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क्या सख्त कानून बना देने से -दुष्कर्म की घटना थम जाएगी ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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दिल्ली में हुए १६ दिसंबर की घटना आज मिडिया में गहन चर्चा का विषय बना है और जरुर ऐसा होना चाहिए क्यूंकि ऐसी घटनाओं का अगर जबरदस्त विरोध नहीं होगा तो ये घटनाएँ दिनोदिन बढती जाएगी अब जनता , सरकार , प्रशासन ,अदालत ,कानून एवं कानूनविदों को इस समाज विरोधी अमानवीय अपराध को कैसे ख़तम किया जाये? इस पर गंभीरता से सोचना है . पिछेले दिनों हर जुबान से यह सुना गया “अपराधी को बलात्कारियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए कोई कहता है बलात्कारियों को फांसी की सजा होनी चाहिए कोई कहता है उम्र कैद होना चाहिए और कोई कहता है उन्हें हाथी के पैरों तले कुचल के मार देना चाहिए कोई तो कहता है उनको नपुंसक बना कर छोड़ देना चाहिए ताकि ऐसे असामाजिक लोग बलात्कार जैसी अमानवीय घटना की पुनरावृति ना कर पायें . मेरी राय में भी यह सजा उनके अपराध के लिए मुनासीब है , लेकिन साथ ही मैं यह भी कहता हूँ आखिर हमारा समाज इतना संवेदनहीन क्यूँ हो गया है ? क्या हमारी महान संस्कृति का अंत आ गया है क्या हमारे सिक्छक विद्यालयों में ऐसे ही विद्यार्थी तैयार कर रहें हैं आखिर क्यूँ हमारे युवा एवं और दुसरे लोग ऐसे अमानवीय अपराधों के लिए प्रेरित हो रहें हैं? जरुर हमारी सिक्छा ब्यवस्था का ही दोष है और सबसे पहले हमें इसे ही सुधारने की जरुरत है और त्वरित न्याय प्रणाली की स्थापना होनी चाहिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनने चाहिए और तयशुदा समय सीमा के अंतर्गत अपराधी को सजा मिलनी चाहिए आज अपराधियों को सजा ही नहीं मिलती और इंसाफ होने में इतनी देरी होती है की जो पीडिता है वह जीते जी मर जाती है उसका पूरा परिवार बदनाम और बर्बाद हो जाता है अतः ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार कैसे हो? इस पहलु पर भी विचार होनी चाहिए अगर इस घटना के बाद भी अपने देश में कोई सख्त कानून बना कर अपराधियों को जल्द सजा नहीं दिया जा सका जैसा की पिछली कई घटनाओं में देखने सुनने को मिला है फिर तो कुछ कहना या लिखना बेमानी है मुझे उम्मीद है अपने देश की सरकार एवं अपने नेतागण इस जघन्य अपराध पर किसी तरह का पर्दा डालने की कोशिस नहीं करेगे और ऐसे में अपनी पार्टी का राजनितिक लाभ कैसे हो ऐसा नहीं सोचेंगे वरना जनता को बहुत निराशा होगी वैसे भी पिछले कई वर्षों से महिलाओं के प्रति अपराध बड़ी तेजी से बढे हैं जरुर हमारे प्रधानमंत्री गृह मंत्री कानून मंत्री इस गंभीर विषय पर अपने विचार रखेंगे और पीड़ित परिवार को जल्द न्याय दिलाएंगे . ऐसे में मुझे महात्मा गाँधी जी का कहा हुवा यह कथन याद आता है जो की जागरण के मुख पृष्ट पर छपा भी था “महिलाओं को अबला कहना उनका अपमान है .यदि महिलाएं संकल्प कर लें तो वे अपनी आध्यात्मिक अनुभूति के बल पर पूरे देश और समाज का स्वरूप ही बदल सकती हैं ”
अब महिलाओं ने सोचना है देखना है क्या वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के इस विचार से सहमत हैं अगर हाँ तो निश्चीत रूप से अपने इस वर्तमान समाज का स्वरूप बदल जायेगा और उनके प्रति जो आये दिनों ऐसे अपराध हो रहें हैं उनका यौन शोसन हो रहा है ऐसी घटनाएँ भी नहीं होंगी ऐसा मेरा विश्वास है और आशा करता हूँ आज की लड़कियां एवं महिलाएं भी इस बात को समझेंगी और इस ओर मेरा मतलब है आध्यात्मिक शक्ति का विकास करने की ओर अपने कदम बधय्नेगी क्यूंकि आज के माहौल में आध्यात्म को प-उराने ज़माने में जीना जैसा समझा जाने लगा है और हमरी आध्यात्मिक धरोहर का विनाश हो रहा है और यही कारन भी है सामजिक पतन का नैतिक पतन का चारित्रिक पतन का आशा है इस पर गहन चर्चा जागरण द्वारा भी की जाएगी
कानून तो कितने ही पहले से हैं जरुरत कानून के पालन की क़ानूनी तरीके से ब्यवहार करने की अनुशासन की क्या इस और भी युवा एवं युवती जरुर सोचेंगे और अपोंबे विचारों में उच्चता लायेंगे स्वार्थी और लालची बने रहने की नहीं सोचेंगे सादगी सेजीना सीखेंगे जैसा महतम गाँधी ने भी अपने जीवन से लोगों को सिखाया था और ऐसा कहता “मेरा जीवन हिन् मेरा सन्देश है

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