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न्याय पालिका ही अब इस देश के लोकतंत्र को बचा सकती है

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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जब से राबर्ट वाड्रा और सलमान खुर्शीद के विषय में खुलासे हुए हैं तब से सत्ता पर काबीज कांग्रेस इमरजेंसी के दौरान जिस तरह तानाशाह बन गयी थी वैसा ही ब्यवहार आज कांग्रेस पार्टी कर रही है आज देश में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी सरकार एवं कांग्रेस पार्टी उस आरोप की जांच कराने के लिए भी तैयार न दिखती यानि कायदे कानून की बात करना जैसे इस देश में जुर्म है लेकिन लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने हुए सांसद जिस तरह से आज ब्यवहार कर रहे हैं ऐसा ब्यवहार विश्व के किसी लोकतान्त्रिक देश में सरकार में काबीज पार्टियाँ नहीं कर रही हैं जहाँ कही भी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली है, पर अपने देश का लोकतंत्र विचित्र है जहाँ नेता एवं मंत्री घोटालों के आरोप लगने के बाद भी जो सबसे पहले सरकारी प्रतिक्रिया होनी चाहिए अपने संविधान के प्रावधानों के तहत यानी जांच का आदेश दिया जाना उससे भी यह कांग्रेस सरकार कतराती है तरह तरह के अनर्गल बयां देकर आरोप लगाने वाले के खिलाफ ही कार्रवाई करने की कोशिस में जुटी है अगर किसी नेता या मंत्री पर ऐसे भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं तो क्या ऐसे में न्यायपालिका यु ही चुप बैठेगी जब सरकार संविधान की यू धज्जियाँ उड़ाएगी जनता लाचार दिखेगी आन्दोलन करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की धमकी सरकार द्वारा दी जाएगी फिर यहाँ लोकतंत्र किस तरह का है ? इसका जवाब जनता को एवं आर.टी.आई कार्यकर्ताओं को कौन देगा ? सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ संविधान द्वारा दिए गए विरोध प्रदर्शन के अधिकार को यु सरकारें संघर्ष कर्ताओं को इससे वंचीत करती रहेंगी और दोषियों के खिलाफ कोई जांच के आदेश देने के बजाय जिन्होंने आरोप लगाये उनके खिलाफ ही अपनी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने लगेगी .क्या? ऐसे वक्त भी न्यायलय यु चुप बैठा तमाशा देखेगा फिर संविधान की रक्छा कौन करेगा जनता की बुनियादी सुविधाओं का हनन करके ये नेता लूटकर इस देश का धन विदेशी बैंकों में रखने लगे हैं और सभी पार्टियाँ यह कहती रही की सत्ता में आये तो सबसे पहले स्विस बैंक का पैसा देश में वापस लायेंगे क्यूंकि उतने पैसों से हमारे देश की गरीबी बिलकुल समाप्त हो जायेगी, महंगाई ख़तम हो जाएगी और जो योजनायें धन के आभाव में पूरी नहीं की जा सकीं हैं उनको भी पूरा किया जा सकेगा सभी तथ्यों की जानकारी होने के बावजूद भी इस सरकार द्वारा इस तरह उदासीन रहना क्या साबीत करता है? क्या इसे तानाशाही शासन नहीं कहेंगे देश का नागरिक होने के नाते मेरा सर्वोच्च न्यायलय से अनुरोध है की वह हस्तछेप करे और या तो झूठे आरोप लगाने वालों को सजा का एलान करे, या जिनपर आरोप लगे हैं उनकी जांच का अज़देश दे और उनका फैसला फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में हो ताकि दोषियों को शिघराती शीघ्र सजा का एलान हो ताकि दुसरे भ्रष्टाचार करने से डरें और यह डर केवल न्यायलय ही पैदा कर सकता है और आज के गंदे राजनितिक परिवेश में देश की जनता को न्याय तभी मिल सकता है मैं बड़ी आशा के साथ अपना यह ब्लाग लिख रहा हूँ और प्रबुध्ह पाठकों से अनुरोध करता हूँ इस विषय पर वे अपना सर्वाधिक प्रतिक्रिया दें ताकि यह अभियान देश ब्यापी बने

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