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चुनावी साल में खुलेगा सरकार का खजाना

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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अपने देश में पांच साल बाद चुनाव होता है और नयी सरकार चुनकर आती है इसी तरह अपने देश की राजधानी दिल्ली में अगले साल यानि २०१३ में चुनाव होने हैं बीते चार साल में दिल्ली सरकार एवं केंद्र की सरकार दोनों चारों हाथों से जनता का पैसा लूटते रहे कभी कामन- वेल्थ- गेम के नाम पर तो कभी २ जी, तो कभी कोयला घोटाला अब वाड्रा घोटाला और दोनों जगह कांग्रेस पार्टी की हीं सरकार है “वो कहावत है न जब सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का ” दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्छित का भी नाम कामन- वेल्थ- गेम घोटाले में आया था पर उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुयी वे अपना मुख्य मंत्री का पूरा कार्यकाल पूरा करने वाली हैं और जैसे जैसे २०१३ नजदीक आ रहा है वे दिल्ली की जनता पर मेहरबान होना शुरू कर दी हैं .पहले अनिधिक्रीत कालोनियों को नियमीत करने की मंजूरी दे दी भले उनमे कोई बुनियादी सुविधा हो न हो और आगे चलकर भी कुछ उनके लिए किया जाये अथवा नहीं इस एलान के द्वारा अपना वोट बैंक उन्होंने सुनिश्चीत कर लिया और अब तो सरकारी खजाने को हीं खोल दिया है. जागरण अख़बार में ही खबर छपा है “दिल्ली सरकार के विश्वस्त सूत्रों ने बताया की विभिन्न सरकारी महकमों के पास अरबों रूपये पड़े हुए हैं वित्त वर्ष २०१२-१३ की पहली छमाही बीत चुकी है , लेकिन सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा विभाग आवंटित रकम का एक चौथाई हिस्सा भी खर्च नहीं कर पाए” जाहिर है विभागों को ऐसा करने का निर्देश किसके द्वारा दिया गया होगा . निस्संदेह श्रीमती शीला दीक्छित द्वारा .अब जब चुनाव नजदीक आ गया है तो खजाने का दरवाजा खुल गया जरुर चारों तरफ दिल्ली में विकास कार्य दिखेंगे और यहाँ की जनता फिर से शीला दीक्छित को हीं अपना मुख्यमंत्री बनाना अपने फैदे में है ऐसा सोचेंगे . लेकिन इन सब लुभावने मुद्दों के आलावा एक महत्वपूर्ण मुद्दा और है जिस पर किसी सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है और वह है जानलेवा “महंगाई” यहाँ आम जनता रोज २४ घंटो में २० घंटे काम करके भी दिल्ली की महंगाई में अपना गुजर बशर बमुश्कील कर रहें हैं उसपर रसोई गैस के सिलिंडर को इतना महंगा कर दिया गया जो हर परिवार को परेशान किये हुए है जाहिर है किसी परिवार में साल में १२ से कम सिलेंडर तो खर्च होता नहीं फिर छठे सिलेंडर के बाद सातवें का दाम ८००-९०० कर देना सीधे सीधे आम जनता को एक वक्त ही खाना बनाओ और एक वख्त खाकर हीं जीने की आदत डालो क्यूंकि तुम इतना महंगा सिलेंडर खरीद ही नहीं पाओगे इससे सरकार को दुगुना फ़ायदा होगा गैस की खपत भी कम होगी इस तरह के जनविरोधी फैसले यही सन्देश देता है
क्या चुनाव आयोग केवल चुनाव के समय हीं क्रियाशील रहेगा? उनको भी पार्टियों ,नेताओं और सरकारों से जरुर सवाल करना चाहिए की जो विकास कार्य पिछले चार साल में होने थे उनको अब तक लटकाए रखने में सरकार की क्या मनसा थी जबकि हर परियोजना का खर्चा साल दर साल दो से तीन गुना बढ़ जाता है वह पैसा किसकी जेब से निकलता है इसका जवाब कौन देगा ? सरासर यह चुनाव आचार सहिता का उल्लघन है और इसे केंद्र में काबिज सरकार की पार्टी ही कर रही है इस पर गहन चर्चा की जरुरत है जरुर चुनाव आयोग को ऐसा प्रावधान करना चाहिए की योजनाओं का खर्च इस तरह कई गुना ज्यादा न हो यह इस देश की गरीब जनता के द्वारा कमाया गया धन है किसी नेता या पार्टी का नहीं जो ये नेता इसे अपनी बपौती समझ अपनी मर्जी से अपने सुविधा मुताबिक खर्च करने की योजना बना रहें हैं और जनता पर महंगाई का बोझ डालते जा रहें हैं अब जनता ने भी सोचना है क्या? इस तरह से मुरख बनाने के बाद भी वे उसी कांग्रेस को चुनेगे जिसने घोटाले करने में अपना विश्व रिकार्ड बना लिया है और अपनी इस करनी का बोझ जनता पर दाल दिया है महंगाई के रूप में .
नए साल के शुरुआत के साथ ही तमाम नयी योजनाओं की एक साथ शुरुआत करके आम लोगों में अपनी विकासपरक छबि को पुख्ता बनाने की यह कांग्रेसी चाल को यहाँ की जनता क्या यू अनदेखा कर देगी? यह एक प्रश्न है और इस पर टेलीविजन पर भी चर्चा होनी चाहिए और सरकार का जवाब जनता को मिलना चाहिए क्यूंकि ऐसी जनविरोधी निति अपनाई जा रही है और जनता की म मजबूरियों और मुश्किलों को नजरंदाज किया जा रहा है .कब जनता को महंगाई डायन से छुटकारा मिलेगा ? क्या इस ओर नेताओं का ध्यान नहीं जाना चाहिए . नेताओं से जवाब की अपेक्छा है

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