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बलात्कार की घटना भारत में कम इंडिया में ज्यादा होती है – जागरण जंक्शन

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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सबसे पहले हमें इस पर विचार करने की जरुरत है की क्या वाकई अपने देश में इंडिया और भारत दोनों एक साथ बसता है या नहीं ? मैं समझता हूँ जरुर हमारे देश में इंडिया और भारत एक साथ वजूद में है और इसकी चर्चा कई बार अख़बारों के माध्यम से अमीरी गरीबी के पैमाने के तौर पर हुयी है अतः इसको इतना तूल देने की कोई जरुरत नहीं है हाँ जरुर आज दिल्ली में हुए दुष्कर्म की घटना पर अलग अलग तरीके से लोगों का गुस्सा सामने आ रहा है और इसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है और साथ ही नित नयी बलात्कार की घटनाएँ भी देश के कोने कोने से सुनने को मिल रही है लगता है जितनी ही इस दुष्कृत्य की भ्र्स्ताना कीजा रही है उतनी ही ऐसी घटनाओं को बलात्कारी एवं असामाजिक तत्व कानून को खुली चुनौती दे रहें हैं अब देखना है अपने देश का कानून अपनी संसद अपने नेता अपने मंत्री अपने प्रधान मंत्री अपने देश की सबसे सशक्त महिला नेता श्रीमती सोनिया गाँधी महिलाओं की सुरक्छा के प्रति कितनी संजीदगी से इस घिनौने कृत्य को रोकने के लिए कौन से सख्त कदम उठाती हैं आज इस विषय पर तरह तरह के बयां बाजी से इतर ऐसी सामाजिक बुराई से कैसे निपटा जाये इस बाबत चर्चा अपेक्छित है और मिडिया को भी बजाय नए बलात्कार की घटना को छपने के , कुछ ऐसी खबर को प्रथ्मीक्ता देनी चाहिए की जो पहले ऐसी घटनाएँ घाट चुकी हैं उनके दोषियों को दण्डित करने के लिए अपनी पुलिस अपना कानून क्या कर रहा है ? ऐसा करने से जनता एवं महिलाओं का मनोबल नहीं टूटेगा और लोगों में आज जो कानून एवं पुलिस के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ी है उसमे कमी आएगी वर्ना लोगों को कानून एवं सरकार से पूरी तरह विशवास ख़तम हो जायेगा जिस देश में केवल ८० हजार लोग इंडिया में रहते है और बाकि के १२२ करोड़ लोग भारत में रहते है और देश के सम्पूर्ण उत्पादन ,सुख सुविधा सारे आराम के साधन केवल इतने उच्च वर्ग के लोगों सुरक्छा प्रदान करने में सभी संसाधनों का इस्तेमाल होता है इस आंकड़े में अपने नेता एवं मंत्रिगन भी शामिल हैं फिर हम इंडिया और भारत को अलग अलग कर बताते हैं तो इसमें गलत क्या है क्या कभी किसी अमीर ने सोंचा भी ही इस कड़ाके की सर्दी में जिसमे हड्डियाँ कटा कटा रहीं है और मजबूर गरीब खुले आसमान में सोने को मजबूर है उनको कभी कोई राहत कोई सरकार कोई गैर सरकारी संसथान आगे बढ़कर उनको कड़ाके ठंढ में कम्बल या कोई शेड बना कर देने को तैयार दिख रही है ऐसा नहीं की कुछ नहीं हो रहा है जरुर हो रहा है कुछ लोग जरुर ऐसे में उनपर दया दिखा रहें हैं पर वह ऊंट के मुह में जीरा का ही काम करते नजर आ रहें हैं अभी और ज्यादा कहीं और ज्यादा करने की जरुरत है
मोहन भगवत का यह कहना बिलकुल प्रासंगिक है क्यूंकि जिस तरह की बलात्कार की घटना देश की राजधानी दिल्ली में १६ दिसंबर को हुयी या ऐसी दुष्कर्म की घटना और किसी शहर में भी आये दिन घटती रहती है वैसी घटना भारत के गाँव में नहीं घटती हाँ गाँव में पारिवारिक यौन शोसन की शिकार महिलाएं और बेटियां जरुर है वहां ज्यादातर रिश्तेदार लड़कियों का यौन शोषण करते है हैं जो बलात्कार का ही एक दूसरा रूप है महिलाएं तो सब जगह सताई जा रही हैं
बलात्कार की घटना के पीछे बीमार मानसिकता ही जिम्मेवार है और हमारी सिक्छा पध्धति भी उतनी ही जिम्मेवार है क्यूंकि विद्यालयों द्वारा रोजगार कैसे पाया जाये यही सिखाया जा रहा है विद्यार्थियों को एक अच्छा इन्सान कैसे बनाया जाये इस ओर सिक्छा का ध्यान बिलकुल नहीं चरित्र निर्माण की तरफ कुछ ध्यान नहीं उसीके चलते आज का युवा दिशाहीन और अनुशासन हिन् हो रहे हैं कुछ हद तक लड़कियों का पहनावा भी ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देता है क्यूंकि जो पहनावा आज लड़कियां अपना रहीं है वह पश्चिमी सभ्यता वाले लोग अपनाते हैं और उनके यहाँ पहनावे से लोगों की मानसिकता विकृत नहीं होती पर भारत में इंडिया में ऐसी मानसिकता युवा एवं युवतियों की नहीं है अतः केवल पहनावे को अपना लेने से वे आधुनिक नहीं बन जायेंगे विचार आधुनिक होने चाहिए
आज लोगों की सोंच्मे कैसे परिवर्तन आये इस पर धयन और चाचा करने की जरुरत है कानून अपना काम करे पुलिस अपनी जिम्मेवारी समझे और देश में कानून का राज हो लोग अनुशाषित हों और एक दुसरे के पार्टी बह्यिचारा कैसे आये इस पर आज तवज्जो देने की जरुरत है केवल वोट बैंक के लिए नेता एवं मंत्री आज समाज को जाती और समुदाय में बाँट रहें हैं यह भी इन भूऋआय़ीओण को ज्यादा बढ़ावा दे रहा है कानून का सख्ती से पालन कैसे हो ? इसकी झरूरत है वर्तमान कानून बहुत ठीक हैं केवल उनका पालन होना चाहिए इसको कैसे अचीव किया जायेगा इस और चर्चा होना जरुरी है

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