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कांग्रेस ने योग्यता का सम्मान कभी नहीं किया है इसने हमेशा राष्ट्रपति के रूप में चुप बैठने वाला शख्स ढूंढा है ,क्यूंकि अगर ऐसा रहता तो कांग्रेस राहुल गाँधी को पी एम् बनाने की इतनी जल्दी नहीं करती कांग्रेस में वंशवाद भली भांति फल फूल रहा है और एक्का दुक्का विरोध भले हुवा हो कोई बड़ा विरोध करने की साहस भी नहीं करता कहने का मतलब है कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है ही नहीं वह तानाशाही तरीके से शासन चलाती आई है और फैसले लेने का अधिकार किसी को अनुभव के आधार पर नहीं देती है इस पार्टी में केवल गाँधी परिवार ही सर्वे सर्वा है और इसका प्रमाण देश को मिल चूका है मनमोहन सिंह के प्रधान मंत्रित्व काल में देश ट्रस्ट होता रहा और पी एम् मनमोहन चुप्पी साधे रहे अब रही बात प्रणव दादा को सम्मान मिलने की तो कांग्रेस ने एक तीर से दो शिकार किया है एक तो प्रणव दादा अगर अन्दर अन्दर सोंचते होंगे की शायद कांग्रेस जीत कर आई तो अगला पी एम् उन्हें बनाया जायेगा तो कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव आने के पहले ही उनका मुह बंद करने के लिए उन्हें राष्ट्रपति बनाने का फैसला कर लिया ताकि राहुल गाँधी का रास्ता साफ हो जाये वैसे भी देश की आर्थिक स्थिति bad से बदतर हुयी है प्रणव दादा के वित्त मंत्री काल में, तो उनको तो बदलना ही था तो उन्हें ऐसे सम्मान से जोड़ दिया की वे किसी से कुछ कह भी नहीं सकते और उन्होंने जनता के सामने कबूला भी की उनको उम्मीद से ज्यादा पार्टी ने दिया पर देखा जाये तो उम्मीद से ज्यादा तो मनमोहन सिंह को मिला वे तो एक नौकर शाह थे और इसी प्रणव दादा के नीचे काम कर चुके हैं पहले मनमोहन सिंह उनको सर कहते थे बाद में दादा उनको सर कहने लगे क्यूंकि मनमोहन सिंह पी एम् बन गए तो सच में मनमोहन सिंह को उम्मीद से ज्यादा मिला हाँ भले देश रसातल में गया जनता की तकलीफें बढीं और दुर्भाग्य यह की कोई मजबूत बिपक्छ भी नहीं विरोध करने वाला और वही कहावत चरितार्थ होती रही “सूप कहे छलनी से जिसमे बहतर छेद ” बीजेपी भी अपने को पाक साफ नहीं दिखा पाई जब भ्रष्टाचार का आरोप कांग्रेस पर लगा तो इनके नेता पर भी लगा बात बराबर हो गयी अब जनता कहाँ जाये ? अतः प्रणब दादा को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित करना उनकी योग्यता का प्रमाण न होकर उनका मुह बंद करने वाली बात है और इसके द्वारा राहुल गाँधी को प्रधान मंत्री पद तक पहुचाने का रास्ता ही साफ किया जा रहा है और प्रणब दादा को अपना विश्वसनीय ब्यक्ति बनाकर कांग्रेस देश के सबसे बड़े (दो नहीं ) एक पद पर यानि पी एम् के पद पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती है क्यूंकि प्रणब दादा पी एम् पद के ही दावेदार थे मनमोहन के बाद. .
भारतीय राजनितिक परिदृश्य में राष्ट्रपति की शक्तियां बहुत सीमित क्या- राष्ट्रपति एक रबर स्टंप के आलावा कुछ भी नहीं इसलिए प्रणब दादा बने या कोई और बने इससे कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला न ही देश को कोई फर्क पड़ने वाला है जब इस देश ने ज्ञानी जेल सिंह और प्रतिभा पाटिल जैसे राष्ट्रपति को झेला है तो प्रणब दादा तो फिर भी बहुत अनुभवी और सुलझे हुए ब्यक्ति हैं इससे देश का तो क्या लाभ होगा,पता नहीं! हाँ कांग्रेस का लाभ ही लाभ है क्यूंकि गवर्नर भी राष्ट्रपति ही नियुक्त करता है कांग्रेस ने बहुत बड़ी गोटी खेली है अपना राजनितिक आधार मजबूत करने के लिए और जो पार्टियाँ इसमें कांग्रेस को इस समय साथ दे रहीं हैं वे सब भ्रष्टाचार समर्थक और कांग्रेस के पक्छ्धर जरुर हैंप्रणव दादा के रष्ट्रपति बनने से कांग्रेस पार्टी मजबूत होगी जो कमजोर होती दीख रही थी और बिपक्छ के नाम पर अब कुछ नहीं बचेगा ऐसा मेरा मानना है और कांग्रेस जैसे अब तक मनमानी करती आई है आगे भी करती रहेगी जनता पहले भी कुछ उम्मीद इन नेताओं से नहीं रखती थी आगे भी उसका वही हाल होना है बस वह तुलसी रामायण वाली कहावत चरितार्थ होता दीख रहा है “कोऊ नृप होहिं हमें का हानि चेरी छड होयिबो न रानी ” इस देश की जनता का पहले भी भगवन ही मालिक थे और अब भी वही हैं यह लोकतंत्र और चुनाव तो बस टाईम पास है इस समय कांग्रेस द्वारा प्रणव दादा को राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव कांग्रेस के लिए बहुत सही है .
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