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भ्रष्टाचार – भाग २

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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मेरे ख्याल से भ्रष्टाचार जिसकी चर्चा आज जोरों पर है और आज ज्यादातर नेताओं एवं मंत्रियों के नाम पर कोई न कोई भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं पर इसके बावजूद वे इस देश की जनता पर शासन कर रहें हैं और इस देश की जनता उनके हर गलत फैसलों को मानने को मजबूर है क्यूंकि उन नेताओं को इस देश की जनता ने ही चुनकर भेजा है और उनको ५ साल से पहले वापस बुलाने या उनकी सदस्यता ख़तम करने का अधिकार जनता को संविधान ने नहीं दिया है शायद हमरे संविधान को लिखने वाले उस समय के विद्वान् बाबा साहेब आंबेडकर( जो पिछले दिनों एक कार्टून विवाद में घिरे रहे) उनको ऐसा ज्ञान नहीं रहा होगा की लोक प्रतिनिधि इतने बेशर्म हो जायेंगे की जनता का एक पैसे का काम नहीं करेंगे और फिर भी जनता के पैसों पर ऐश करेंगे
आज इस देश में इमानदार नेताओं की कोई कमी नहीं है पर बेईमानो और दबंगों ने राजनीती पर अपना कब्ज़ा कर रखा है . ऐसे में अन्ना हजारे एंड टीम केजरीवाल कुछ नया करने का जनता को विश्वास दिला रहे हैं हैं अभी कुछ रोज पहले उन्होंने आम आदमी पार्टी के नाम से नयी पार्टी का गठन भी किया है और दावा कर रहें हैं वे इस ब्यवस्था को बदल देंगे , मुझे बड़ा संदेह है . और वो यूँ है, की हो सकता है उनके टीम में कुछ इमानदार लोग होंगे वे अपने लिए ज्यादा नहीं सोचेंगे और जनता के लिए ही कुछ करने का इरादा रखते होंगे लेकिन इस देश में ५४५ लोकसभा सदस्य होते हैं जो बिभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करते है और इनकी नयी पार्टी क्या इतने कम समय में पूरे देश के लोगों को ऐसा समझा पाएंगे की उनकी पार्टी आज की पार्टियों से भिन्न होगी ऐसा विश्वास आज देश की जनता नहीं करती दिखाई देती क्यूंकि जनता आज नेता नाम से नफरत करने लगी है जिसका कारन खुद नेता हैं उन्होंने संसद में जाकर केवल हंगामा ही करना है और अपना वेतन भत्ता लेकर खा पीकर चल देना है उनको कोई पूछने वाला ही नहीं की उन्होंने जब जनता को कोई काम ही नहीं किया उनको वेतन भत्ता क्यूँ दिया जाये ? कौन यह सवाल उनसे कर सकता है कानून में भी कोई प्रावधान नहीं जो उनके खिलाफ कोई क़ानूनी कार्रवाई हो सके और जनता को अगले चुनाव का ही इन्तेजार करना है
मैं जब छोटा था तब मैं झरिया के कोयला खदान छेत्र में अपने पिताजी के साथ रहता था और वे वहीँ कार्यरत्त थे उस समय के नेता शायद वे कमुनिस्ट थे तब मैं bahut छोटा था पार्टी -नेता का कोई ज्ञान नहीं था उन्होंने खदान मजदूरों की मीटिंग में एक नारा दिया था वह था “वेतन पयिले आसिबो जयिबो , काज कोरले ओ टी निबो ” इसका अर्थ है अगर केवल वेतन भत्ता मिलेगा तो आयेंगे = जायेंगे और अगर कुछ काम करेंगे तो अतिरिक्त पैसा लेंगे क्या ऐसा नारा एक नेता को जनता को सिखाना चाहिए ? इसमें मिहनत कश को अकर्मण्य बनाने का ही सन्देश देना ही है न ! और साथ ही नेता आज जो कर रहे हैं वह उनकी सिक्छा ही है कुछ काम न करो और जनता के पैसों पर मौज करो
अगर अरविन्द केजरीवाल टीम जनता का काम कर पायेगी उनको मौलिक सुविधाएँ दिला पायें उनकी बुनियादी जरूरतों की पूर्ती हो तब तो सचमुच बदलाव आएगा और उनकी टीम में इमानदार लोग होंगे तो भ्रष्टाचार ख़तम नहीं तो कम जरुर हो जायेगा और कम से कम बड़े घोटाले जो देश की आर्थिक स्थिति को खोख्ला बना रही है उसका अंदेशा कम रहेगा कुछ न कुछ सुधार जरुर हो जायेगा.
सर्कार अगर किसानो की सुध लेगी तो आज जो गाँव से शहरों की तरफ पलायन हो रहा है वह रुक जायेगा गाँव में बुनियादी सुविधाएँ मिले खेतिहर को उसकी लगत का पैसा जरुर मिले ताकि वह भी गाँव में रहकर अपने परिवार का भरण पोषण कर आत्म निर्भर रहे और उसके द्वारा पैदा किया गया खद्यान्न यूँ बाहर सड़ने को न छोड़ा जाये जिसको पैदा करने में अपना खून पसीना बहता है और उसका मोरल उचा रहे फिर से देश को जय जवान जय KISAN का NARA DIYA JAYE

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