- 166 Posts
- 493 Comments
चुकी यह बहुत गंभीर विषय है अतः इस मसले पर मैं अपने विचार सवालों पर आधारित ही रखूँगा .
१.क्या नक्सलवाद का समाधान सिर्फ सैनिक कार्रवाई से ही संभव है ?
मेरे विचार से हथियारों की लडाई में सैनिक ही सही कार्रवाई कर सकते हैं और अगर देश इसका समाधान चाहता है तो सैनिक कार्रवाई ही उपयुक्त कार्रवाई है . पर ऐसा कभी संभव नहीं है क्यूंकि नक्सली मुख्यतः अपने देश के लोग ही हैं हाँ जरुर अब उसमे भी आई एस आई या कोई और आतंकी दल शामिल हो गया होगा जब आतंकवादी दिल्ली जैसी जगह में अपन ठिकाना बना सकते हैं फिर जंगलों में तो वे पूरी तरह महफूज हैं छिट- पुट कभी कभार २ -४ नक्सली को ही अपनी पुलिस मार पाई है और उसके मुकाबले पुलिस बल के हजारों जवान अब तक जान गवां चुके हैं अतः यहाँ की सरकार इस समस्या को ख़तम करना ही नहीं चाहती ऐसा मेरा विचार है वर्ना नक्सली को ख़तम करना कुछ घंटों की बात है दिन तो लगेगा ही नहीं. पर क्या ऐसा हो पायेगा ? कभी नहीं, मानवा- अधिकार संगठन वाले क्या चुप बैठेंगे ? और अपने देश के बाम पंथी जिनकी यह सैनिक ब्रिगेड है ये नक्सली कोई और नहीं कमुनिस्ट पार्टी का हथियार दस्ता गिरोह है और आज सत्ता में काबिज कांग्रेस २००४ में कमीनिस्ट के समर्थन से सत्ता चलाती रही है फिर कैसे यह सरकार या ये नेता नक्सली पर कार्रवाई करेंगे और कैसे कार्रवाई
होगी ?
२.क्या वास्तव में नक्सली भारत की सामाजिक राजनैतिक और आर्थिक नीतियों से पिडीत लोग हैं ?
हाँ ये सामाजिक रूप से सताए गए और देश के नेताओं एवं सरकार की गलत निति के ही परिणाम हैं जब भी कोई राष्ट्रिय योजना बनती है और उस योजना में लोग विस्थापित होते हैं उन विस्थापित लोगों के पुनर्वास की कोई योजना नहीं बनती न ही उनके पुनर्वास के विषय में सरकार कोई दिलचस्पी लेती है ये नक्सली भी वैसे ही सताए गए लोग हैं अतः उनकी वेदना भी जायज है लेकिन जो रास्ता उन्होंने अख्तियार किया है वह रास्ता हिंसा का है और हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं होता .
३.बातचीत की कोशिस तो पहले भी कई बार की गयी है , लेकिन कभी कोई नतीजा नहीं निकला .
नतीजा निकलेगा कहाँ से जब बातचीत जो की गयी उस पर अमल किया ही नहीं गया तो नतीजा कैसे निकलेगा क्या जो लोग जंगल से विस्थापित किये गए उनको किसी ने नौकरी दी, कोई काम -धंधा या कारो बार का अवसर दिया, कैसे वे गुजर करेंगे इसकी किसी ने
सोंचा? अरे! इस देश में अमीर रोज और अमीर बनता जा रहा है और गरीब अति गरीब होता जा रहा है अगर सरकार की यही निति रही तो देश के सभी छेत्रों में नक्सली हमले होंगे वह दिन ज्यादा दूर नहीं अभी भी ये नेता चेत जाएँ और इस बार तो नेताओं पर हमला हुवा है शायद पहली बार नक्सलियों ने सही हमला किया है आज तक तो पुलिस वाले बेचारे मारे जाते थे लेकिन इस बार नेता मारे गए हैं अब जरुर इसके समाधान की नेता सोचेंगे .
४. क्या नक्सलवाद स्वार्थ से ओत प्रोत राजनीती का ही उत्पाद है ?
बिलकुल सही यह स्वार्थ से पत प्रोत राजनीती का ही उत्पाद है .
५.देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके नक्सलियों के प्रति हमदर्दी रखना कितना जायज है ?
देश को नक्सलियों से कोई खतरा नहीं अगर देश को खतरा है तो आज के नेताओं से है , जो कब क्या गिरवी रख देंगे अपने स्वार्थ को साधने के लिए यह अंदाजा लगाना भी संभव नहीं . अतः सिवाय नेताओं के बाकि इस देश की पूरी जनता हमदर्दी के काबिल ही है उसमे नक्सली भी शामिल हैं वे अपने हक़ की लडाई लड़ रहे हैं और जैसा उन्होंने इस बार किया ऐसे वारदात २ ४ और कर देंगे तो जरुर इस समस्या का समाधान आज के नेता गन खोज लेंगे .
Read Comments