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देश में लोग भूखे और अनाज सड़ता रहे यह कैसा लोकतंत्र

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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आजकल रोज ख़बरों में अनाज के सड़ने का आंकड़ा दिखाई दे रहा है और ऐसा मेरा विश्वास है की हमारे देश की सर्कार हमारे इमानदार पीएम ,हमारे खाद्य मंत्री हमारे देश के बुद्धिमान अफसरान प्रशासनिक अधिकारीगन सभी इस भीषण अमानवीय नुकसान से अवगत होंगे. इसके बावजूद भी उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया कोई त्वरित कार्रवाई का आश्वासन नहीं मिल रहा . विश्व के कितने ही देश अभी भी भुखमरी के कगार पर हैं और कुछ हद तक अपने देश में ऐसे लोग हैं जिनको दो वक्त की रोटी नसीब नहीं है फिर भी कोई ऐसा उपाय इस देश के मंत्री, नेता, समाजसेवक, एनजीओ कुछ करते नहीं दिखाई देते यह खबर भी एक आम खबर की तरह अखबारों की रद्दी में बिक जाती है मिट जाती है.अब तो ऐसा लगने लगा है की इस बर्बादी के लिए भी एक जन आन्दोलन की आज जरुरत प्रासंगिक लग रही है मैं अपने इस ब्लाग के माध्यम से उन समाजसेवी संस्थाओं , एनजीओ में कार्यरत समर्पित कार्यकर्ताओं का आह्वान करता हूँ की जल्द से जल्द इस अहम् मसले का निदान खोजा जाये और सर्कार को बाध्य किया जाये ताकि जो अनाज इस साल सरकारी खरीद द्वारा बाहर खुले में सड़ने को छोड़ा जानेवाला है उसे बचाया जा सके . जरुर इस विधा में लगे ट्रांसपोटरों अधिकारीयों जिन्होंने इसका रख रखाव करना है और वितरण के लिए भेजने की प्रक्रिया में होनेवाली देरी को दूर करने का प्रयासकरना है ताकि उसे बचाया जाये जल्द निर्यात की प्रक्रिया को हरी झंडी मिले ताकि कम से कम अच्छा अन्न यूँ बर्बाद न हो और दुनिया में भुकमरीको कम करने में हमारा देश सहायक रहे और क्यूंकि अन्न की बरबादी एक अमानवीय कृत्य है और इसमें सर्वोच्च अदालत को भी जल्दी कोई निर्देश देना चाहिए की सर्कार इसे अविलम्ब करे और भूखों को खाने को अनाज मिले ब्यापारियों को उनको अपना मुनाफा मिले और जनता को संतोष हो की अब अनाज सड़ेगा नहीं जरूरतमंद में जल्द बांटा जायेगा

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