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बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग के पीछे छिपा नितीश की राजनितिक महत्वाकांक्षा

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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कुछ दिन पहले नरेन्द्र मोदी दिल्ली आकर दहाड़े और दिल्ली की गद्दी पाने का हक़दार गुजरात में तीसरी बार चुनाव जीत कर बीजेपी की सरकार बनाने के चलते अपने को पी एम् पद के रूप में समर्थ नेता बतलाना चाहा और इसके लिए उन्होंने अपनी आर्थिक विकास फार्मूले के द्वारा इसको साबीत करना चाहा हालाँकि नरेन्द्र मोदी के पी एम् उम्मीदवारी में उनकी पार्टी में ही एक राय नहीं है लेकिन अपनी दावेदारी के इस सन्देश को उन्होंने इण्डिया टू डे के कानक्लेवमें उजागर किया निस्संदेह उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का सटीक जवाब दिया और अपनी दावेदारी को पुख्ता किया और ठीक इसके बाद १७ मार्च को रामलीला मैदान में जदयू पार्टी एवं बिहार के मुख्यमंती नितीश कुमार द्वारा विशाल रैली की गयी निस्संदेह इसमें लाखों बिहार वासियों ने हिस्सा लिया और रैली को शांतिपूर्ण ढंग से कामयाब बनाया नितीश ने केंद्र में बैठी कांग्रेस को पहले अनुरोध भरे शब्दों में बोंला और फिर चेतावनी भी दिया की अगर उनकी मांग न मानी गयी तो २०१४ में चुनाव होनेवाला है इशारों में पी एम् पद की दावेदारी भी ठोक दी. अब तो देखना है किसमे कितना है दम ! उधर नरेन्द्र मोदी नमो मन्त्र को प्रचारित कर रहे हैं और इधर नितीश अपनी विकास गाथा गाते हुए अपने मोडल से विकास करने की बात कर रहें हैं और विरोधी दल एवं कांग्रेस इन राज्यों में ब्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने में लगे हैं मोदी को तो कार्पोरेट समर्थक बताया जा रहा है वहीँ नितीश कुमार को विकास पुरुष का तो नाम मिल रहा है पर उनके शासन काल में भ्रस्ताचार भी बहुत हुवा है ऐसा भी प्रचारित किया जा रहा है एक आध मामलों में उन्होंने खाना पूर्ती के लिए कुछ लोगों की भ्रष्ट कमाई द्वारा अर्जित संपत्ति को कुर्क करने का भी काम उन्होंने किया है और इसी बहाने अपने को भ्रष्टाचार विरोधी साबीत करना चाहा है वहीँ उनके विरोधी राजद के अगुआ लालू यादव इसको मिडिया मनेजमेंट का नाम दे रहें हैं और ऐसा लोगों का मानना है की बिहार में मिडिया नितीश की बोली बोलती है और इसके लिए नितीश करोड़ों खर्च करते हैं बिहार के अख़बारों में रोज उनका आदम कद फोटो छपता रहता है इसमें संदेह नहीं की बिहार में विकास हुवा है वहां की सड़कें जो जर्जर हालत में थीं वे बनायीं गयीं हैं कानून ब्यवस्था में भी सुधार हुवा है सरकारी कार्यालयों में काम काज में भी सुधार हुवा है पर भ्रष्टाचार भी बड़े पैमाने पर हुवा है अगर इसपर लगाम लगाया जाता तो इससे कहीं ज्यादा विकास हुवा होता लेकिन आज भ्रष्टाचार हमारे खून में रच- बस गया है और शायद ही कोई आन्दोलन इसको ख़तम कर पाए
नितीश बिहार में तो बीजेपी के समर्थन से सरकार चला रहे हैं और केंद्र में आने के लिए कांग्रेस की पूंछ पकड़ने का सन्देश भी दे रहे हैं उनके अधिकार रैली में एक बात साफ हो चुकी है की वे नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं समझते और अपनी दावेदारी जताने दिल्ली आये थे लेकिन क्या अकेले नरेन्द्र मोदी ऐसा कर पाएंगे? और क्या अकेले नितीश जिस कुर्सी का ख्वाब संजोये हैं उसको पाने में समर्थ हो पाएंगे? नरेन्द्र मोदी की पार्टी तो अन्य राज्यों में भी सरकार चला रही है इसके बिना पर अपनी दावेदारी रख सकते हैं पर नितीश की जदयू पार्टी केवल बिहार में हीं सत्ता में है फिर वे इतनी बड़ी दावेदारी किसके बल पर कर रहें हैं इसकी जानकारी उनको ही होगी हाँ अगर वे भ्रष्ट कांग्रेस का दामन थामेंगे तो क्या पता केंद्र में चले आयें पर उनको ज्ञान न हो की कांग्रेस उनको कभी पी एम् की कुर्सी लेने देगी लेकिन नितीश ये भूल रहें हैं उनकी पार्टी कांग्रेस का विरोध करके ही वजूद में आई थी और बीजेपी भी इसमें संदेह नहीं की इंदिरा गाँधी द्वारा लगाये गए इमरजेंसी के बाद ये सारी पार्टियाँ जो क्षेत्रीय पार्टियाँ हैं वे वजूद में आयीं पर बीजेपी को छोड़कर सभी पार्टियाँ ने मौका परस्ती का दामन थामते हुए समय समय पर कांग्रेस का ही साथ देती रहीं और जनता को ठगती रहीं यह बीजेपी का दुर्भाग्य ही है की वे अपनी छबि को सुधार नहीं पाए और साम्प्रदायिकता की कालिख को यह पार्टी धो नहीं पाई और धर्म निरपेक्षता की कांग्रेसी परिभासा को बदल नहीं पाए जो बहुसंख्यक की वकालत करना सांप्रदायिक होना कहलाता है और अल्पसंख्यक को झूठे दिलासे के बल पर अपने को धर्मनिरपेक्ष होने का प्रमाण पात्र लिए बैठे हैं इन नेताओं ने अपने लम्बे चौड़े भासन में कहीं भी भ्रष्टाचार ,महंगाई ,कला धन ,पीने के पानी की समस्या , जल एवं वायु प्रदुषण से जन जीवन दुष्कर होने को राष्ट्रिय मुद्दा नहीं बताया और न ही उसके संधान की और इशारा किया केवल पी एम् की दावेदारी मेरी है यही बताना चाहा क्या किस के पी एम् बन जाने से जनता की तकलीफें दूर हो जाएँगी काश ये नेता इस पर भी कुछ बोलते और अपने भाषणों में इन समस्यायों के संधान हेतु उनके पास के योजनायें यह भी बताते अभी हाल में यमुना के प्रदुषण की समस्या को लेकर बहुत बड़ा आन्दोलन हुवा उसकी चर्चा भी करते की वे अगर गद्दी सम्हालेंगे तो इस समस्या को कैसे दूर करेंगे नदियों को प्रदूषित होने से कैसे बचाह्य्नेगे क्यूंकि जल ही जीवन है यह नेता भी जानते हैं
महत्वाकांक्षा रखना अच्छी बात है पर उसमें जनता की समस्यायों के निदान हेतु समाधान सुझाने से नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को जनता भी पूरा करने की सोचेंगी भले उसके लिए नरेन्द्र मोदी हों या नितीश कुमार जनता तो उनको ही अपना पी एम् कबूल करेगी जो जनता की समस्यायों का समाधान करेगा कोरे वादों का जमन लद गया और अब जनता भी समझदार हो गयी है ऐसा नेताओं को समझना पड़ेगा

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