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नितीश कुमार एन डी ए से अलग होने का बहाना ढूंढ रहे थे, वरना जिस समय नितीश ने चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी को बिहार आने से रोका उसी दिन यह बात समझ में आ गयी थी की केवल वे अब औपचारिकता कर रहें हैं की उन्होंने एन डी ऐ के संग मिलकर बिहार में सरकार बनाया है वरना बीजे पी के बिहार के नेता तो बहुत पहले से नितीश से खफा चल रहे थे चुकी जदयू प्रदेश के ११८ सीटों पर जीत हासिल कर के सरकार में आई थी फिर उनको बीजेपी के साथ की तब भी जरुरत नहीं थी क्यूंकि २४३ कुल विधायकों में ११८ जब जदयू के थे तो मसला तो केवल ४ विधायकों का था वे जदयू को कभी भी मिल जा सकते थे जदयू का यह कहना की नरेन्द्र मोदी की छबि सांप्रदायिक है और बाकि बीजेपी के लोग सेकुलर हैं मेरा मतलब है अडवाणी जी सेकुलर हैं और नरेन्द्र मोदी सांप्रदायिक हैं लेकिन वास्तव में नितीश अन्दर ही अन्दर अपने को पी एम् उम्मीदवार के रूप में देख रहें हैं फिर वे नरेन्द्र मोदी को पी एम् उम्मीदवार कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं जबकि अभी बीजे पी ने नरेन्द्र मोदी को चुनाव प्रचार का प्रमुख बनया है गोवा की मीटिंग में लेकिन नितीश तो कांग्रेस से मिलने के लिए बेताब हैं लेकिन उनको शायद यह याद नहीं की उनकी पार्टी जो कभी जनता दल के नाम से जानी जाती थी यह पार्टी कांग्रेस का विरोध करके ही वजूद में आई है कांग्रेस के तानाशाही रवैये के चलते ही इमरजेंसी के दौरान नितीश, लालू यादव, सुशिल मोदी और अन्य नेता राजनीती में आये लेकिन जैसा की अपने देश में हो रहा है कोई नेता या पार्टी सिधान्तों की राजनीती तो कर नहीं रहा है केवल अवसरवादी राजनीती आज ये नेता कर रहें हैं वही अवसर की तलाश नितीश और जदयू दोनों को है और ताज्जुब की बात तो यह है की मुस्लिम वोटों का मिलना ही को आज पार्टी के जीत के लिए जरुरी माना जाने लगा है क्यूंकि हिन्दू समाज तो बंटा हुवा है मुस्लिम तो एकतरफा निर्णय लेता है कांग्रेस के साथ जाना है या किसी अन्य दल के साथ जाना है वर्ना नितीश का यह सोचना की नरेन्द्र मोदी के साथ जुड़े रहने से उनको मुसलमान वोट नहीं मिलेंगे यह कहाँ तक तर्कसंगत लगता है जब गुजरात के मुसलमान नरेन्द्र मोदी को वोट देकर जीता सकते हैं फिर बिहार के मुस्लिम क्यूँ नहीं ? इसलिए मेरी राय में एंन. डी. ऐ. से अलग होने का नुकसान दोनों पार्टियों को होगा यह हो सकता है बीजेपी पर कम और जदयू पर ज्यादा पर नुकसान दोनों का होगा हाँ फायदा कांग्रेस को होगा .
जदयू की किसी पार्टी के साथ गठबंधन किये बगेर चुनाव जितने की सम्भावना बिलकुल नहीं लेकिन यह तो अब साफ़ हो चूका है नितीश कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करने वाले हैं इसका खुलासा तो राष्ट्रपति चुनाव के समय ही हो गया था जब उन्होंने प्रणव मुखर्जी का समर्थन किया था एन डी ऐ तो तब से टूट के कगार पर ही है .
भाजपा की और से प्रधानमंत्री पद के लिए संभावित उम्मीदवार तो नरेन्द्र मोदी ही दिखाई दे रहे हैं और इसकी चर्चा तो पूरे देश में है हाँ मोदी का विरोध तो उनके विरोधी कर रहें हैं और यह स्वाभाविक है क्यूंकि अगर मोदी को बीजेपी प्रधानमंत्री उम्मीदवार जब भी घोषित करेगी बीजे पी की सीटों में इजाफा होना ही है इस बात को बीजेपी के नेताओं और संगठन के लोगों को समझना चाहिए इसके तो कई सर्वे भी आ चुके हैं आज की तारिख में नरेन्द्र मोदी जनता के पसंदीदा नेता है और उनसे जनता को उम्मीदें भी हैं, अब बीजेपी द्वारा ऐसा निर्णय नितीश कुमार के लिए घाटे का सौदा होगा इस पर नितीश ही सोचेंगे जनता तो अपना निर्णय सर्वे में बता चुकी है कभी नितीश के नाम का सर्वे तो हुवा नहीं अतः मन ही मन पी एम् बन्ने का सपना नितीश को छोड़ देने में ही उनकी एवं उनकी पार्टी जदयू की भलाई है क्यूंकि गठबंधन तोड़कर नितीश ने बिहार की जनता के साथ भी धोखा किया है . और खुद भी धोखे में पड़े हैं नितीश के इस फैसले से प्रदेश में भ्रष्ट कांग्रेस कुछ सीटें जरुर बढेंगी
अगर भाजपा अपनी अंदरूनी कलह को समाप्त कर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में देश के सामने पेश करती है तो भाजपा की अपरत्याशीत जीत आने वाले चुनाव में होने वाली है और इस बात को इस सत्य को देश की सारी पार्टियाँ जान रही हैं और यही कारन है नरेन्द्र मोदी का विरोध हो रहा है और कांग्रेस द्वारा बार बार सीबी आई का दुष्प्रयोग कर मोदी को फ़साने की चाल चली जा रही है लेकिन कांग्रेस इस खेल में सफल हो नहीं पाएगी कांग्रेस इस देश की भ्रष्टतम पार्टी के रूप में आज देश की जनता के सामने उभरी है जिस पार्टी ने घोटाले पर घोटाले किये और फिर भी कुछ स्वार्थी नेताओं के चलते सत्ता पर काबिज रही है यह देश का दुर्भाग्य है जो की इस देश की सबसे पुराणी एक राष्ट्रिय पार्टी जिस पार्टी ने इस देश पर ५२ वर्षों तक राज किया हो उसके नेता और मंत्री भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं और देश की जनता को मजबूर और लाचार बना का रखा हुवा है आज अपने देश में लोकतंत्र मर चूका है\ और भ्रष्टतंत्र हावी है .और यह सब कांग्रेस पार्टी की ही देन है
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