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राष्ट्रपति कौन बने ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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पिछले कई दिनों से सत्ता के गलियारे में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर गहमा गहमी चल रही है अब तक कई नाम देश के सामने सत्ता पक्छ ने रखे हैं अब चुकी राष्ट्रपति के चुनाव का समय करीब आ रहा है तब सपा और तृणमूल के नेता मिलकर राष्ट्रपति के रूप में सोमनाथ मुखर्जी, ए पि जे अबुल कलाम, एवं वर्तमान पी एम् श्री मनमोहन सिंह का नाम सुझाया है, और इन नामो के उजागर होते ही कांग्रेस पेशोपेस में पड़ गयी दीखती है. इन दोनों पार्टियों ने एक तीर से दो निशाने लगाये हैं एक तो देश को एक कमजोर पी एम् से निज़ात मिल जाएगी और ऐसे में नए पी एम् बनने का सपना देख रहे श्री प्रणव बाबू का भी सपना अधूरा रह जायेगा और देश लोकसभा चुनाव की तरफ अग्रसर होगा अगर जनता की राय ली जाये किसी सर्वे द्वारा तो जरुर इस देश की जनता श्री कलाम को हीं अपना भावी राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहेगी और कांग्रेस को छोड़ देश की बाकि राजनितिक पार्टियाँ भी श्री कलाम के नाम का समर्थन करते हुए राष्ट्रपति के रूप में उन्हें देखना पसंद करेंगी बाकि जितने भी नाम सुझाये गए हैं वे सभी नाम इस नाम के आगे कुछ भी नहीं बल्कि बौने लग रहे हैं आशा है टेली मिडिया और प्रिंट मिडिया ऐसा कोई सर्वे का काम करने के लिए आगे आयेंगे आज देश की दोनों राष्ट्रिय पार्टियाँ अपने पार्टी की अंदरूनी कलह में फंसी दिखाई दे रही हैं और इन पार्टी के नेताओं को जनता की नहीं पड़ी है ये केवल अगला पी एम् कौन किस पार्टी का होगा इसी उधेदबून में लगी दिखलाई दे रहीं है इनको देश की जनता की किस कठिनाई के दौर से गुजर रही है इसका जरीक भी ख्याल नहीं पहले ये पार्टियाँ अपनी पार्टी में लोकतंत्र होने का परिचय दे फिर देश के लोकतंत्र की चर्चा करे तो बेहतर होगा और अगर चुनाव हुवा तो ये दोनों राष्ट्रिय पार्टिया अल्पमत में होंगी और छेत्रिय पार्टियाँ ज्यादा संख्या में होंगी हाँ सर्कार बनाने में जरुर परेशानी हो सकती है लेकिन अगर समय रहते ये एकजुट होने का प्रयास करेंगी तो एक नए बिकल्प के रूप में यह देश का स्वरूप बनाने और जनता की समस्यायों को सुलझाने में कारगर भूमिका निभा सकती हैं ऐसा मेरा विचार है

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