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क्या अकेले प्रधानमंत्री ही इस देश की समस्यायों का समाधान कर सकते हैं ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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आज चारो तरफ प्रधानमंत्री कौन बने मोदी बनें? या राहुल गाँधी बनें यही चर्चा लगातार अख़बारों और टेलीविजन पढने /देखने को मिल रही है
क्या किसी पार्टी द्वारा (मेरा मतलब बीजेपी और कांग्रेस पार्टी से है) प्रधानमंत्री कौन बने ? ऐसी घोषणा कर देने से देश की प्रमुख समस्या
महंगाई ,भ्रष्टाचार ,काला धन जो विदेशों में रखा है ,न्यायिक प्रक्रिया जो आज न्याय नहीं दिल पा रही है क्यूंकि इसमें इतनी देरी हो रही है की उसे न्याय कहना न्याय का अपमान कहा जायेगा ,पुलिस के कार्य करने की शैली जहाँ पुलिस ठाणे में ही किसी युवती का बलात्कार कर दिया जा रहा है , समाज में गरीबी -अमीरी की खायी दिनोदिन गहरी होती जा रही है किसी के पास अकूत धन सम्पति है कोई बेघर है और दो जून रोटी को मोहताज है और न जाने कितनी अनगिनत सामाजिक सरोकार की बातें हैं उन सब का निराकरण क्या अकेला एक सशक्त प्रधानमंत्री के बन जाने से इस देश की जनता जो इन समस्यायों से जूझ रही है उससे उसको निजात मिल जाएगी क्या इस देश के अति गरीब परिवार के जीवन में भी खुशहाली आ जाएगी ? यह एक यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब आज की राजनितिक पार्टियों को ढूँढना है और साथ हीं जनता को भी सोचना है और मेरी राय में तो जनता जैसे पिछले दो साल से अन्ना हजारे के आन्दोलन से जुडी है और लाखों की संख्या में वर्तमान राजनितिक ब्यवस्था के खिलाफ लामबंद हुयी है वैसे ही आने वाले चुनाव के दौरान भी अपनी इस शक्ती का प्रयोग सही एवं इमानदार प्रत्याशी को अपना मत देकर जिताने का काम करे तब जरुर बदलाव की उम्मीद की जा सकती है वरना केवल प्रधानमंत्री के बदल जाने से इस देश की तकदीर नहीं बदल सकती क्यूंकि यहाँ देखा जा चूका है की जब भी भ्रष्टाचार या बहुचर्चित जन्लोकपाल कानून के मुद्दे पर संसद में चर्चा हुयी सभी नेता चाहे वो किसी पार्टी का हो किसी दल का हो एक सूर में उस बिल को पास नहीं होने की दिशा में काम करते नजर आये हैं सबों ने सीबीआई जैसी जाँच एजेंसी को सरकार के अधीन रखने की ही पैरवी करते रहे हैं और हर वक्त संसद को सर्वोपरि कहते हुए नजर आये बेशक आज का संसद केवल हंगामे के भेंट ख़तम हो जाये और जनता के हित में कोई काम न हो केवल हंगामा हो और सत्र ख़तम हो जाये नेताओं मंत्रियों को भत्ता भी मिल जाये जो जनता की गाढ़ी कमाई का हिस्सा है. अतः आज की ब्यवस्था में परिवर्तन चाहिए जनता को ऐसा लगना चाहिए उसके द्वारा चुने गए नेता अपनी सुरक्षा के लिए हीं पुलिस का इस्तेमाल ना करें जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चीत की जाये कैसे पुलिस सुधारों द्वारा पुलिस को जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जाये जो आज जनता को कैसे सताया जाये? केवल इसीके के लिए काम कर रही है और अपनी गाड़ियों पर लिख दे रही है “दिल्ली पुलिस का हाथ आम आदमी के साथ ” आज देश की राष्ट्रिय एवं शेत्रिय पार्टियों में भी इतना अंदरूनी कलह है जिसमे किसको प्रधानमंत्री बनाया जाये यह तय करना नामुमकीन है कांग्रेस भले आला कमान का नाम जप्ती रहती है वहां भी मौन विरोध चल रहा है वरना राहुल गाँधी जिन्होंने यूपी चुनाव के दौरान कितनी सभाएं किये पृ वहां की जनता का दिल नहीं जीत पाए और उनकी पार्टी के बडबोले नेता मनीष तिवारी , दिग्विजय सिंह , बेनी प्रसाद वरना ,सलमान खुर्शीद गलत बयां बजी के चलते कांग्रेस को मिलने वाली सीटों पर हार गए राहुल जी को इस पर ध्यान देना होगा और अपनी पार्टी को भ्रष्टाचार का समर्थक न बनाते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का सन्देश जनता को देना चाहिए अगर कांग्रेस कुछ ऐसा करती नजर आती है दागी नेताओं को बहार का रास्ता दिखाती है तो हो सकता है कांग्रेस फिर से शासन पर काबिज हो जाये और बीजेपी अगर अपने पर सांप्रदायिक कहे जाने का दाग धो सकती है तो बहुसंख्यक हिन्दू भी उसे जरुर जिताएंगे और अल्पसंख्यक मुस्लिम भी उसको जिताने का प्रयास करेंगे क्यूंकि कांग्रेस केवल दिलासा दिलाने का काम ही करती रही है झूठे आश्वासन देकर मुस्लिमों को अपने पक्ष में करती आई है पर यूपी में आरक्षण देने के बावजूद भी मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिल गया और केंद्र में कांग्रेस उसी गुंडों की पार्टी के सरगना मुलायम सिंह यादव का समर्थन लेकर सरकार चला रही है कांग्रेस. क्या? जनता यह सब नहीं देखती बीजेपी और कांग्रेस को इस पर भी विचार करना होगा और कैसा बदलाव वे लायेंगे कितना लोगों से जुड़ेंगे उनकी समस्यायों का समाधान किस तरह करेंगे ऐसा कुछ देश की जनता को बताएं न की प्रधानमंत्री कौन बनेगा इस पर ही ज्यादा जोर देते रहें पहले अपने घटक दलों से राय मशविरा कर लें तभी अपने नेता की घोषणा करें तभी देशहित और जनहित में उनका पैगाम जनता के बीच पहुचेगा और तभी प्रधानमंत्री बनाने के प्रस्ताव को इस देश की जनता कबुलेगी क्यूंकि जनता बदलाव चाहती है परिवर्तन छाती है न्याय चाहती खुशहाली चाहती है महंगाई से निजात पाना चाहती है नेताओं को सादगी अपनाने को कहती है क्यूंकि आज नेता राजा और इस देश की जनता प्रजा नजर आ रही है और ऐसा लोकतंत्र में नहीं होता

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