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यू पी ए तीन साल -प्रगतिशील सरकार या चौतरफा हाहाकार

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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यू पी ए सरकार “जागरण जंक्सन फोरम ”
इसमें संदेह नहीं की कांग्रेस सरकार में इच्छाशक्ति की कमी है और इसने इस देश की जनता से एकदम मुख मोड़ लिया है क्यूंकि अपने तीन साल के कार्यकाल में इसने जनता को महंगाई ,भ्रष्टाचार ,कुपोषण ,किसानो की आत्महत्या , विदेशो में पड़ा कला धन ,और अपराधियों खासकर आथिक अपराधियों को सजा दिलवाने इत्यादि सभी मामलों में बिलकुल उदासीन रवैया अपनाया है इस कांग्रेस पार्टी को अब देश की जनता की बिलकुल पड़ी नहीं उसे पता है जब तक जोड़ तोड़ की राजनीती से वह सरकार में काबिज है इस देश की जनता उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती और चौतरफा यू ही हाहाकार मचता रहेगा सरकार अपना कार्य काल यूँ ही जनता की समस्यायों से अनभिग्य बनी रहेगी और अपने पांच साल पूरे कर लेगी क्यूंकि प्रजातंत्र में बहुमत का राज है और सरकार तो बहुमत में है ही फिर उसे किसका डर और जनता भी तो मूक दर्शक बनी हुयी है बिपक्छ भी मिल जुलकर राजनितिक फायदे उठा रही है अपने किसी दागी सीएम को बचाने के लिए सरकार (कांग्रेस ) के साथ सौदे बाजी करती रही है . रही बात सरकार के बाजार के हाथो बिकने की तो सरकार बिकी हो या न बिकी हो जनता को जरुर बाजार के भरोसे इस सरकार ने छोड़ दिया है चाहे जितनी महंगाई खाद्यान की या पेट्रोल की हो जनता जाने कैसे अपना चूल्हा चलाना है .इस साल गेहूं की बम्पर पैदावार हुयी है और पहले से ही भण्डारण के लिए गोदाम नहीं है ऐसे में लाखो टन अनाज ने सड़ना ही है लेकिन गरीबों को खाने के लिए नहीं दिया जाना ऐसा अनर्थ शायद ही विश्व के किसी भी देश में हो रहा होगा और अपने देश में तो अन्न को देवता का दर्जा दिया गया है और इसी देश में वर्षो से अनाज सड़ता जा रहा है और लोगों को खाने के लिए नहीं दिया जा रहा और हैरानी इस बात की है देश की गरीब और भूखी जनता इसके लिए कोई आन्दोलन क्यूँ नहीं कर रही है क्या सचमुच लोग अब भूखे नहीं रहे यह एक चिंतन का विषय है .
दूसरा मुद्दा पेट्रोलियम padartho के कीमतों में लगातार बढ़ोतरी का है जिसका अधिकांश मात्र आयत करना पड़ता है इसके लिए मेरी राय में सरकार एवं जनता को इसकी खपत कम से कम करनी चाहिए , लेकिन ऐसा देखने को मिलता है की ज्यों ज्यों पेट्रोल की कीमत बढती जा रही पेट्रोल पम्पो पर भीड़ बढती जा रही है अतः कैसे कहा जाये की इसके दाम बढ़ने से जनता को परेशानी है सरकार भी तो इस तथ्य से वाकिफ है क्यूंकि पेट्रोल का इस्तेमाल बहुत कम लोग कर रहे हैं अपनी आबादी के प्रतिशत के हिसाब से हाँ मॉल धुलाई के लिए जो गाड़ियाँ पेट्रोल से चलती हैं उनका असर बाजार भाव पर जरुर पड़ता है .मेरी राय में मंत्रियों नेताओं को इसके लिए जरुर सोचना चाहिए और बिना वजह सरकारी य ब्याक्तिगत वाहन का इस्तेमाल न करे इसमें कटौती करें .दामो के बारे में सरकार ने बयां दे दिया है और इसको बाजार के अधीन कर दिया है अतः इस मामले में सरकार पहले ही हाथ खड़े कर चुकी है .
तीसरा सवाल सरकार की उपलब्धियों के बारे में है तो उपलब्धियां तो सरकार ने अपने रिपोर्ट कार्ड में गिना ही चुकी है उसपर कोई विशेस टिप्पणी करना मैं आवश्यक नहीं समझता लेकिन इतना जरुर कहूँगा की जनता को दुखी देखकर सरकार बहुत खुस होती है शायद उसके हिसाब से यही उसकी उपलब्धि है और कठिनाईयां कितनी भी आयीं हो हो हल्ला कितना भी मचा हो अन्ना हजारे जैसे समाजसेवी जितना मर्जी आन्दोलन करे चिल्लाएं सरकार अपन पांच साल पूरा करके छोड़ेगी ऐसा बंदोबस्त कांग्रेस ने अपनी सरकार को आगे चलाते रहने का कर ही लिया है . जब बहन मायावती और माननीय मुलायम सिंह यादव जी इनके साथ बैठे हैं बेशक ममता दीदी टांग खिचती रहे उनको भी छोटा लौली पाप सरकार थमा देती है उनकीकुछ मांगो जैसे रेल मंत्री त्रिवेदी को हटाकर मुकुल राय को रेल मंत्री बना दो उनका एगो इसीसे शांत हो जाता है एक वाही विरोध करने वाली नेता दीखतीं थी लेकिन वे भी मुद्दों और समस्यायों की राजनीती करती नहीं दिखलाई पड़ती .
बस इस देश की जनता भगवन भरोसे जीती आई है आगे भी जी लेगी , क्यूंकि बदलाव के लिए एक जबरदस्त आन्दोलन की जरुरत आज देश को है वर्ना अपने देश के रूप में विश्व को एक नए तरह का लोकतंत्र दिखलाई देगा

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