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अन्ना के आन्दोलन का महत्त्व आज कितना?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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अन्ना ने इस बार फिर सरकार को ललकारा है, वे २३ जुलाई से जंतर मंतर पर डंटे हैं , इस बार मिडिया का ब्यवहार पहले की अपेक्छा अलग दिखाई दिया. जिसके चलते कांग्रेस के नेताओं और सरकार ने इसकी भरपूर आलोचना की . कहने लगे इस बार लोग अन्ना के साथ नहीं जुटे ,भीड़ नहीं है लोगों का विश्वास अन्ना से टूटता जा रहा है इत्यादि ऐसा कुछ दो तीन रोज दिखा भी सचमुच भीड़ पहले की अपेक्छा कम थी ,लेकिन जो कारण सरकार बता रही है, वह सच्चाई से बिलकुल परे है २३ जुलाई जिस रोज अरविन्द केजरीवाल अनशन पर बैठे वह दिल्ली में तथा देश के और हिस्सों में भी कार्य दिवस है जाहिर है जो लोग नौकरी पेशा हैं उनकी भागीदारी कम होगी जैसे हीं शुक्रवार का दिन आया भीड़ बढ़ने लगी और चुकी २५ जुलाई को राष्ट्रपति महोदय श्री प्रणब मुखर्जी का शपथ ग्रहण समारोह होना था जो की एक इति हासिक कार्यकर्म होता है उसको कवर करना मिडिया को जरुरी था अतः इसके चलते हीं मिडिया की भागीदारी कुछ कम दिखाई दिया अब मिडिया भी वही है और अन्ना हजारे भी वही, क्यूँ कर लोग भी ज्यादा आ गए और मिडिया ने अपना कवरेज भी बढ़ा दिया अब तो ह़र घंटे की खबर पूरा देश देख रहा है और यह सरकार एवं उनके प्रवक्ता भी देख रहे है . इसलिए अच्छा यही होगा सरकार लोगों का ध्यान भीड़ की तरफ न बंटाने के वह इस महत्वपूर्ण मुद्दा जिसके लिए यह आन्दोलन पिछले एक साल से ज्यादा से चल रहा है उस पर विचार करे तो सच मायनो में सरकार एवं जनता दोनों के हित में होगा सरकार को यह मालूम होना चाहिए की जनता अब ज्यादा दिन मूक दर्शक बनी नहीं रह सकती जब इस देश की जनता को संसद में न्याय नहीं मिलेगा तो जनता जरुर सड़कों पर उतरेगी आन्दोलन भी करेगी क्यूंकि जिस संविधान ने संसद की मान्यता दी है उसी संविधान ने जनता को वैसी सर्कार का विरोध करने का भी हक़ दिया है जो सरकार गूंगी बहरी और अंधी बनी हुयी है हाँ अगर सरकार ने यह सोंच रखा है की जब तक अन्ना के शरीर में प्राण है, या जब तक वे जिन्दा हैं, तब तक सिवाय इस आन्दोलन को गैरकानूनी, असंवैधानिक कहने के और कुछ नहीं करेगी यह सरकर अन्ना एवं उनके टीम के सदस्यों की क़ुरबानी, उनकी मौत देखना चाहती है, शायद सरकार यह नहीं जानती की अन्ना फ़ौज के एक सिपाही रह चुके हैं उन्होंने अपनी जवानी देश के नाम कर दी थी उनको मौत का क्या डर? वे तो हँसते- हँसते देश के लिए मौत को चूमने को तैयार हैं . जिस देश की संसद में १६२ सांसद आपराधिक छबि के हों और १५ सांसदों पर गंभीर मुकदमा चल रहा हो और सरकार एवं उसके मंत्री यह कहें की अभी तक वे दोषी साबीत नहीं हुए तो इस देश की जनता को और पचास साल इन्हीं डकैतों को झेलना होगा क्यूंकि अभी हाल में यह प्रकाशीत हुवा था की दिवंगत ललित नारायण मिश्र जो तत्कालीन रेल मंत्री थे उनकी हत्या बिहार के समस्तीपुर स्टेशन पर बम धमाके से करायी गयी थी उस मुक़दमे का आज तक फैसला नहीं आया जिसे ३७ साल बीत गए फिर क्या! कानून से या सरकार से यह उम्मीद की जा सकती है की कभी ये दागी सांसद संसद छोड़ेंगे? क्या इनके संसद में बने रहने से देश विदेश में कांग्रेस को ख्याति प्राप्त हो रही है इनका नाम हो रहा है, अरे ! इतना कुछ हो रहा है और इस देश का प्रधानमंत्री एकदम चुप है इससे बड़ी कोई बात हो सकती है? क्यूँ सलमान खुर्शीद , नारायण स्वामी ,दिग्विजय सिंह , सत्यव्रत चतुर्वेदी छोड़े गएँ हैं मिडिया मनेजमेंट के लिए क्यों इस देश का प्रधानमंत्री एक श्वेत पात्र जरी कर बताता दोषियों को सजा कब देगा ? उनको कब संसद से बहार निकालेगा ऐसा केवल इस देश के लोकतंत्र में ही हो रहा है जिस देश का प्रधानमंत्री जनता के लिए कोई जवाब देहि नहीं रखता यह एक शर्मनाक बात है क्यूँ सोनिया गाँधी ही नहीं बयान देती जो परोक्छ रूप से पी एम् का हीं रोल कर रही है उसका तो बस एक हिन् अजेंडा है कैसे राहुल गाँधी को सत्ता सौंप दी जाये यह जानते हुए की वह कांग्रेस को यूपी चुनाव में कुछ नहीं दिला पाया दो साल लगा रहा गरीब की झोपडी में रत गुजरता रहा उनके साथ खाना खाकर अपने को गरीबों का मसीहा बतलाने का झूठा प्रयास करता रहा आज बुंदेलखंड में किसानो की हालत बदतर होती जा रही है उनको जाकर देखता, उनकी तकलीफों को दूर करने का प्रयास करता क्या ये नेता केवल चुनाव के समय हीं जनता के बीच जायेंगे बाकि समय वातानुकूलित कमरे में लूट मचाने की योजनायें बनायेंगे और जाँच करने वाली संस्था को हीं नकेल डालकर रखेंगे अपराधियों से समर्थन लेंगे और सरकार में काबिज रहेंगे . आज अन्ना आन्दोलन की अहमियत और जरुरत और बढ़ गयी है और इस बार आर पार की लडाई लड़नी है और सरकार की चुनौतियों को दृढ़ता से लेना है इनके झूठे दिलासे के धोखे में नहीं आना है अब सर्कार जो भी करे लिखित में करे आश्वासन भी लिखित में दे तभी शायद कुछ होगा यूँ धोखा देते रहने से यह सर्कार भी कायम नहीं रह सकती ऐसा इस आन्दोलन में करके दिखाना है अगले चुनाव में कांग्रेस और गैर पार्टियाँ जो इनका समर्थन कर रहीं हैं उनका सूपड़ा साफ़ करके दिखाना है देश के युवाओं से हमारा आह्वान है वे इस आन्दोलन में अपनी भागीदारी ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं और शांतिपूर्ण ढंग से सरकार की जनविरोधी नीतियों का बहिस्कार कर आने वाले चुनावों में एक साफ सुथरी छबि वाले नेताओं द्वारा गठित सरकार इस देश को दें

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