश में वापस आ जाये तो इस देश पर जो कर्ज है वह चुकता हो जाये इस देश के गरीब को भी कुछ मिल जाये हमारी आर्थीक स्थिति जो आज बहुत ख़राब हो चुकी है अपना रूपया ६० को पार कर गया डालर के मुकाबले और हमारे आर्थीक सलाहकार इसको ७० तक पहुचने का अंदेशा जाता रहे हैं अपने देश का आर्थीक तंत्र जरुर सुधर सकता था अगर इन नेताओं में राजनितिक इक्षा शक्ति होती इन नेताओं की मनसा होती और ये काले धन को ऐसे विकट समय में भी वापस लाने का प्रयतन करते अतः आज इस देश की जनता जो इन ५४३ सांसदों से किसी बेहतरी की उम्मीद करती है तो वह धोखे में है उसको धोखा इन नेताओं द्वारा दिया जा रहा है आज संसद एक दिन भी नहीं चलता कितने महत्वपूर्ण बिल पारित होने हैं उन पर चर्चा ये नेता नहीं करते और संसद सत्र शुरू होने के पहले जब इनकी मीटिंग होती है तो ये वायदे करते हैं की संसद को ये नेता बेवजह रोकेंगे जनता का काम किया जायेगा महत्वपूर्ण बिल पारित किये जायेंगे लेकिन असल में ये कोई काम होने नहीं देते ऐसे में अगर इस देश की जनता भी किसी सत्ता परिवर्तन की नहीं सोचती और संघर्स से निकली “आम आदमी पार्टी” भी अपने संघर्ष को और तेज नहीं करती जन जागरण इन मुद्दों पर नहीं करती तो यह देश की जनता का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा अब वक्त आ गया है वर्तमान जितने भी नेता सदन में बैठे हुए हैं वे चाहे किसी भी पार्टी के हों उनको किसी हाल में चुन के नहीं आने दिया जाना चाहिए वरना ये नेता देश को बेंच कर खा जायेंगे और यह देश फिर से गुलाम हो जायेगा इस देश के कई टुकड़े हो जायेंगे और उन टुकड़ों में यही भ्रष्ट नेता राज करेंगे नेताओं की संख्या बढ़ेगी इसका मतलब लुटेरों की संख्या बढ़ेगी अपराधियों का राज होगा और जनता और दुखी हो जाएगी गरीबों को न्याय कभी नहीं मिलेगा लुटेरे देश के पैसों पर ऐश करेंगे और लम्बे लम्बे भासन पिलायेंगे जनता को याद दिलाएंगे अब क्यूँ पछताते हो हमको आपने ही तो चुना है अतः एक बृहत् आन्दोलन आम आदमी पार्टी शुर करे जिसमें लाखों करोड़ों जनता पूरे देश में लामबंद हों और नर यही हो ! लगायें हमें सत्ता परिवर्तन चाहिए हमें ब्यवस्था परिवर्तन चाहिए अब सब्र का बाँध टूट गया अब बदलाव जरुरी है
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