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चुनाव में धनबल और बहुबल का औचित्य

aarthik asmanta ke khilaf ek aawaj
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इलेक्शन २०१२ – ब्लॉग कांटेस्ट
पिछले चुनावों की तरह अब के चुनाव में भी धनबल और बाहुबल ही हावी रहेगा , थोड़ी सख्ती जरुर चुनाव आयोग द्वारा दिखलाई गयी है जो मात्र दिखावा है सत्ता पर काबिज कोई भी पार्टी सत्ता को फिर से पाने के लिए शाम, दाम और दंड इन तीनो महाशक्तियों का इस्तेमाल करती हैं क्यूंकि सता पर काबिज हो जाने के बाद तो उनका एक ही राग है जनता ने हमें चुनकर भेजा है हम चुने हुए प्रतिनिधि हैं और हम जो चाहे करेंगे जैसा मर्जी कानून बनायेंगे जनता को कबूल करना है और ऐसा इस देश की जनता को पिछले शीतकालीन सत्र में प्रतय्क्छ रूप से दिखाई दिया . अन्ना हजारे के शांतिपूर्ण प्रदर्शन जिसमे देश की लाखो जनता की भागीदारी थी ऐसा पूरे विश्व ने देखा और कोई हिंसक वारदात नहीं हुयी इतने विशाल जनसमूह के इकठे होने के वावजूद नेताओं को यह बात बहुत नागवार गुजरी और वे सारे इकठे होकर इसका सर्वमती से विरोध किया यह कहते हुए की सिविल सोसायटी किस संगठन या पार्टी का नाम है हम जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं और कोई कानून बनाने का हक़ केवल हमें है और उन्होंने कैसा कानून बनाया और पास कराया इसको पूरे देश की जनता ने देखा अब पाँच राज्यों में चुनाव है क्या इस चुनाव में भ्रष्टाचार, कला धन, महंगाई, जन्लोक्पाल बिल जैसा कोई मुद्दा है सारे नेता एक दूसरी की पार्टी की आलोचना करते हैं और दुसरो की गलतियाँ गिनाते है अपनी गलती तो उनकी कोई होती नहीं इस बार भी अपराधी एवं दागी छबिवाले नेता तक़रीबन सभी पार्टियों में शामिल किये गए है और वे चुनाव लड़ रहें हैं और जीतकर भी आयेंगे जनता को जागरूक होने में अभी बहुत समय लगेगा और फिर वापस वही भ्रस्ट एवं स्वार्थी नेताओं का समूह सत्ता पर काबिज हो जायेगा अगर किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो सर्कार बनाने के लिए खरीद फरोख्त का सिलसिला चलेगा जब संसद में नोट उछलने पर किसी को कुछ नहीं हुवा तो नेता खरीदने के लिए धन का प्रयोग कौन रोक पायेगा तो धनबल हीं तो महत्वपूर्ण हथियार है अतः इसका हीं औचित्यपहले भी था और अब भी है . चुनाव में और चुनाव के बाद भी देखने को मिलेगा पिछले अनुभव यही दर्शाते हैं .

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