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अन्ना ने सरकार की चुनौती स्वीकारी

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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इस बार जब अन्ना हजारे अनशन पर बैठे तो पहले दिन से हीं सरकार एवं मिडिया दोनों का रवैया अन्ना एवं उनके टीम के प्रति काफी हद तक नकारात्मक लगा और तरह तरह के बयां आने लगे इस बार भीड़ उतनी नहीं है , अन्ना से लोगों का विश्वास उठ गया इत्यादि और जब कांग्रेस ने देखा जनता समर्थन में आने लगी भीड़ बढ़ने लगी तब सरकार ने बयां जारी किया की जब बिल संसद के स्टैंडिंग कमिटी के पास है फिर इस आन्दोलन का मतलब क्या है? अन्ना जोर जबरदस्ती कर रहें, हैं सरकार पर अनावश्यक दवाब बना रहे हैं अतः अन्ना एवं उनकी टीम चाहे जो मर्जी करे सरकार अपने निश्चय से टलने वाली नहीं और अन्ना से कोई बात भी हम नहीं करने वाले अगर अन्ना टीम को अपने मन माफिक जन्लोकपाल बनाना है तो चुनाव जीतकर संसद में आयें और वहीँ अपना बिल बनाये , क्यूंकि लोकतंत्र में कानून सडको पर नहीं बनते संसद भवन में बनते हैं इसमें कोई संदेह नहीं कानून संसद में हीं बनते हैं और बनने भी चाहिए लेकिन कोई नेता या पार्टी इस बात का जवाब नहीं देता, की पिछले ४३ वर्षों में यह बिल क्यूँ पास नहीं हो पाया देश में प्रजातंत्र भी है और चुनी हुयी सरकार भी है सांसद भी हैं पक्छ और बिपक्छ दोनों है आखिर क्यूँ ऐसा महत्वपूर्ण बिल लटकता रहा? जरुर इन नेताओं को अपने किये की जवाबदेही लेनी पड़ेगी देश को जवाब देना पड़ेगा और दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल पायेगी कानून का राज होगा गरीबों को भी न्याय मिलेगा भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम लगेगा और जनता यूँ दबी कुचली नहीं रहेगी अगर यह जन्लोकपाल कानून आ गया तब , पर आज तो जनता अपने सही अधिकारों के लिए सड़कों पर विरोध करने आती है तो उसको भी यह सरकार अलोकतांत्रिक करार देने लगी हैं और जो ये नेता एवं मंत्री कर रहें हैं उनकी नजर में जनतांत्रिक तरीका वही है , खैर अब तो सरकार ने अन्ना को ललकारा है एक विकल्प देने की बात कही है अब अन्ना टीम को सोचना और देखना है यह सब कैसे होगा? क्यूंकि राजनीत की डगर आसान नहीं कठिन है और देश में यूँ तो इमानदार लोगों की कमी नहीं पर उनकी पहचान करना और समर्पित लोगों को आगे लाना यह एक चुनौती भरा काम है क्यूंकि उनको इस तंत्र से भी टकराना होगा जो तंत्र आज अति भ्रष्ट लोगों से भरा पड़ा है जब तक चुनाव में हिस्सा लेने वाले लोग अपने हित की ना सोचते हुए जनहित और देशहित के लिए हीं चुनाव मैदान में आयेंगे उनसे हीं कोई बदलाव की उम्मीद की जा सकती है और जब ऐसे लोगों की पहचान हो पायेगी तभी आज जो हो रहा है उसपर लगाम लग पायेगा और राजनीती एक गन्दा खेल न होकर राज करने की निति बनकर उभरेगा त्याग की भावना , सादगी अपनाने वाले लोग अपनी सेवा के बदले में ज्यादा भत्ता लेनेवाले लोग जनता की सम्पति पर सुख सुविधा भोगने वाले लोग अगर आते रहे तो फिर तो जो चल रहा है वही चलेगा न पार्टी बदलने से कुछ होगा और न अन्ना के बलिदान और क़ुरबानी का कोई हश्र निकलेगा अतः नेताओं का चयन सबसे कठिन काम होगा जनता अन्ना हजारे से आशान्वित है क्यूंकि वे एक सच्चे समाजसेवी हैं और कितनी लडाई समाज के लोगों को न्याय दिलाने के लिए पहले भी लड़ा है देश की जनता को उनसे उम्मीद है और ऐसी आशा की जाती है वे जनता के उम्मीदों पर खरे उतरेंगे एक साफ सुथरी सरकार देश को दिलाने में कामयाब होंगे

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