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राष्ट्रिय महिला आयोग की भूमिका

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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पछले दिनों गुवाहाटी में एक युवती पर कुछ युवकों द्वारा सामूहिक रूप से अत्याचार का द्रश्य पूरे देश के टीवी चैनलों पर दिखलाई दिया और एक बार फिर से पूरा देश शर्मसार हुवा इन अमानवीय घटनाओं को देखकर अगर कुछ नहीं हुवा तो वह कानून के ठेकेदारों का और हमारी सुरक्छा का दम भरने वाले पुलिस का .वह आज तक इस घृणित कारनामे को अंजाम देने वाले मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई ,और इस सब से साफ पता चलता है की कोई रसुखवाला हीं इस तरह से सरेआम एक लड़की की इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रहा था और वैसे मनचलों को छिपने का भरपूर अवसर हमारे देश की पुलिस देती रही है वैसा ही इस मामले में भी नजर आ रहा है बस एक बयान आ जाता है पुलिस अपराधियों की तलाश कर रही है और वह बयान भी तब आता है जब मिडिया वाले इसे मुख्य खबर में दिखाना शुरू करते हैं और इस वारदात के वक्त तो मिडिया का ही आदमी पूरी घटना को कैमरे में कैद कर रहा था यह इस तरह की दरिंदगी को दिखाने का एक नया अंदाज लगता है, भला कैसे जब एक अकेली लड़की को कुछ बदमाश लोग सामूहिक रूप से सरेआम उसकी इज्जत पर हमला कर रहे हो तब बजाय उसकी रक्छा के लिए आगे आने के उस दृश्य को फिल्माने का काम करते हैं और उसकी रक्छा करने की जरुरत नहीं समझते निस्संदेह यह एक बेहद शर्मनाक घटना है और हमारी बीमार मानसिकता का हीं उदाहरण है हम कितने कठोर और अमानवीय ब्यवहार कर रहे हैं लड़कियों और महिलाओं के प्रति और महिला आयोग जो महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है उनकी करतूत तो सबने देखा मैडम लाम्बा वहां जाकर पहले वाक्यात की गंभीरता को जानने के बजाय फैशन परेड में भाग लेने आई हो ऐसा टेलीविजन पर दिखा , उनकी इस गैजिम्मेदारण हरकत के लिए जरुर उनको निकाल दिया गया पर उनके विचार तो देखिये अब कोई कैसे समझे की जो संस्थाएं लोगों को न्याय दिलाने के लिए बनी हैं वे कितना पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम कर रहीं हैं ? और कितना ऐसे जुर्मों पर पर्दा डालने का काम कर रहीं हैं आये दिन बच्चों पर अत्याचार हो रहें हैं महिला सुधार गृह में मूक बधिर महिलाओं को जो की एकदम असहाय हैं उनका यौन शोसन लोग कर रहे हैं और ये सारे आयोग इन सबसे अनजान बने दीखते हैं टेलीविजन पर खबरे आती हैं और यूँ ही आम ख़बरों की तरह भुला दी जाती हैं आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है जहाँ मानवता , सच्चाई ,ईमानदारी , आदर्श अपना दम तोड़ रही है और भ्रष्टाचार , चोरी , बेईमानी ,झूठ का बोलबाला होता जा रहा है जरुर इन सब पर गहन चर्चा की जरुरत है कैसे हम अपने खोये हुए मानव मूल्यों को फिर से प्राप्त करेंगे इसकी सिक्छा निहायत जरुरी है आशा है जागरण समूह भी ऐसे गंभीर विषय पर एक परिचर्चा रखेगा और मैं आपके माध्यम से टेलीविजन चैनलों को गुदारिश करूँगा की वे जरुर ऐसी चर्चा लायेंगे हमारे खोते हुए आदर्शों और मानव मूल्यों को कैसे हमारा युवा समाज ग्रहण करेगा और स्कूली पाठ्य्कर्मों में चरित्र निर्माण के लिए कैसे बढ़ावा मिले ऐसा प्रावधान पाठ्य पुस्तकों में और पाठ्य्कर्मों में शामिल करना नितांत आवश्यक है और वक्त की जरुरत भी है , तभी हमारी खोयी हुयी सनातनी परंपरा लौटेगी हमारी संस्कृति को महान संस्कृति के रूप में विश्व ने माना है हमें क्या हो गया है ?

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