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नेता जनता में विश्वास क्यूँ खो रहे हैं ?

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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पचास के दशक में जब अपना देश अभी आजाद हुवा ही था तब नेता एक आदर्शवन ब्यक्तित्व होता था अपना कम सोचता था जनता की ज्यादा सोचता था और तब विकास भी इतना जोर नहीं पकड़ा था .उस समय के नेता बाबु राजेन्द्र प्रसाद जो की प्रथम राष्ट्रपति थे कितने इमानदार थे वह अब इतिहास के पन्नो में छिपकर रह गया वैसे हीं पंडित जवाहरलाल नेहरु ,मौलाना अबुल कलम आजाद , सरदार पटेल (लौह पुरुष ) और जाने कितने ही नेता , सभी के सभी आजादी की लडाई में अपनी जवानी कुर्बान की और देश को अंग्रेजों से आजादी दिलवाई , हम आजाद हुए अपना संविधान लिखे और एक मजबूत प्रजातंत्र बनकर उभरे . उस समय के नेताओं द्वारा किये गए निस्स्वार्थ सेवाओं का फल हम आज भोग रहें हैं अब जो नेता हैं वे अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं और गरीब देश की गरीब जनता का कमाया धन बाहर के देशों में भेज रहें हैं आज अपने देश की कई योजनायें धन के अभाव में पूरी नहीं की जा सकती हैं और करोडो डालर स्विस बैंक में इस देश का पैसा सड रहा है किसी के काम नहीं आ रहा, कई बार आंकड़े भी आये यह बताते हुए की अगर वह पैसा देश में आ जाता है तो हमारे देश की सभी रुकी हुयी योजनाये पूरी हो सकती हैं लेकिन आज के नेताओं और मंत्रियों ने इस गंभीर मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की अभी यूपी एवं अन्य राज्यों में चुनाव है किसी पार्टी ने उस पैसे को शीघ्र वापस लाने की बात नहीं कही और वह मसला अपनी जगह स्थिर रह गया आखीर आज के नेता अपनी इमानदार छबि जनता के सामने क्यूँ नहीं लाते ताकि उनका खोया हुवा सम्मान एवं विश्वास वापस मिले क्या चुनाव जीतना सरकार बनाना और पैसे लूटना हीं लोकतंत्र की परभाषा रह गयी है जरुर इस गंभीर विषय पर चिंतन की जरुरत है भले मतदान में जनता अधिक संख्या में भाग ले रही है जो एक स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक है पर जनता आज लाचार हो गयी कोई नागनाथ है तो कोई सापनाथ बस इन्ही भ्रष्ट नेताओं में से किसी को चुनने को जनता मजबूर है इस पर मिडिया एवं टेलीविजन के माध्यम से एक सीरियस डिबेट की जरुरत है आशा है विद्वान् एवं इमानदार लेखक लोग इस विषय की गंभीरता को समझते हुए अपने विचार प्रिंट मिडिया में लिखेंगे और विकास की गंगा को गाँव गाँव तक कैसे पहुचाया जाये जहाँ विकास अब तक नहीं पंहुचा .इसके लिए नेताओं को मजबूर करेंगे क्यूंकि आम तौर पर तो नेता मतलब जनता के पैसों पर ऐश करनेवाला ब्यक्तित्व आज बनकर सामने उभरा है धुन्धने पर भी कोई सच्चा और इमानदार नेता नहीं नजर आ रहा है यह अपने देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा .

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