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सोशल काउंसलिंग में प्रिन्ट मिडिया (अख़बार ) सहायक हो सकता है

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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मैं हिंदी अख़बार “दैनिक जागरण” का नियमित पाठक हूँ बहुत बढ़िया अख़बार है खासकर सम्पादकीय पन्ना मुझे अति रुचिकर लगता है और वह यूँ की कभी कभी उसमें मेरा छोटा सा ब्लाग भी छपता है मैं जागरण समूह का आभारी हूँ जो उन्होंने अपने अख़बार में कुछ कहने की जगह मुझे भी दी है . लेकिन मैं एक सुझाव और देना चाहता हूँ और वह यह है की अखबार के मुख प्रीष्ट पर नकारात्मक ख़बरों को ना छापा जाये तो अति उत्तम होगा मेरे विचार से किसी भी अख़बार का प्रथम पन्ना यानि मुख्य प्रीष्ट सबसे महत्वपूर्ण होता है, किसी अख़बार के लिए और उस पेज को सनसनी खेज ख़बरों के लिए ही उपयोग में लाना ही अख़बार वाले उचित समझते हैं लेकिन यहाँ यह भी सोचना होगा की अख़बार हमारी समाज का आईना है और इसको करोड़ों की संख्या में शहर तो क्या सुदूर गावों में भी लोग पढ़ते हैं अतः ख़बरों के लिहाज से अख़बार सबसे आसान और कम खर्च वाला साधन है फिर क्यूँ न ऐसी पहल की जाये की आपका अख़बार समाज में लोगों के चरित्र निर्माण में भी सहायक हो लोगों की सोंच बदलने में सहायक लोगों में सकारात्मक सोंच पैदा हो क्यूंकि आज बलात्कार दरिंदगी , यौन शोसन जैसी घटनाओं का मुख्य कारन हमारा चारित्रिक पतन है और जहाँ अख़बार हमारे लिए एक सबसे सस्ता और महत्वपूर्ण साधन है देश की राजनीतक एवं सामाजिक हालत को जानने समझने का जरिया है क्यूँ, न ! इसके माध्यम से एक लोक कल्याण का कार्य भी किया जाये हर रोज मुख प्रीष्ट पर किसी महान सामाजिक कार्य कर्ता, दिवंगत समर्पित नेता, एवं महापुरुषों के जन्मदिन या पुन्य तिथि के अवसर पर उनके जीवनी के विषय में विस्तृत एक पन्ने का लेख छापा जाये मेरी राय में जरुर लोग इन ख़बरों को पढ़कर प्रभावित होंगे लोगों के ब्यवहार में परिवर्तन आएगा मैं चाहता हूँ आपका अख़बार इसका श्रेय ले . माना अख़बार चलाना भी एक ब्यवसाय है और ब्यवसाय में मुनाफा सर्वोपरि है और आपके अख़बार को तो बड़ी संख्या में समूचे देश में लोग पढ़ते हैं आपका सर्कुलेशन आज हिंदी अख़बारों में सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अख़बार की गिनती में आता है अतः आपका जागरण समूह तो जरुर ऐसा कर सकता है ऐसा मैं समझता हूँ और आपके अख़बार द्वारा इससे बड़ा सामाजिक योगदान और समाज की उन्नत्ति के लिए और कुछ नहीं हो सकता आपके अख़बार में मैंने सम्पादकीय पन्ने पर एक लेख पढ़ा है “सोशल काउंसिलिंग की जरुरत ” निश्चित रूप से यह बहुत प्रेरणा दायक लेख है पर काश! ऐसा कुछ मुख्य पृष्ट पर छापा गया होता? अगर आपका समूह ऐसा करता है तो समाज का बहुत भला होगा आने वाले आगे के दिनों में .
ख़बरें तो ख़बरें होती हैं अच्छी या ख़राब अख़बार ने दोनों को छापना है पर अगर सकरात्मक ख़बरों को मुख्य प्रीष्ट जगह मिलता तो एक पंथ दो काज होता लोगों को समाचार भी पढने को मिलता और एक जीवन के लिए सही प्रेरणा भी मिलती की जीवन में क्या महत्वपूर्ण है? क्या ? येन केन प्रकारेण ढेर सारा पैसा कमाना या एक अच्छा नागरिक बनना, जीवन में किसी आदर्श का होना , चरित्र की महानता को समझना, चरित्र निर्माण के लिए युवाओं एवं बच्चों में लगन पैदा करना निहायत जरुरी है आज का युवा बीमार मानसिकता से ग्रसित है, दिशाहीन है अनुशासनहीन है और इसीलिए दुराचारी बनता जा रहा है उसको जानने समझने के लिए उचित माहौल नहीं मिल रहा पढने योग्य साहित्य नहीं मिल रहा है
आपके अख़बार के सम्पादकीय पन्ने पर हर रोज एक प्रेरणा दायक लेख भी छपता है मेरा विचार है वैसा कुछ मुख्य प्रीष्ट पर छपता तो आपका अखबार औरों के अख़बार से जरुर कुछ अलग दीखता और समाज कल्याण का एक काम भी होता जिससे लोग कुछ अच्छा सीखते और सभ्य एवं इमानदार नागरिक बनने का प्रयास करते ये नित नए बलात्कार और दुष्कर्म की घटनाओं में भी कुछ कमी आती अगर ऐसे ख़बरों को आप बीच के पन्ने पर ले जाते . आशा है आप मेरे इन विचारों से सहमत होंगे और शीघ्र मुख्य प्रीष्ट में सकारात्मक ख़बरों को जगह देंगे आपको आभार ब्यक्त करते हुए .
अशोक कुमार दुबे , बेली रोड ,पटना

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