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सांसदों में एकजुटता

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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आज देश की जनता जिन गंभीर संकटों से दो चार हो रही है उन सब समस्यायों के प्रति हमारे नेताओं का ध्यान एक पैसे का भी नहीं है पर इनका ध्यान इस बात पर जरुर है की कैसे भी करके उनके साथ संसद में बैठे आपराधिक छवि वाले नेता चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ना घोषित किये जाएँ और राजनीती करने वाले ये नेता किसी सुचना के अधिकार कानून के दायरे में भी नहीं लाये जा सकें नेताओं के हिसाब से आज यही महत्वपूर्ण समस्या देश के सामने है, और इसके लिए अपने देश के सभी पार्टियों के नेता अपनी आपसी रंजीश एवं विरोध को भुलाकर एकजुट होकर संसद में कानून लाकर उसको पास करने वाले हैं, यह कहते हुए की सुप्रीम कोर्ट की यह दलील नेताओं के हितों के खिलाफ है नेताओं पर मुक़दमा राजनितिक विरोध के लिए भी चलता रहता है कहने को तो अपने संसद में ५४३ में से १६२ सांसद ही आपराधिक छवि वाले हैं जो की संख्या में एक तिहाई हैं (३०%) इसके हिसाब से बाकी के ३८१ सांसद के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज नहीं हैं और वे साफ़ सुथरे छवि वाले नेता हैं क्या ऐसा नहीं हो सकता था की ये ३८१ सांसद एकजुट होकर उन १६२ सांसदों का बहिष्कार करें जनता के सामने उनको बेनकाब करें चाहे वे सांसद किसी भी पार्टी के हों अगर हमारे नेता राजनीती से अपराधीकरण को मिटाना चाहते हैं तो ऐसा जरुर करते क्यूंकि जब सभी आज एकजुट होकर मीटिंग कर रहें हैं तो किसी ऐसे प्रस्ताव के लिए क्यूँ नहीं? क्या अपने पूरे देश में १६२ लोग इमानदार नहीं मिल सकते ? जरूर मिल सकते हैं लेकिन इन नेताओं की कथनी और करनी में हमेशा फर्क रहा है आज देश में विभिन्न तरह के माफिया जीवन के हर क्षेत्र में हावी क्यूँ कर हैं ये सारे माफिया किसी न किसी पार्टी के वरिष्ट नेताओं की सह पर ही काम कर रहें हैं चाहे वह भू माफिया हो ,या खनन माफिया या शिक्षा माफिया या स्वास्थ्य माफिया हर जगह माफिया लोगों का ही आज देश में राज है और ये सभी किसी न किसी पार्टी के नेता के राजनितिक संरक्षण में ही कार्य कर रहें हैं जो आज ईमानदार आई ए एस अधिकारीयों की हत्या तक कर देते हैं और उनका कुछ नहीं बिगड़ता दिखावे के लिए एक मुकदमा दायर हो जाता है और वर्षों तक उस मुक़दमे का फैसला नहीं होता और इसी भय के कारन कोई और इमानदार बनने लिए आगे नहीं आता यानि मिला जुलाकर भ्रष्टाचार और बेईमानी का ही राज देश में बना रहे आज नेता इसीके लिए एकजुट हो रहें हैं किसी तरह उनके ऊपर कोई जिम्मेवारी ना सौंपी जाए और यु ही मलाई खाते हुए इनका ५ साल का कार्यकाल पूरा होकर गुजर जाये क्या इसीको नेताओं की जुबान में लोकतंत्र कहते हैं ? जिस लोकतंत्र ,संविधान की दुहाई ये हर बात पर देते नहीं थकते क्या सचमुच में यही लोकतंत्र है जब भी कोई घोटाला प्रकाश में आता है बस उसके लिए जाच कमिटी का गठन हो जाता है अब वह कमिटी कोई जांच करती भी है किसी को दोषी करार देती भी है या नहीं इसकी जानकारी जनता को कभी नहीं होती जब इस देश की सरकार जनता द्वारा जनता के लिए ही चुनी जाती है फिर इन सवालों का जवाब जनता को क्यूँ नहीं मिलता मिडिया वाले भी विभिन्न मुद्दों पर बहस चलाते रहते हैं टेलीविजन चैनलों पर इन सब मुद्दों पर बहस आज क्यूँ नहीं हो रही है जो की रोज किस पार्टी को कितना सीट मिलेगा इसीका सर्वेक्षण ये सारे दिन करते रहते हैं अरे सरकार बनाकर किसका भला ये कर रहे हैं यह तो देश को मालूम हो कानून कई बना दिए जाते हैं उनका पालन भी कोई कर रहा है क्या ? सबसे पहले ये नेता ही कानून के हिसाब चलने वाले अधिकारी का निलंबन करते हैं और माफिया के हितों की रक्षा करते हैं और उसको सांप्रदायिक सौहार्द का नाम दे देते हैं की समाज में आपसी मनमुटाव ना आये इसके लिए वे ऐसा कर रहें ये नेता अब घटिया राजनीती कर रहे हैं और इनके मसूबे अब पूरे होने वाले नहीं क्यूंकि जनता भी अब इतनी नासमझ नहीं रही
अगर इसी तरह ये नेता अपनी मनमानी करते रहे फिर तो इस देश में लोकतंत्र का बचे रहना मुश्कील ही होगा और पूरी देश में अराजकता का ही राज होगा रोज नाक्साली हमले होंगे रोज आतंकवादी हमले होंगे क्यूंकि आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने वालों को ही सजा देने के फ़िराक में हैं आज देश को राजनीती का घ्रिनीत पहलु देखने को मिल रहा है और समाज एवं समुदाय को ए नेता बांटने में सफल होते दिखाई देते हैं अगर अपने देश में कोई मजबूत बिपक्ष आज वजूद में है तो किसी ऐसी मिटींग का वह हिस्सा न बने जिसमें अपराधियों को बचाने की कवायद हो रही हो और नेताओं को राजनीती में पारदर्शिता लाने के लिए आर टी आई कानून के तहत जवाबदेह बनाने वाली कानून को पास करवाने के लिए एकजुटता होनी चाहिए यही जनहित में होगा यही देशहित में होगा चुनावों में धन का उपयोग कमतर होगा और नेता अपने काम के लिए जाने जायेंगे ना की दाम के लिए जो चुनाव के समय नोटों को बांटकर जनता का वोट हासिल करना चाहते हैं उनको रोकने का काम और कौन करेगा? ये नेता ही करेंगे न! या ऊपर से कोई फ़रिश्ता आएगा .एकजुटता दिखानी है तो इसके लिए ये पार्टियाँ ये नेता एकजुट हों इसीमें उनका भविष्य है इसीमें देश का भविष्य है घोटाले बाजों को जल्द से जल्द जेल की सलाखों के पीछे भेजें इसके लिए न्यायिक प्रकिरिया में तेजी लाने की आज सख्त जरुरत है आशा है सर्वोच्च न्यायलय भी इन सब बातों का संज्ञान लेगा और इस बाबत कोई जनहित याचिका भी दायर होगी सर्वोच्च न्यायलय में इसी उम्मीद के साथ .

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