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बिचौलियों और दलालों को हटाने की सरकार द्वारा कवायद

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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आज ख़बरों में पढने को मिला की सरकार अपना खजाना गरीबों के लिए खोल रही है और इसके लिए सरकार अब लाभार्थी गरीबों को उनके अकाउंट में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की सोंच रही है और परॆक्छन के तौर पर अभी देश के ५१ जिलों में ऐसा करने जा रही है इस पर मैं अपने विचार ब्यक्त करना चाहूंगा
सबसे पहले आज की तारीख में किन लोगों का अकाउंट बैंकों या पोस्ट आफिस में खुला हुवा है इसकी जानकारी सरकार को या उनके अधिकारीयों को है ?
अगर नहीं तो सबसे पहले इसका सर्वे किया जाये किनका अकाउंट खुला है कहीं ये वाही लोग तो नहीं जो पहले से सुविधा प्राप्त है , मैं तो एक गाँव से जुड़ा हुवा हूँ और मेरे गाँव के आस पास के १५- २० गाँव में तो किसी गरीब या जरुरत मंद का अकाउंट है ही नहीं यहान तक की गाँव का गरीब, अकाउंट किसका नाम है वह भी नहीं जनता अतः सरकार कुछ देना हिन् चाहती है तो सबसे पहले उनको सिक्छा प्रदान करे उनकी बुनियादी जरूरतें कैसे पूरी हों उस विषय में कुछ काम करे आज जरुर गाँव में सड़क और बिजली पहुच चुकी है पर सभी लोग अपने घरों में बिजली नहीं जला पते हैं सभी अपने बच्चों को स्कुल नहीं भेज पाते हैं क्यूंकि उनकी आर्थिक हालत इतनी ही ख़राब है की वे अपने बच्चे से अपने खेतों में काम करना ज्यादा मुनासिब समझते हैं और ऐसा सोचते हैं पढ़ लिखकर क्या करेगा ? नौकरी तो इसको मिलनी नहीं अभी गाँव वाले पढने लिखने का मतलब कोई नौकरी पाना ही समझते रहे हैं जब तक उनके दिमाग में यह बात नहीं बैठती की मेरा बच्चा या बच्ची स्वरोजगार भी कर सकते हैं इसलिए सबसे पहले उनको पढाई का मतलब क्या है यह समझाना जरुरी है हाँ इतना जरुर है अगर गरीबों को पैसा कुछ मिलेगा तो उनकी आर्थिक हालत में सुधर आएगा पर कितने बैंक गाँव के गरीबों खाता खोल पाए हैं और ये बिचौलिए क्या ऐसा करने से रूक जायेंगे बिलकुल नहीं उनकी तो और चांदी हो जाएगी बैंक के बाबुओं से सांठ गाँठ करके फिर भी पैसे निकाल लेंगे इसलिए सरकार को सबसे पहले गाँव वालों को इसके लिए जानकारी उपलब्ध करनी पड़ेगी और ऐसा सुनिश्चित करना पड़ेगा की सचमुच पैसे जो गरीब के अकाउंट में गया वह उसे हिन् मिला और यह भी देखना होगा की वह उनके जरुरी काम में खर्च हो रहा है या शराब के भेंट चढ़ रहा है आजू गाँव गाँव में शराब की भट्टियाँ तो जरुर खुल गयीं है पर दूर दूर तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं खुले न कोई दवा की दुकान खुली है खासकर नितीश कुमार के सुशासन वाले राज्य बिहार में तो हाल यही है अभी पिछले दिनों कितने गरीब जहरीली शराब पीकर मौत को गले लगा चूंके हैं क्या इसका ज्ञान भी वर्तमान सरकार को है. उधर दिल्ली जो देश की राजधानी है शराब की बिक्री में अव्वल नंबर पर आती जा रही है और सरकार को भी इस काम में ज्यादा राजस्व प्राप्ति हो रही है और नित नए लाईसेंस सरकार जारी कर रही है क्या केवल शराब के बोतल पर यह लिख देना काफी है की “शराब सेहत के लिए हानिकारक है ” केवल इतना लिख देने मात्र से जनता के प्रति उनके दायित्वों का अंत हो जाता है चाहे जितना मर्जी पैसा गरीबों को पंहुचा दिया जाये नहीं इससे भ्रष्टाचार मिटने वाला है नहीं गरीबों की हालत में कोई सुधार होनेवाला है अगर कुछ हो सकता है तो तब होगा जब गाँव वालों को सिक्छित किया जाये की वह पैसे जो मिले हैं उसका क्या उपयोग करेंगे
और भ्रष्टाचार तो तभी मिटेगा जब लोग यह जान जायेंगे आज जो उनके घर में बेटी जनम लिया है उसकी शादी के लिए उन्हें कोई दहेज़ नहीं देना पड़ेगा और उसको वे पढ़ाएंगे लिखाएंगे और इस काबील बनायेब्गे की वह आर्थिक रूप से किसी की मुहताज ना रहे जनता को पता चले की जो बच्चा या बच्ची उसके घर जनम ली है उसके सिक्छा दीक्छा सरकार हीं पूरा करेगी उसके स्वास्थ्य का जिम्मा सरकार उठाएगी अगर जनता जिस दिन आस्वस्थ हो जाएगी जैसा की अमेरिका या और पश्चिमी देशों में होता है . लेकिन दुःख तो इस बात का है की सरकार ऍफ़ डी आई को देश में लाने के लिए बेचैन है जो अमेरिकी कंपनी है और अमेरिका अपने देश में उनके दुकानों को बंद कर रहा है तब भारत खोल रहा है लेकिन वहां के नागरिकों को अपने बच्चे की पढाई की चिंता नहीं है उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान सरकार रखती है वह सब अपने विद्वान् प्रधानमंत्री एव्वं वित्त मंत्री को क्यूँ नहीं चलता पहले जनता को वैसी सुविधाएँ तो प्रदान करे फिर ऍफ़ दी आई की सोंचे बुनियादी सहूलियतें तो सरकार दे नहीं पाती प्रशासनीक सुधार तो कर नहीं पाती जवाबदेही तय कर नहीं पाती फिर ऐसे गैर जिम्मेवार सरकार की योजनाओं से वह भी चुकी २०१४ में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं सरकारी खजाने खोलने से क्या होगा क्या वर्त्मान सरकार द्वारा जानलेवा महंगाई पर कोई लगाम नहीं लगा पायी घोटाले पर घोटाले करती रही स्विस बैंक में पैसा सड़ता रहा उसे वापस नहीं ले आ पाई क्या यहाँ की जनता यह सब भूल जाएगी अगर कांग्रेस ऐसा सोचती है तो भारी भूल कर रही है सबसे पहले २००४ में जो वायदा जनता से किया था स्विउस बैंक से कला धन वापस लाना उसको लाये फिर इस देश की सारी समस्याएं सारी महंगाई दूर हो जाएगी सार्वजानिक वितरण प्रणाली में सुधार लाये अनाज को सड़ने से रोके और अगर रखने की जगह नहीं तो उसे वहीँ जहाँ से गेहूं खरीदा है वही जिनको खाने को नहीं उन्हे दे दे तो ज्यादा भला होगा कम से कम गरीब रोटी तो खा लेगा सुखी ही सही यूँ बिना काम किये पैसे बाटने से लोग नकारे बन जायेंगे और उनकी श्रम करने की चाहत और शक्ति समाप्त हो जाएगी बेकार बैठना अच्छा समझने लगेंगे जो कभी भी जनहित या देशहित में नहीं होगा

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