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प्रदुषण के लिए आन्दोलन

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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कहते हैं “जल ही जीवन है ” यह सत्य दुनिया का कौन सा देश नहीं जानता? पर भारत देश महान है , जहाँ आज नदियों को बचाने के लिए आन्दोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है और हमारे देश के नेता, हमारे देश का प्रदुषण नियंतरण विभाग इस अति गंभीर सार्वजानिक मुद्दे पर कितना लचर और लापरवाह रवैया अपना रहा है- यह जग जाहिर है जो देश तीन तरफ से जल से घिरा है वहां जीने के लिए साफ़ पेय जल का इतना बड़ा संकट गहरा रहा है की लोग पीने के पानी के लिए या तो कोसों दूर पैदल चलकर पानी लेने जा रहें हैं या दिल्ली जैसे महानगरों में पानी के लिए लड़ रहे हैं यहाँ साल दर साल भूगर्भीय जल का स्तर भी नीचे चला जा रहा है और यहाँ की मुख्य नदी यमुना इतनी प्रदूषित हो चुकी है की वह एक गंदे नाले का रूप ले चुकी है शहर का सारा सीवरेज का पानी बिना ट्रीटमेंट के यमुना में छोड़ा जा रहा है और फैक्टरियों का प्रदूषित जल भी धड़ल्ले से यमुना में हीं बिना(ट्रीटमेंट ) बिना साफ़ किये छोड़ा जा रहा है जिस कारन यमुना और प्रदूषित होती जा रही है हमारे देश का प्रदुषण नियंतरण विभाग यमुना को प्रदुषण से बचने के लिए इसे प्रदुषण मुक्त बनाने के लिए करोड़ों में पैसे खर्च कर रहा है पर नतीजा सामने है प्रदुषण विभाग के अधिकारीयों को अच्छी तरह मालूम है की यमुना के जल को कौन प्रदूषित कर रहा है? पर इसकी भरपूर अनदेखी हो रही है और इसका खामियाजा देश को एवं खासकर दिल्ली वासियों को भुगतना पड़ रहा है आज यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक बहुत बड़ा जन-आन्दोलन छिड़ा है जिसमें साधू संत और आम देशवासी भी शामिल हैं और वे मथुरा से दिल्ली की तरफ कूच कर चुके हैं और वहीँ सरकार उन आन्दोलन कारियों को फिर से झूठा दिलासा दिलाने उनको आन्दोलन से रोकने की कवायद में है सरकारी अमला यही चाहता है की कैसे भी आन्दोलन रूक जाये इसकी पहल जरुर कर रही है जब की उसको कैसे प्रदुषण मुक्त यमुना बनाया जाये इसका प्रयास करना चाहिए जो काम सरकार का था उसको जनता को आन्दॉल्न के जरिये करना पड़ रहा है और सरकारी अमले को जगाने उनको इसके लिए मजबूर करने का काम इस देश के साधू समाज भी कर रहा है पानी , मानव मात्र को जिन्दा रहने के लिए अति आवश्यक प्रकृति प्रदत्त साधन है आज सरकार उसको बचाने में असफल नजर आ रही है और ऐसा केवल कांग्रेस राज्य में हो रहा है ऐसा नहीं है सरकारें बदलती रहीं हैं पर नहीं बदला है तो यमुना के जल का हाल यमुना जल के प्रदुषण का हाल क्या यह किसी सरकार के लिए शर्म की बात नहीं? के हम अपने आने वाली पीढ़ी को प्रदूषित यमुना सौपने जा रहें हैं यह मानवता के खिलाफ है इसको एक गंभीर विषय समझते हुए अविलम्ब कोई योजना वद्ध तरीके को अपना कर औद्योगिक कचरे को यमुना नहीं जाने देने का संकल्प लेना पड़ेगा और इसके दोषियों को आजीवन कारावास जैसे दंड देने पड़ेंगे तभी जाकर हम अपनी जीवन दायिनी यमुना एवं गंगा को बचा पाएँगे इसके लिए जिम्मेवार विभाग को जिम्मेवारी निभा पाने की स्थिति में सख्त सजा का प्रावधान जरुरी है प्रदुषण को मानव जीवन विरोधी कृत्य का दरजा देना होगा और दोषियों को सजा देना होगा तब जाकर हमारे देश की नदियों को प्रदुषण मुक्त बनाया जा सकेगा आशा है आज का आन्दोलन आखरी आन्दोलन हो और अधिकारी एवं मंत्रिगन एवं नेता दलगत बह्व्नाओं से ऊपर उठ एक शपथ लें की हम अपने देश की नदियों को और प्रदूषित होने नहीं देंगे और अपने देश को पीने का स्वक्ष जल मुहैया कराएँगे क्यूंकि जीने के लिए स्वक्ष जल यह अति आवश्यक है

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